धरना कार्यक्रम के प्रति शिक्षाधिकारी सचेत
महासंघ के पदाधिकारी धरने को सफल बनाने में जुटे
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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों से 30 जून को सेवानिवृत्त प्रधानाचार्यों एवं अध्यापकों को एक नोशनल वेतनवृद्धि का लाभ प्रदान करने हेतु जारी शासनादेशों के अनुपालन की माँग को लेकर राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश द्वारा सतत प्रयास किए जा रहे हैं। महासंघ की प्रदेश कार्यसमिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. देवी सिंह नरवार द्वारा दिए गए क्रमिक धरना नोटिस (27 मार्च 2025) को गम्भीरता से लेते हुए संयुक्त शिक्षा निदेशक (जे.डी.) आगरा ने मंडलीय उप शिक्षा निदेशक आगरा को दिनांक 28 मार्च 2025 को निर्देश जारी किए हैं कि इस विषय में शीघ्र आवश्यक कार्यवाही की जाए।
इस संबंध में महानिदेशक, स्कूल शिक्षा उत्तर प्रदेश एवं माध्यमिक शिक्षा निदेशक उत्तर प्रदेश को भी सूचनार्थ प्रतिलिपियाँ भेजी गई हैं। साथ ही, इस निर्देश की प्रति वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. देवी सिंह नरवार को भी प्रेषित की गई है।
सांकेतिक क्रमिक धरना 21 अप्रैल से
डॉ. देवी सिंह नरवार ने अपनी माँग को लेकर राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश, आगरा के बैनर तले 21 अप्रैल 2025 से मंडलीय उप शिक्षा निदेशक, आगरा के कार्यालय के समक्ष ‘‘सांकेतिक क्रमिक धरना’’ आयोजित करने की विधिक नोटिस दी है। इस धरना कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए महासंघ के पदाधिकारी सक्रिय रूप से प्रयासरत हैं।
संघर्ष समिति का विस्तार
संघर्ष समिति के अध्यक्ष डॉ. देवी सिंह नरवार तथा संयोजक डॉ. कुंजिल सिंह चाहर लगातार सेवानिवृत्त प्रधानाचार्यों एवं अध्यापकों से संपर्क कर उनका समर्थन जुटाने में लगे हैं। समिति को और प्रभावी बनाने के लिए निम्नलिखित महत्वपूर्ण पदाधिकारी नियुक्त किए गए हैं:
- डॉ. के.पी. सिंह – सर्व व्यवस्था प्रमुख
- श्री मनोज कुमार – जिला संघर्ष समिति के जिला संयोजक एवं व्यवस्था प्रमुख
- श्री गिरीश त्यागी – जिला प्रभारी एवं संपर्क प्रमुख
महासंघ का शिष्टमंडल लखनऊ जाएगा
महासंघ का एक विशेष शिष्टमंडल शीघ्र ही माध्यमिक शिक्षा निदेशक, उत्तर प्रदेश से भेंट करने हेतु लखनऊ रवाना होगा। इस मुलाकात का उद्देश्य नोशनल वेतनवृद्धि की माँग को सरकार तक मजबूती से पहुँचाना और शीघ्र समाधान सुनिश्चित कराना है। महासंघ के पदाधिकारी अपने संघर्ष को निर्णायक मोड़ तक पहुँचाने के लिए पूर्णतः प्रतिबद्ध हैं।
संपादकीय टिप्पणी: संघर्ष का यह शंखनाद
शिक्षकों का समाज में एक पूजनीय स्थान होता है। वे केवल ज्ञान के प्रदाता नहीं, अपितु एक सशक्त समाज के निर्माणकर्ता भी होते हैं। यह विडंबना ही है कि सेवा के अंतिम पड़ाव पर पहुँचकर उन्हें अपने हक के लिए संघर्ष करना पड़ता है। नोशनल वेतनवृद्धि की माँग केवल आर्थिक लाभ का विषय नहीं है, बल्कि यह शिक्षकों के सम्मान से भी जुड़ा एक महत्वपूर्ण प्रश्न है।
डॉ. देवी सिंह नरवार और उनके सहयोगियों का यह संघर्ष केवल एक माँग-पूर्ति का आंदोलन नहीं, बल्कि शिक्षक समुदाय की गरिमा की रक्षा का शंखनाद है। सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वे इन शिक्षकों की वाजिब माँगों पर शीघ्र निर्णय लें, जिससे उन्हें बार-बार सड़कों पर उतरने की आवश्यकता न पड़े। यह आवश्यक है कि शिक्षा व्यवस्था में शिक्षकों के योगदान को केवल कर्तव्य के रूप में न देखा जाए, बल्कि उनके अधिकारों को भी उतनी ही गंभीरता से लिया जाए।
यदि सेवानिवृत्त शिक्षकों को उनका उचित सम्मान और अधिकार नहीं दिया जाता, तो यह केवल उनकी उपेक्षा नहीं, बल्कि समाज के नैतिक मूल्यों का भी ह्रास होगा। शिक्षक, जिन्होंने अपने जीवन के बहुमूल्य वर्ष ज्ञान प्रदान करने में समर्पित कर दिए, वे अपने अधिकारों के लिए धरना देने को विवश हो रहे हैं—यह स्थिति किसी भी सभ्य समाज के लिए शोभनीय नहीं।
अब समय आ गया है कि सरकार और प्रशासन संवेदनशीलता दिखाते हुए इस विषय पर ठोस निर्णय लें, ताकि हमारे शिक्षक संघर्ष की जगह सम्मान के हकदार बनें।
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