Dr narendra malhotra agra

गर्भवतियों की मांग से डॉक्टर हैरान, MNMH का अनुभव, डॉ. नरेंद्र मल्होत्रा और डॉ. नीहारिका मल्होत्रा की सलाह

HEALTH

Dr Bhanu Pratap Singh

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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. किसी भी महिला के लिए मां बनना सर्वाधिक सुखद अनुभूति है। मां प्रसव पीड़ा झेलती है तब बच्चे का जन्म होता है। इसी कारण मां को सशक्त भी कहा जाता है। प्रसव पीड़ा का अहसास न बच्चा और न ही पिता कर सकता है। बदलते दौर में गर्भवतियां (भावी मां) ऐसी मांग कर रही हैं कि डॉक्टर हैरान हो रहे हैं। आइए गर्भवतियों की मांग पर विस्तार से जानते हैं।

असल में मैं 18 जून, 2024 से मल्होत्रा नर्सिंग एंड मैटरिनिटी होम (MNMH), नालबंद चौराहा, एमजी रोड, आगरा में 8-10 घंटे रोज गुजार रहा हूँ। पत्रकार होने के नाते खोजबीन की आदत पड़ गई है। मरीजों के प्रतीक्षालय में समय गुजारता हूँ। यहां गर्भवती, उनकी साथ आ रहीं सास या ननद की बात सुनता हँ। इस बातचीत में यह तथ्य प्रकाश में आया है कि गर्भवती चाहती है कि उसे प्रसव पीड़ा से न गुजरना पड़े। इसलिए वह चाहती है कि नॉर्मल डिलीवरी (Normal delivery) के स्थान पर सी सेक्शन या सीजेरियन डिलीवरी (C-section or cesarean delivery) हो।

35 साल पहले की बात

मुझे स्मरण है कि मल्होत्रा नर्सिंग होम में डॉ. प्रभा मल्होत्रा, डॉ. आरएम मल्होत्रा, डॉ. नरेंद्र मल्होत्रा और डॉ. जयदीप मल्होत्रा ने मेरी पत्नी इंदु सिंह को सामान्य प्रसव (नॉर्मल डिलीवरी) ही कराई है। भयानक प्रसव पीड़ा के बाद भी नॉर्मल डिलीवरी। मेरे कई परिजनों को जब अन्य नर्सिंग होम में cesarean delivery के लिए जोर दिया गया तो उन्होंने मुझसे कहकर मल्होत्रा नर्सिंग होम में भर्ती कराया। फिर यहां नॉर्मल डिलीवरी हुई। वह ऐसा समय था जब सास की बात चलती थी। बहू की क्या मजाल कि सास की बात को टाल जाए। सास नॉर्मल डिलीवरी कराने पर जोर देती थी। यह बात 35 साल पहले की है।

35 साल बाद बदलाव

35 साल बाद देखता हूँ तो पाता हूँ कि अब सास की नहीं, बहू की चलती है। सास कितनी ही नॉर्मल डिलीवरी पर की फायदे गिनाए लेकिन बहू है कि cesarean delivery पर जोर देती है। जब वह गर्भवती होती है तो अपनी सहेलियों से राय लेती है। जो सहेली नॉर्मल डिलीवरी के दौरान दर्द से गुजरी है, वह छूटते ही cesarean delivery की सलाह देती है। फिर अन्य सहेलियों से बात। सबकी एक ही सलाह कि नॉर्मल डिलीवरी मत कराना, दर्द से मर जाएगी।

Dr Narendra Malhotra rainbow hospital
आगरा के गौरव डॉ. नरेन्द्र मल्होत्रा

गूगल से ले रहीं अधकचरा ज्ञान

देश के जाने-माने स्त्री रोग विशेषज्ञ और रेनबो हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. नरेंद्र मल्होत्रा (Dr Narendra Malhotra) बताते हैं कि हर डॉक्टर चाहता है कि नॉर्मल डिलीवरी हो ताकि कम खर्च में काम हो जाए। अगर गर्भवती ही नॉर्मल डिलीवरी के लिए तैयार नहीं है तो हम क्या कर सकते हैं। आजकल इतनी अच्छी दवाइयां आ गई हैं कि महिलाओं को बहुत अधिक पीड़ा नहीं होती है। अनेक महिलाएं गूगल से अधकचरा ज्ञान हासिल करती हैं, जिससे उनका मानस नॉर्मल डिलीवरी को स्वीकार नहीं करता है। डॉ. जयदीप मल्होत्रा ने गर्भवती के लिए आई मम्मज एप्लीकेशन (iMumz App) तैयार की है जिसमें गर्भ संस्कार समेत सभी शंकाओं का समाधान निहित है। वे कहते हैं कि मां को प्रसव पीड़ा का आनंद लेना चाहिए।

कैसे पता लगाते हैं कि प्रसव होने वाला है

आप कैसे पता लगाते हैं कि नॉर्मल डिलीवरी होने वाली है, सवाल पर डॉ. मल्होत्रा ने कहा कि गर्भावस्था के 30 वें से 34 वें सप्ताह के बीच जब भ्रूण अपने सिर की पोजीशन को बदलकर नीचे की ओर आ जाए, तो नॉर्मल डिलीवरी संभव हो पाती है। भ्रूण के सिर से माता की श्रोणि (पेल्विक) के आसपास के भाग पर दबाव पड़ता है और ब्लेडर भी सिकुड़ जाता है, जिसकी वजह से उन्हें बार-बार पेशाब आने लगता है। बच्चे की स्थिति बदलने और सिर के नीचे की ओर आने से महिलाओं की पीठ के निचले भाग पर दबाव की वजह से दर्द होने लगता है।  योनि से सफेद, गुलाबी और रक्त की तरह तरल पदार्थ ज्यादा निकलता है, जो स्वस्थ और नॉर्मल गर्भावस्था को दर्शाता है। स्तनों में सूजन भी नॉर्मल डिलीवरी का लक्षण है। जैसे-जैसे महिला प्रसव के अंतिम चरण में पहुंचती हैं,  उनके स्तनों में भारीपन होने लगता है।

प्रसव पीड़ा का हौवा

प्रसिद्ध स्त्री रोग विशेषज्ञ और स्कूली बच्चों के बीच ‘डॉक्टर दीदी’ के नाम से मशहूर डॉ. नीहारिका मल्होत्रा (Dr Neharika Malhotra) बताती हैं कि सामान्य तौर पर नॉर्मल डिलीवरी करानी चाहिए। इन दिनों यह समस्या आ रही है कि जिस महिला को सामान्य प्रसव हो सकता है वह भी cesarean delivery कराना चाहती है। इसका कारण यह है कि महिला को उसकी सहेलियों ने प्रसव पीड़ा का हौवा दिखा दिया होता है। फिल्मों में भी प्रसव के दौरान महिला को मरणासन्न स्थिति तक तड़पता हुआ दिखाया जाता है। इससे महिला डर जाती है और cesarean delivery की मांग करने लगती है। हम काउंसलिंग करते हैं, समझाते हैं, उसके घर वालों से भी बात करते हैं। इसमें सफलता भी मिलती है।

dr neharika malhotra
dr neharika malhotra

सामान्य प्रसव के लिए क्या करें

डॉ. नीहारिका मल्होत्रा ने बताया कि बच्चेदानी में भ्रूण तरल पदार्थ की थैली के अंदर होता है, जिसको तोड़कर जन्म लेता है। कई बार प्रसव से पूर्व ही द्रव्य से भरी थैली खुल जाती है। इस अवस्था में महिला को तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। गर्भवती पर्याप्त मात्रा में पानी पिए, खानपान पर ध्यान दे, तनाव से दूर रहे, योग और व्यायाम करे तो सामान्य प्रसव होता है।

नॉर्मल डिलीवरी का लाभ

डॉ. नीहारिका मल्होत्रा ने बताया कि नॉर्मल डिलीवरी का लाभ यह है अस्पताल में कम समय के लिए भर्ती होना पड़ता है, संक्रमण की कम संभावना रहती है, शीघ्र रिकवर हो जात हैं, ऑपरेशन के बाद रक्त हानि की संभावना नहीं रहती है, बच्चे का स्वास्थ्य अच्छा होता है, बच्चे को श्वासं संबंधी समस्याएं प्रायः नहीं होती हैं।

कब की जाती है सीजेरियन डिलीवरी

डॉ. नीहारिका मल्होत्रा ने बताया कि जब पेट में बच्चे की पोजीशन सही न हो, शिशु के गले में कॉर्ड यानी नाल उलझ गई हो, बच्चे के दिल की धड़कन असामान्य हो, बच्चे को विकास संबंधी समस्या हो, पेट में दो या दो से ज़्यादा बच्चे हो, पेट में शिशु को ऑक्सीजन की कमी हो रही हो, पहले से सिजेरियन या कोई बड़ा ऑपरेशन हुआ हो, शिशु का सिर बर्थ कैनाल से बड़ा हो, जब शिशु सात या आठ महीने का हो, गर्भवती को हृदय रोग आदि हों, जब योनि से प्रसव संभव या सुरक्षित न हो तो सीजेरियन डिलीवरी की जरूरत होती है। कुल मिलाकर जब जच्चा और बच्चा की जान को खतरा है तो cesarean delivery कराना भी जरूर हो जाता है।

प्रसव के बाद संबंध कब बनाएं

डॉ. नरेंद्र मल्होत्रा ने बताया कि नॉर्मल डिलीवरी या योनि से प्रसव के बाद, संबंध बनाने के लिए कम से कम 6 से 8 सप्ताह तक की प्रतीक्षा करनी चाहिए। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि डिलीवरी के बाद महिलाओं की योनी के ऊतक पतले और संवेदनशील हो जाते हैं। दोबारा संबंध बनाने से पूर्व योनि, गर्भाशय और गर्भाशय ग्रीवा को अपने सामान्य आकार में लौटने और ठीक होने का समय देना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। जटिलताओं से बचने के लिए योनि से प्रसव के बाद संबंध बनाने से पहले डॉक्टर से सलाह लें तो उचित है।

और अंत में

यहां मैं एमएनएमएच में कार्यरत डॉ. सरिता दीक्षित की चर्चा भी करना चाहूँगा। पुराने मरीज यह कहते सुने जाते हैं कि डॉ. सरिता दीक्षित तो डॉ. प्रभा मल्होत्रा की तरह स्नेहपूर्वक बात करती हैं। पुराने मरीज परामर्श कक्ष में लगी डॉ. प्रभा मल्होत्रा की तस्वीर के समक्ष हाथ जोड़कर सिर झुकाना नहीं भूलते हैं। डॉ. नीहारिका में डॉ. जयदीप मल्होत्रा की छवि अंकित है।

 

Dr. Bhanu Pratap Singh