ऑस्ट्रेलिया में 11 फरवरी को होने जा रही QUAD GROUP की बैठक से पहले ही चीन भड़क गया है। चीन ने कहा है कि क्वाड ग्रुप के सदस्य क्षेत्र में गलतियां कर रहे हैं और शीत युद्ध की मानसिकता रख रहे हैं। चीनी विदेश मंत्रालय ने क्वाड को एक ‘ब्लॉक’ के तौर पर बताया है। चीन ने अमेरिका पर ‘ब्लॉक’ बनाने और लोकतंत्र की अपनी ‘शैली’ को लागू करने का प्रयास करने का आरोप लगाया है।
इस साल क्वाड शिखर सम्मेलन जापान में
भारत के विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में क्वाड ग्रुप की चौथी मीटिंग में भाग लेने के लिए पहुंच रहे हैं। इस मीटिंग में अमेरिका, जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री भाग लेंगे। रिपोर्ट्स के मुताबिक क्वाड शिखर सम्मेलन इस साल जापान में होने की उम्मीद है। और इस बैठक में शिकार सम्मेलन की रूपरेखा तैयार की जा सकती है। बता दें कि इससे पहले चार देशों के नेताओं ने सितंबर के शिखर सम्मेलन में मुलाकात की थी, जिसमें पीएम नरेंद्र मोदी ने भाग लिया था।
अमेरिकी लोकतंत्र थोप रहा वाशिंगटन
अमेरिका को लेकर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने कहा कि अमेरिका ने लंबे समय से एक लोकतंत्र के रूप में अपनी प्रतिष्ठा खो दी है। हालांकि, यह अभी भी अन्य देशों को अपने अमेरिका शैली के लोकतांत्रिक मानकों को स्वीकार करने के लिए मजबूर करने की कोशिश कर रहा है। अमेरिका लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ एक रेखा खींच रहा है और छोटे-छोटे गुटों को एक साथ खड़ा कर रहा है। यह लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ पूर्ण विश्वासघात है।
क्वाड देश शीत युद्ध की मानसिकता से बाहर आएं
उन्होंने आगे कहा कि चीन को उम्मीद है कि अमेरिका और संबंधित देश शीत युद्ध की मानसिकता को छोड़ सकते हैं। क्षेत्रीय देशों के बीच विवाद को रोक सकते हैं और क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और समृद्धि में योगदान कर सकते हैं। रिपोर्ट्स बताती हैं कि क्वाड देश चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने और विवादित दक्षिण चीन सागर और भारत-प्रशांत क्षेत्र में अपनी कूटनीतिक ताकत बढ़ाने के लिए एक साथ आए हैं।
चीन ने क्वाड को इंडो-पेसिफिक क्षेत्र का नया नाटो बताया था
2018 में चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने क्वाड को हिंद-प्रशांत महासागर में समुद्री फोम के रूप में वर्णित किया था और कहा था कि उन्हें कुछ ध्यान मिल सकता है, लेकिन जल्द ही यह विलुप्त हो जाएगा। लेकिन वांग ने 2020 में माना था कि क्वाड सुरक्षा दृष्टिकोण से एक खतरा है और यह इंडो-पेसिफिक क्षेत्र का नया नाटो है।
-एजेंसियां
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