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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat.
आगरा, एक ऐतिहासिक नगर, अब शिक्षा के क्षेत्र में भी अपनी पहचान को सशक्त करने की दिशा में अग्रसर है। यहाँ माध्यमिक शिक्षा परिषद् उत्तर प्रदेश के क्षेत्रीय कार्यालय की स्थापना की मांग न केवल एक आवश्यकता है, बल्कि क्षेत्रीय जनता के हित में एक क्रांतिकारी कदम भी है। इस मांग को लेकर राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. देवी सिंह नरवार के नेतृत्व में एक सतत प्रयास जारी है, जिसने इस सपने को साकार करने की दिशा में नई आशा जागृत की है।
एक नई शुरुआत का संकेत
आगरा में शिक्षा के उन्नयन हेतु एक महत्वपूर्ण पहल के तहत, राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश की प्रदेश कार्यसमिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. देवी सिंह नरवार के नेतृत्व में महासंघ के शिष्ट मण्डल ने जिला विद्यालय निरीक्षक-2, आगरा, श्री विश्व प्रताप सिंह से उनके कार्यालय में भेंट की। इस अवसर पर माननीय मुख्यमंत्री को संबोधित एक ज्ञापन सौंपा गया, जिसमें आगरा में माध्यमिक शिक्षा परिषद् उत्तर प्रदेश के क्षेत्रीय कार्यालय की स्थापना की मांग को प्रबलता से उठाया गया। इस भेंट के दौरान हुई वार्ता ने इस मांग के औचित्य को और भी स्पष्ट किया।
पच्चीस वर्षों का संघर्ष और समर्थन: आशा की किरण
डॉ. नरवार ने जिला विद्यालय निरीक्षक-2 को अवगत कराया कि आगरा में यूपी. बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय की स्थापना की मांग पिछले पच्चीस वर्षों से चली आ रही है, जिसके लिए सतत संघर्ष जारी है। इस मांग को बल प्रदान करने हेतु आगरा के तीन सांसदों—प्रो. एसपी सिंह बघेल, श्री राजकुमार चाहर, और श्री नवीन जैन—ने मुख्यमंत्री को पत्र प्रेषित किए हैं। साथ ही, आगरा के सभी विधायकों ने भी समय-समय पर इस मांग का समर्थन किया है। प्रस्तावित क्षेत्रीय कार्यालय के अंतर्गत पन्द्रह जनपदों—आगरा, मथुरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, अलीगढ़, हाथरस, एटा, कासगंज, इटावा, फर्रूखाबाद, कन्नौज, औरेया, झाँसी, ललितपुर, और जालौन (उरई)—को शामिल करने की योजना है। हाल ही में उच्च शिक्षा मंत्री श्री योगेन्द्र उपाध्याय ने भी इस मांग पर सैद्धांतिक सहमति जताई है, जिससे इस प्रयास को नया बल मिला है।
जिला विद्यालय निरीक्षक-2 का आश्वासन: जनहित में एक स्वर
जिला विद्यालय निरीक्षक-2, श्री विश्व प्रताप सिंह ने इस मांग को न्यायोचित बताते हुए कहा कि यह क्षेत्रीय जनता के हित में है। उनके अनुसार, क्षेत्रीय कार्यालय की स्थापना से जनता को आर्थिक नुकसान और समय की बर्बादी से मुक्ति मिलेगी, साथ ही क्षेत्रीय असंतुलन भी दूर होगा। उन्होंने डॉ. नरवार को आश्वस्त किया कि वे अपनी संस्तुति सहित ज्ञापन को माध्यमिक शिक्षा निदेशक, उत्तर प्रदेश को अग्रसारित करेंगे, जिससे इस दिशा में ठोस कदम उठने की संभावना प्रबल हुई है।
जिला विद्यालय निरीक्षक-1 को ज्ञापन: संरचनात्मक तैयारी का संकेत
डॉ. नरवार ने इस मांग को और व्यापक बनाने हेतु जिला विद्यालय निरीक्षक-1, श्री चन्द्र शेखर को भी एक ज्ञापन सौंपा। उन्होंने बताया कि शासन द्वारा इस कार्यालय की स्थापना के लिए दो बार प्रस्ताव माँगा जा चुका है और डायट परिसर में पुराने बीटीसी छात्रावास के 30 कमरों को इसके लिए चिह्नित किया गया है। श्री चन्द्र शेखर ने भी इस मांग का समर्थन करते हुए कहा कि क्षेत्रीय कार्यालय का खुलना क्षेत्रीय जनता के लिए सुविधा और लाभ का स्रोत बनेगा।
शिष्ट मण्डल की उपस्थिति: सामूहिक प्रयास का प्रतीक
ज्ञापन सौंपे जाने के दौरान शिष्ट मण्डल में महासंघ के जिलाध्यक्ष डॉ0 योगेन्द्र सिंह, वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ0 राघवेन्द्र सिंह, महिला उपाध्यक्ष श्रीमती ब्रजेश चौहान, कोऑर्डिनेटर डॉ0 के0पी0 सिंह, और उत्तर प्रदेश सीनियर बेसिक शिक्षक संघ, आगरा के जिलाध्यक्ष डॉ0 महेश कान्त शर्मा की उल्लेखनीय उपस्थिति रही। यह सामूहिक प्रयास इस मांग की व्यापक स्वीकार्यता और समर्थन को दर्शाता है।
पेंशन भुगतान की प्रगति: प्रशासनिक दक्षता का प्रमाण
जिला विद्यालय निरीक्षक-1 और 2 दोनों ने डॉ. नरवार को सूचित किया कि 31 मार्च 2025 को सेवानिवृत्त होने वाले सभी प्रधानाचार्यों और शिक्षकों के पेंशन भुगतान हेतु पत्रावलियाँ डी0डी0आर0, आगरा को प्रेषित की जा चुकी हैं। अब डी0आई0ओ0एस0 कार्यालय में पेंशन से संबंधित कोई कार्य लंबित नहीं है, जो प्रशासनिक दक्षता का परिचायक है।
संपादकीय टिप्पणी: डॉ. देवी सिंह नरवार—लगन और समर्पण की मिसाल
आगरा में माध्यमिक शिक्षा परिषद् के क्षेत्रीय कार्यालय की स्थापना की मांग को साकार करने के लिए डॉ. देवी सिंह नरवार का अथक प्रयास और समर्पण किसी प्रेरणा से कम नहीं है। पिछले पच्चीस वर्षों से इस मांग को लेकर उनका सतत संघर्ष, जिला विद्यालय निरीक्षकों से लेकर सांसदों, विधायकों और मंत्रियों तक वार्ता करने की उनकी दृढ़ता, क्षेत्रीय जनता के प्रति उनकी संवेदनशीलता को उजागर करती है। उनके नेतृत्व में यह प्रयास न केवल आगरा, बल्कि पन्द्रह जनपदों की जनता के लिए एक नई सुबह का संकेत देता है। शिक्षा के क्षेत्र में यह कदम एक मील का पत्थर सिद्ध हो सकता है, और डॉ. नरवार की लगन हमें यह सिखाती है कि समर्पण और दृढ़ संकल्प से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है। उनके इस प्रयास की सराहना करते हुए हमें भी अपने क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव के लिए प्रेरित होना चाहिए।
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