आगरा के नगला भवानी में ऐतिहासिक क्षण: तथागत बुद्ध और बाबा साहब की प्रतिमा का अनावरण, भाजपा नेता उपेंद्र सिंह जाटव ने कही बड़ी बात

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प्रतिमा अनावरण समारोह में गूंजे बाबा साहब के विचार

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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat.

आगरा। डॉ. अम्बेडकर अनुयायी एकता फाउंडेशन के सौजन्य से नगला भवानी, देवरी रोड स्थित परिसर में डॉ. भीमराव अम्बेडकर और तथागत बुद्ध की प्रतिमाओं का अनावरण श्रद्धापूर्वक सम्पन्न हुआ। इस ऐतिहासिक पल ने उपस्थित समाज के लोगों के मन में गौरव और जागरूकता का संचार किया।

समाजसेवियों की गरिमामयी उपस्थिति

समारोह में अनेक प्रतिष्ठित समाजसेवी गणों ने अपनी उपस्थिति से आयोजन को गरिमा प्रदान की।
प्रमुख रूप से धर्मेन्द्र सोनी, उपेन्द्र सिंह, श्याम जरारी, नेतृपाल सिंह, अशोक पिप्पल, आशीष प्रिंस, रतन बाबू, राजेश राज, लता कुमारी, संजय कुमार एडवोकेट और राजेन्द्र टाइटलर जैसे प्रतिष्ठित नाम मंच की शोभा बने।

नगला भवानी में डॉक्टर अंबेडकर और तथागत बुद्ध की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करते भाजपा नेता उपेंद्र सिंह जाटव एवं अन्य।

शिक्षा ही है असली पूंजी: उपेन्द्र सिंह

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता उपेन्द्र सिंह जाटव ने कहा कि डॉ. अम्बेडकर ने शिक्षा को सामाजिक परिवर्तन का सबसे बड़ा हथियार माना।
उन्होंने कहा कि यदि हमें अपने समाज को प्रगति के पथ पर ले जाना है, तो हर बच्चे को शिक्षित करना ही होगा।
रूढ़ियों और कुरीतियों को त्यागकर ही हम एक समतामूलक समाज की स्थापना कर सकते हैं।
संपन्न वर्ग के लोगों को चाहिए कि वे अपने से कमजोर वर्ग की मदद करें।

संक्षिप्त परिचय: डॉ. भीमराव अम्बेडकर

डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर भारतीय संविधान के शिल्पकार, महान विधिवेत्ता, समाज सुधारक और दलित अधिकारों के प्रवक्ता थे।
उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन जातीय भेदभाव मिटाने, शिक्षा प्रसार और सामाजिक समानता के लिए समर्पित किया।
बौद्ध धर्म की शिक्षाओं से प्रेरित होकर उन्होंने न केवल स्वयं बौद्ध धर्म अपनाया, बल्कि लाखों लोगों को इसके द्वारा आत्मसम्मान का मार्ग दिखाया।

संपादकीय टिप्पणी

इस प्रकार के आयोजन केवल मूर्तियों के अनावरण भर नहीं होते, बल्कि यह समाज में चेतना, आत्मगौरव और विचारों के प्रचार के केंद्र बनते हैं।
डॉ. अम्बेडकर और तथागत बुद्ध की प्रतिमाएं केवल पत्थर की नहीं होतीं—वे उस विचारधारा की सजीव अभिव्यक्ति होती हैं जो समता, करुणा और न्याय की राह दिखाती हैं।
समाज के हर वर्ग को चाहिए कि वह ऐसे आयोजनों से जुड़कर, न केवल अपने इतिहास से जुड़े, बल्कि भविष्य की दिशा भी तय करे।
आज जब दुनिया शिक्षा और तकनीक के नए युग में प्रवेश कर रही है, तब बाबा साहब की यह प्रेरणा कि “शिक्षा ही सबसे बड़ा शस्त्र है”, अधिक प्रासंगिक हो जाती है।

Dr. Bhanu Pratap Singh