डॉ. भानु प्रताप सिंह
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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. डॉ. केशव (Dr Keshav Malhotra) देश के जानेमाने भ्रूणविज्ञानी (Embryologist) हैं। वे पूर्णकालिक चिकित्सक और उत्तर प्रदेश को पहला टेस्ट ट्यूब बेबी देने वाले रेनबो आईवीएफ आगरा के प्रशिक्षण विभाग का नेतृत्व करते हैं, जो हर साल दुनिया भर से औसतन 200 विशेषज्ञों को प्रशिक्षित करता है। अपनी कुशलता के एक और प्रमाण के रूप में, डॉ. मल्होत्रा ने स्वास्थ्य सेवा कौशल परिषद, जो भारत के कौशल विकास मंत्रालय (Ministry of Skill Development of India) की एक शाखा है, के संचालन समूहों का भी संचालन किया है। उनके सुझावों का उपयोग भारत में भ्रूणविज्ञानियों के लिए व्यावसायिक मानकों को तैयार करने में किया जा रहा है, जिससे वे देश में इस क्षेत्र के अग्रदूतों में से एक बन गए हैं। वे देश-विदेश में प्रसिद्ध स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ. जयदीप मल्होत्रा – डॉ. नरेंद्र मल्होत्रा के पुत्र हैं। लाइव स्टोरी टाइम के संपादक डॉ. भानु प्रताप सिंह ने डॉ. केशव मल्होत्रा से भ्रूणकविज्ञान (Embryology) के बारे में बातचीत कीप्रस्तुत हैं प्रमुख अंश।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः डॉक्टर साहब, भ्रूण विज्ञान (Embryology) आम जनता के लिए काफी तकनीकी लगता है — आप इसे आसान भाषा में कैसे समझाएंगे?
Dr Keshav Malhotra: Embryology जीव विज्ञान की ऐसी शाखा है जो भ्रूण के विकास अध्ययन करती है। साथ ही आईवीएफ (In Vitro Fertilization) की विभिन्न तकनीकों, जिनसे हम उपचार करते हैं, उनका अध्ययन करती है।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः गर्भधारण के शुरुआती दिनों में भ्रूण किन-किन अहम चरणों से गुजरता है, और इनमें सबसे नाज़ुक पल कौन सा होता है?
Dr Keshav Malhotra: भ्रूण बनाने के लिए भ्रूणविज्ञानी पहले अंडा और शुक्राणु का अध्ययन करते हैं। अंडा और शुक्राणु का मेल होने के बाद पांच दिन तक अपनी प्रयोगशाला में देख सकते हैं। पहले दिन Fertilization होता है, अंडे में दो छोटे पीएन दिखाई देते हैं, फिर दो, चार, आठ Cells बनते हैं। फिर गेंद जैसा बन जाता है और अंत में ब्लास्टोसिस्ट बन जाता है। यही पांच चरण होते हैं। सर्वाधिक संवेदनशील चरण ब्लास्टोसिस्ट है। Blastocyst निषेचित अंडे का एक प्रारंभिक चरण है जो निषेचन के पाँच से सात दिन बाद बनता है। यह कोशिकाओं की एक छोटी, खोखली गेंद होती है जिसमें दो मुख्य भाग होते हैं: एक आंतरिक कोशिका द्रव्यमान (inner cell mass) जो भ्रूण बनेगा और एक बाहरी परत जिसे ट्रोफोएक्टोडर्म (trophectoderm) कहते हैं, जो प्लेसेंटा (placenta) बनेगा। यह गर्भावस्था के लिए एक महत्वपूर्ण चरण है, जिसके बाद ब्लास्टोसिस्ट गर्भाशय की दीवार में रोपण (implantation) करता है। ब्लास्टोसिस्ट को गर्भाशय की दीवार से जुड़ना (रोपण) होता है ताकि वह गर्भाशय से पोषण प्राप्त कर सके और आगे विकसित हो सके। इसमें हम चयन कर सकते हैं कि कौन सा भ्रूण डाला जाए ताकि विकसित करने में सफलता मिल सके।
डॉ. भानु प्रताप सिंहःIVF जैसी तकनीकों में एक एंब्रायोलॉजिस्ट की भूमिका कितनी अहम होती है? क्या बिना आपके ये प्रक्रिया अधूरी रह जाएगी?
Dr Keshav Malhotra:50 प्रतिशत योगदान भ्रूणविज्ञानी का होता है। बाहर का काम डॉक्टर करता है और प्रयोगशाला का काम भ्रूणविज्ञानी करता है।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः क्या माँ का खान-पान और जीवनशैली, गर्भ के शुरुआती हफ्तों में ही शिशु के भविष्य की सेहत तय कर देता है?
Dr Keshav Malhotra: जी हां। अंडा और शुक्राणु पर जीवनशैली का बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। धूम्रपान और शराब पीने से अंडा और शुक्राणु खराब होते हैं। मोटापा से भी अंडा का गुणवत्ता खराब होती है। ये छोटी-छोटी चीजें प्रजनन को प्रभावित करती हैं।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः क्या मोटापा की शिकार महिलाओं को गर्भधारण नहीं करना चाहिए?
Dr Keshav Malhotra: ऐसा नहीं कह सकते हैं लेकिन गर्भधारण से पूर्व वजन घटाने के लिए कहा जाता है। उच्च रक्तचाप, मधुमेह आदि के चलते मोटी महिलाओं में गर्भधारण मुश्किल होता है। अगर पुरुष मोटा है तो उसमें हार्मोनल व्यवधान अधिक होता है और शुक्राणुओं की संख्या घट जाती है। साथ ही अच्छे शुक्राणु बनने की संभावना घट जाती है।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः जन्मजात विकारों के पीछे कौन-कौन से कारण सबसे आम हैं? और क्या इनसे पूरी तरह बचा जा सकता है?
Dr Keshav Malhotra: ये प्रायः आनुवांशिक होते हैं। आजकल तकनीक इतनी विकसित हो गई है कि जन्मजात विकारों का पता लगा सकते हैं और सामान्य भ्रूण को ही विकसित किया जा सकता है।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः क्या यह आईवीएफ में ही संभव है?
Dr Keshav Malhotra: हां, यह सिर्फ आईवीएफ में होता है। अगर माता पिता को पता है कि आनुवांशिक व्यवधान है, जैसे थैलेसीमिया, तो हम बच्चे के अंदर जीन का परीक्षण कर सकते हैं। इससे हम रोक सकते हैं ताकि आगे परिवार में इस तरह की समस्या न आए।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः बीते कुछ सालों में भ्रूण विज्ञान में कौन-सी खोज या तकनीक ने चिकित्सा जगत में क्रांति ला दी है?
Dr Keshav Malhotra:: पिछले 10-15 वर्षों में क्रांतिकारी शोध हुए हैं। अब आईवीएफ पूरी तरह बदल गया है। एआई (Artificial intelligence) प्रत्येक क्षेत्र में आ रहा है। ये भ्रूण विज्ञान में भी आ रहा है। अब हम एआई के माध्यम से पता लगा सकते है कि प्रजनन के लिए कौन सा भ्रूण सर्वोत्तम है। कौन सा शुक्राणु और अंडा सबसे अच्छा है और आनुवांशिक रोगविहीन है। अल्ट्रासाउंड में भी एआई आ गया है, जिससे पता लगा सकता है कि कितने अंडे बढ़ रहे हैं और उनका आकार कितना है।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः क्या सच है कि गर्भवती महिला का तनाव सीधे भ्रूण के दिमाग और शरीर के विकास पर असर डालता है?
Dr Keshav Malhotra: मां के तनाव का भ्रूण के विकास पर बहुत फर्क पड़ता है। जब तक मन शांत न हो तब तक शरीर के हारमोन्स का संतुलन नहीं बनता है। इसलिए सभी को बोला जाता है कि गर्भधारण से पूर्व तनाव का स्तर कम करो। इसके लिए व्यायाम, योगा, ध्यान के माध्यम से कम कर सकते हैं। वर्तमान पीढ़ी में तनाव बहुत अधिक है। इस कारण लोग खराब आदतें बना लेते हैं जैसे धूम्रपान और शऱाब का सेवन। इससे प्रजनन क्षमता कम हो रही है। साथ ही जीवन शैली खराब हो रही है।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः कामकाजी महिला पुरुषों की विवाह की उम्र 35-40 वर्ष हो गई है, इसका भ्रूण के विकास पर क्या असर पड़ता है?
Dr Keshav Malhotra: यह जानना जरूरी है कि महिलाओं में अंडों की संख्या सीमित होती है। बच्चा पैदा होने के लिए दो लाख अंडे होते हैं और उम्र बढ़ने के साथ कम होते जाते हैं। प्रत्येक माहवारी के साथ 100-150 अंडे कम होते जाते हैं। इसके साथ ही माता-पिता की आयु बढ़ने से पैदा होने वाले बच्चों में आनुवांशिक कमियां बढ़ती जाती हैं। 25-30 साल की आयु में आईवीएफ किया जा रहा है तो 30-40 फीसदी भ्रूण में आनुवांशिक कमियां हैं। वहीं 35-40 वर्ष की आयु में आईवीएफ होने पर 50-60 फीसदी भ्रूण में कमियां हैं। 45 वर्ष से अधिक आयु में आईवीएफ होने पर 90 फीसदी भ्रूण में आनुवांशिक खामी होती है। इसलिए प्रजनन के लिए आयु सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। अगर महिला कामकाजी है या बच्चा करने से रोका जा रहा है तो उनमें प्रजनन को सुरक्षित किया जा सकता है यानी अंडों को बैंक में जमा करके रखा जा सकता है।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः यह कैसे करते हैं, इसका सिस्टम क्या है?
Dr Keshav Malhotra:: यह आईवीएफ जैसा ही है, हम भ्रूण बनाने के स्थान पर अंडों को फ्रीज करके रख देते हैं। 25-30 अंडे निकालकर रख दें तो दो से तीन बार आईवीएफ के माध्यम से भ्रूण विकसित कर सकते हैं। यह सुविधा रेनबो आईवीएफ में उपलब्ध है।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः आज के दौर में प्रदूषण, केमिकल्स और रेडिएशन का असर गर्भ में पल रहे शिशु पर कितना खतरनाक है?
Dr Keshav Malhotra: इसका बहुत असर पड़ता है। आज की तुलना में पुरुष के दादा का शुक्राणु चार गुना अधिक था। यानी हमारा शुक्राणु चार गुना कम हो चुका है। यह परिवर्तन पर्यावरण के कारण है। 1960 में प्लास्टिक का विकास हुआ, तब से हमारे हारमोन्स खराब हो रहे हैं। प्रदूषण से शरीर खराब हो रहा है। हम जितना प्राकृतिक खानपान करेंगे, उतना बेहतर है।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः भविष्य में एंब्रायोलॉजी विज्ञान हमें किन चमत्कारिक बदलावों या इलाज की उम्मीद दिला सकता है?
Dr Keshav Malhotra: आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का प्रयोग होगा। दूसरा काम ऑटोमेशन होगा। जितना काम हाथ से करना पड़ता है, वह रोबोटिक हो जाएगा। भ्रूण इतना छोटा है कि आँखों से देख नहीं सकते हैं। 200 से 400 गुना मैग्नीफाई करते हैं। इससे मानवीय त्रुटि नहीं होगी। हर चीज बिलकुल सटीक हो जाएगी।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः एक नरेंद्र मोदी के कई नरेंद्र मोदी बना सकते हैं, यह क्या है?
Dr Keshav Malhotra: यह क्लोनिंग है लेकिन एक प्रकार का भ्रूण विज्ञान है। क्लोनिंग संभव है। बहुत सारे जानवर क्लोन हो चुके हैं।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः हमारे पाठकों के लिए आपका वह एक ज़रूरी संदेश क्या होगा, जो एक स्वस्थ और सुरक्षित गर्भधारण के लिए याद रखना चाहिए?
Dr Keshav Malhotra: जागरूकता जरूरी है। लोगों को पता होना चाहिए कि गर्भधारण से पूर्व क्या करना चाहिए। अपने फिजीशियन और स्त्री रोग विशेषज्ञ से गाइडेंस लें। मेरे पास 18, 19, 20 वर्ष के लोग आ रहे हैं, वे जानना चाहते हैं कि शुक्राणु और अंडाणु ठीक हैं या नहीं। कैंसर रोगी आ रहे हैं, वे चाहते हैं कि अंडाणु और शुक्राणु सुरक्षित रख दिए जाएं ताकि इलाज के बाद प्रजनन में काम आ सकें।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः Embryology के क्षेत्र में सरकार की भूमिका क्या है?
Dr Keshav Malhotra: सरकारी मेडिकल कॉलेज में भ्रूण विज्ञान की पढ़ाई अब आना शुरू हो रहा है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में मास्टर डिग्री है। सरकार को यह समझ में आ रहा है कि आगे 15-20 वर्षों में बहुत आवश्यकता पड़ने वाली है।
डॉ. भानु प्रताप सिंहःक्या आप चाहेंगे कि देश में अनेक केशव मल्होत्रा तैयार हो जाएं?
Dr Keshav Malhotra:: मैं तो बिलकुल चाहता हूँ। जब मैंने शुरुआत की तो बहुत कम भ्रूणविज्ञानी थे। अब बहुत सारे आ रहे हैं। जैसे हमारी जनसंख्या बढ़ रही है, उतना ही बांझपन बढ़ रहा है। इसलिए आगे जाकर विशेषज्ञों की अधिक जरूरत पड़ेगी।
Embryologist डॉ. केशव मल्होत्रा हेल्थकेयर में नवाचार लाने वाले देश के 40 युवा भारतीयों में
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