Mathura (Uttar Pradesh, India)। मथुरा। धान की पराली जालाने वाले किसानों की इस बार खैर नहीं है। इस बार पराली जलाई तो किसान को सरकारी की ओर से मिलने वाली सुविधाओं से भी वंचित किया जा सकता है। वातावरण प्रदूषित करने की धारा 278 व 290 के तहत चालान कर 11 किसानों को जेल भेज दिया गया, 300 किसानों को नोटिस दिया गया और इन किसानों पर 13 लाख पांच हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया। ये कार्रवाही 20 नवम्बर 2019 को हुई। इस तरह की खबरें लगातार सुर्खियों में रहीं। इसके बाद भी पराली जली। किसान संगठनों और राजनीतिक पार्टियों ने इसे किसानों पर अत्याचार बताते हुए आंदोलन किये और किसानों की सहानभूति हासिल करने का प्रयास किया। बावजूद इसके अगर इस बार किसानों ने पराली जलाई तो ऐसा करने वाले किसानों को इससे भी कडी कार्रवाही का सामना करना पडेगा। उन्हें तमाम सरकारी सुविधाओं और मिलने वाली सब्सिडी से वंचित होना पड सकता है।
धान काटने वाली मशीन कंबाइन को भी शर्तों के साथ ही जनपद में चलाने की अनुमति
जिन 51 गावों में सबसे ज्यादा पराली जलाई गयी थी उन ग्राम पंचायतों को इस बार कृषि विभाग ऐसे उपकरण उपलब्ध कराएगा जिससे पराली का आसानी से खेत में ही खाद तैयार किया जा सके। इन उपकरणों की कीमत 5 लाख रूपये होगी, जिसमें एक लाख रूपये ग्राम पंचायत वहन करेगी और चार लाख रूपये कृषि विभाग द्वारा दिये जाएंगे। पांच कॉपरेटिव सोसाइटी को भी ये ही उपकरण उपलब्ध कराए जाएंगे। इसमें भी कृषि विभाग चाल लाख रूपये देगा और एक लाख रूपये सोसाइटी द्वारा देय होंगे। पिछले साल प्रदेश पर में पराली जलाने के मामले में जनपद मथुरा अव्वल रहा था। इसे देखते हुए एनजीटी ने भी संज्ञान लिया है और जिला प्रशासन भी गंभीर है। धान काटने वाली मशीन कंबाइन को भी शर्तों के साथ ही जनपद में चलाने की अनुमति दी जाएगी। कोई भी कंबाइल हार्वेस्टर बिना पराली काटने के उपकरणों के कंबाइन चलाते हुए पकडा गया तो उसके खिलाफ कार्रवाही की जाएगी। कंबाइन को भी जब्त किया जायेगा।
कृषि अवशिष्ट के जलाये जाने की पुर्नावृत्ति होने की दशा में संबंधित कृषकों को सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली सुविधाओं तथा सबसिडी आदि से वंचित किये जाने की कार्यवाही के निर्देश राष्ट्रीय हरित अधिकरण नई दिल्ली द्वारा दिये गये हैं। यदि कोई कृषक फसल अवशेष (पराली) जलाता पकड़ा जाता है, तो सुसंगत धाराओं में उसके विरूद्ध कार्यवाही की जायेगी।
11 में से 4 ब्लाक डार्क जोन, फिर भी धान की बंपर रोपाई, नींद में है कृषि विभाग
पूरा मथुरा जनपद भूगर्भीय जल के लगातार नीचे गिरने के संकट से जूझ रहा है। चार ब्लॉक फरह, नौहझील, राया और बल्देव डार्क जोन में शामिल हैं। यानी यहां भू गर्भीय जल क्रिटिकल स्टेज से नीचे है। इसके बावजूद जनपद में धान की बंपर रोपाई की गई है। नियमानुशार जहां भू गर्भीय जल का संकट है वहां प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि किसानों को धान की रोपाई से रोका जाए। इसके लिए किसानों को जागरूक करने के लिए अभियान भी चलाया जाता है। लेकिन यह सब कागजों तक सिमट गया है। कृषि विभाग का ध्यान और मकसद सिर्फ पराली जलाने के आंकडों को कम करना है, धान से हो रही असल समस्या पर ध्यान नहीं है।
गोशालाओं में चारे के तौर पर भी हो सकता है उपयोग
मथुरा वृंदावन सहित समूचे मथुरा में गोशालाओं की भरमार है। आवारा गोवंश से भी किसान परेशान हैं। इस पराली का गोशालाओं में गायों के लिए भी बेहतर उपयोग हो सकता है। सूखे चारे के तौर पर कुछ किसान इसका उपयोग भी करते हैं। हालांकि जहां कंबाइन से धान की कटाई होती है वहीं पराली जलाने की समस्या भी सामने आती है। कंबाइन से कटाई के बाद बचा आवशेष ज्यादा उपयोगी नहीं रह जाता है।
उप कृषि निदेशक मथुरा धुरेन्द्र कुमार ने बताया कि
राष्ट्रीय हरित अधिकरण नई दिल्ली द्वारा फसल अवशेष जलाना दण्डनीय अपराध घोषित किया गया है तथा फसल अवशेष जलाते हुए पकड़े जाने पर दण्डात्मक कार्यवाही का प्राविधान किया गया है, जिसमें दो एकड़ से कम कृषि भूमि पर 2500 रूपये, दो से अधिक 5 एकड़ तक जमीन पर 5000 रूपये, 5 एकड़ से अधिक जमीन पर 15 हजार रूपये का आर्थिक दण्ड रखा गया है।