पाकिस्तान में गहराते जा रहे सियासी संकट से सेना ने पल्ला झाड़ लिया है। पाकिस्तानी सेना ने रविवार को अपने आधिकारिक बयान में कहा कि उसका मुल्क के मौजूदा सियासी हालात से कोई लेना-देना नहीं है। समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक फौज के प्रवक्ता मेजर जनरल बाबर इफ्तिखार ने एक निजी टीवी चैनल से बात करते हुए कहा कि नेशनल एसेंबली में जो कुछ हुआ उससे सेना का कोई वास्ता नहीं है।
सनद रहे कि पाकिस्तान की सेना ने पाक में आधे से अधिक समय तक शासन किया है। यही नहीं, पाकिस्तानी सेना का मुल्क की सुरक्षा और विदेश नीति के मामलों में काफी दखल रही है। पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा भी पिछले हफ्ते कम से कम दो बार प्रधानमंत्री इमरान खान से मिल चुके हैं। यही कारण है कि पाकिस्तानी सेना का उक्त बयान कि उसका मौजूदा सियासी खींचतान से कोई लेना-देना नहीं है… वास्तविकता से दूर नजर आता है।
मालूम हो कि पाकिस्तान में सियासी संकट आठ मार्च को विपक्ष की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव से शुरू हुआ था। वहीं प्रधानमंत्री इमरान खान ने इसे ‘विदेशी साजिश’ करार देते हुए मामले को नया एंगल दे दिया। समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक इमरान के अनुसार सेना के शीर्ष नेतृत्व ने पिछले हफ्ते उनसे मुलाकात की थी और राजनीतिक गतिरोध को हल करने के लिए तीन विकल्पों की पेशकश की। इनमें इस्तीफा देना, अविश्वास का सामना करना या जल्द चुनाव कराना शामिल था।
हालांकि ‘द न्यूज इंटरनेशनल’ की रिपोर्ट के अनुसार सैन्य प्रतिष्ठान ने इस दावे का खंडन करते हुए कहा था कि उनकी ओर से कोई विकल्प नहीं रखा गया था। वरन सरकार ने ही शीर्ष अधिकारियों को फोन करके मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य पर चर्चा करने के लिए आमंत्रित किया था। पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा और इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के महानिदेशक (डीजी) ने पीएम इमरान खान से मुलाकात की थी।
-एजेंसियां
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