Agra, Uttar Pradesh, India. गुरुद्वारा दशमेश दरबार कमला नगर द्वारा स्वामी दयानन्द पार्क में शहीदी समागम आयोजित किया गया। इसमें समूह संगत ने गुरु गोविन्द सिंह महाराज के चारों साहिबजादों की शहीदी एवं माता गूजर कौर को नमन किया।
गुरुद्वारा गुरु का ताल प्रमुख संत बाबा प्रीतम सिंह की अगुवाई में हुए इस समागम में सर्वप्रथम गुरुद्वारा गुरु का ताल के हजूरी रागी भाई हरजीत सिंह जी ने अपनी मधुर वाणी से सभी को साहिबजादों की शहादत से जोड़ा।
गुरुद्वारा बंगला साहब से विशेष रूप से पधारे रागी भाई मनोहर सिंह ने ‘सूरा सो पहचानिए जो लड़े दीन के हेत, पुरजा-पुरजा लड़ मरे, कबहुं न छाड़े खेत’ शबद का गायन किया। यह सुनते ही संगत ‘वाहे गुरु का खालसा, वाहे गुरु की फतेह’ और ‘जो बोले सो निहाल सत श्री अकाल’ के जयकारे लगाने लगी। उन्होंने बताया के असली इंसान वही होता है जो देश और धर्म की खातिर अपने आप को कुर्बान कर दें, एक निरंकार से जुड़कर उसके हुकुम में रहकर अपने जीवन को जीता है।
गुरुद्वारा प्रमुख संत बाबा प्रीतम सिंह ने भी साहिबजादों की शहादत पर प्रकाश डाला। समाप्ति के उपरांत समूह संगत ने एक साथ बैठकर लंगर ग्रहण किया।
क्या है गुरबानी
गुरबानी शब्द गुरुवाणी का पंजाबी स्वरूप है। सिक्ख धर्म में पाँचवें गुरू अर्जुन देव ने बाबा गुरु नानक, बाबा फरीद, रविदास तथा कबीर की वाणी को आदि ग्रंथ में संकलित किया। इनको गुरबानी कहा जाता है।
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