बिल समायोजन और पीडी के नाम पर करोडों रूपये के बिल मांफ किये जा रहे हैं

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Mathura (Uttar Pradesh, India)। मथुरा। विद्युत वितरण निगम को निजी हाथों में सौंपने की सरकार की तैयारी और विभागीय कर्मचारियों के विरोध के बीच बहुत कुछ छन कर बाहर आ रहा है। संयुक्त कर्मचारी संघर्ष समिति के दो दिन के कार्य बहिष्कार के बाद सरकार के साथ बनी सहमति से उपरी सतह पर ऐसा लगा रहा है कि बहुत कुछ ठीक है, वहीं दूसरे कर्मचारी संगठन जो इस कार्य बहिष्कार में संयुक्त कर्मचारी संघर्ष समिति का हिस्सा नहीं रहे वह अभी भी विरोध का झंडा उठाये हुए हैं। अब उनका विरोध सरकार के फैसले को कितना प्रभावित कर सकेगा यह भविष्य में तय होना है। वर्तामान में बहुत कुछ कर्मचारी संगठनों से जुडे नेता जो सवाल उठा रहे हैं वह कई मायनों में बेहद प्रासंगिक हैं। जनहित से जुडे इन मुद्दों पर आज नहीं तो कल चर्चा होगी ही।


विभागीय कर्मचारी और इंजीनियर की मिली भगत से बहुत कुछ विभाग के अंद ही हो रहा है

महामंत्री, आगरा डिसकॉम, विद्युत मजदूर संगठन, ऊत्तर प्रदेश मुकुल सक्सेना का कहना है कि राजस्व वसूली और लाइन लॉस उपरी सतह पर समझने में जितना सामान्य लगता है व्यवहार में उतना ही पेचीदा है। सुनने में ऐसा लगाता है कि बिजली की चोरी लोग कर रहे हैं जिससे लाइन लॉस हो रहा है, दूसरा जो लोग मीटर से बिजली जला रहे हैं वह बिल नहीं जमा कर रहे। यह ठीक हो सकता है लेकिन विभागीय कर्मचारी और इंजीनियर की मिली भगत से बहुत कुछ विभाग के अंद ही हो रहा है। बिल समायोजन और पीडी के नाम पर करोडों रूपये के बिल मांफ कर दिये जा रहे हैं। यह आम उपभोक्ता के बिल नहीं हैं। ये ताकतवर और रसूखदार लोगों के बिल हैं। जिन क्षेत्रों में सबसे ज्यादा बिल संशोधित हुए हैं और पीडी किये गये हैं उनका एक एक का आडिट करा लिया जाये। एक एक बिल का रिकार्ड खंगाल लिया जाये तो पता चलेगा कि क्या हो रहा है। घाटे को कम करने के लिए कर्मचारियां की ईमानदारी बेहद जरूरी है।

खास कर इंजीनियर्स का ईमानदार होना बेहद जरूरी है। ईमानदार उपभोक्ता पिस रहा है।
उन्होंने कहा कि एक एक डिवीजन में संशोधन के नाम पर बिजली की चोरी हो रही है। दो साल के अंदर जो भी बिलों का संशोधन हुआ है, जहां सबसे ज्यादा संशोधन हुआ है एक एक का ऑडिट करा लिया जाये। राजस्व वसूली चोरी रोकने के नाम पर हम पब्लिक सैक्टर को बेच नहीं सकते हैं। जहां तक सराकर का सवाल है तो सरकार का यह दोष है कि सरकार अपने ही विभागों के राजस्व को देती नहीं है। देने में बहुत देरी औरे आनाकानी करती है। बिजली थाने खोल दिये गये हैं। विभाग में पुलिस के लोग आ गये हैं वह अपनी मनमानी कर रहे हैं। समझना होगा कि पब्लिक सैक्टर क्यों बनाये गये थे। इन्हें इस तरह से बेचने का कोई तर्क नहीं है।

Dr. Bhanu Pratap Singh