नई दिल्ली। डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ वॉर दुनियाभर के देशों और उनकी करेंसी को प्रभावित कर रही है। आज भारतीय रुपया 44 पैसे गिरकर 87.94 प्रति डॉलर के ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंच गया।
बताया जा रहा है कि ये गिरावट, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के स्टील और एल्यूमिनियम इंपोर्ट पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने के ऐलान की वजह से हुआ है। रुपये में गिरावट के बाद भारतीय शेयर बाजार में भी बड़ी गिरावट देखी जा रही है। खासतौर से मेटल सेगमेंट के शेयरों में भारी गिरावट देखी जा रही है।
डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट की वजह से आम आदमी की जेब पर सीधा असर पड़ेगा। दरअसल, रुपये के कमजोर होने से आयातित वस्तुओं की लागत बढ़ जाएगी, जिससे देश में महंगाई बढ़ने की आशंका है। अगर डॉलर महंगा होता है, तो वस्तुओं के आयात पर अधिक रुपये खर्च करने होंगे। रुपये की गिरावट से पेट्रोलियम उत्पादों का आयात महंगा हो जाएगा, जिससे पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ सकती हैं।
कमजोर रुपये के कारण मोबाइल फोन, टीवी, फ्रिज और एसी जैसे इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के दाम बढ़ सकते हैं। इसके अलावा, आयातित कच्चा माल महंगा होने से उत्पादन लागत बढ़ेगी, जिसका असर उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। वहीं, विदेश में पढ़ाई करने वाले छात्रों और विदेश यात्रा करने वालों के लिए ट्यूशन फीस और रहने का खर्च भी बढ़ जाएगा।
रुपये की गिरावट की वजह से आयात पर निर्भर बिजनेस के लिए चुनौती बढ़ेगी, क्योंकि इनपुट कॉस्ट बढ़ने से प्रॉफिट मार्जिन पर दबाव आएगा। विदेशी मुद्रा में कर्ज लेने वाली कंपनियों को भुगतान की अधिक लागत चुकानी पड़ेगी. हालांकि, निर्यात करने वाले व्यवसायों को कुछ लाभ हो सकता है। खासकर आईटी, फार्मा और जेम्स और ज्वैलरी जैसे क्षेत्रों को इसका लाभ हो सकता है, क्योंकि इन्हें विदेशों से डॉलर में पेमेंट आती है।
- मुंबई में ‘द प्लैटिनम’ का भव्य उद्घाटन, लग्ज़री डाइनिंग और नाइटलाइफ़ को मिला नया ठिकाना - December 30, 2025
- Agra News: सेना के परिवार की बेटी एशिया वर्मा ने पास की एनडीए, अफसर बनने की ओर बढ़ाया मजबूत कदम - December 30, 2025
- प्रयागराज दौरे पर डिप्टी सीएम केशव मौर्य का अखिलेश यादव पर हमला, बोले—2027 में सपा का सूपड़ा होगा साफ - December 30, 2025