बस्ती:( राहिल खान)- जनपद बस्ती के हर्रैया स्थित 100 शैय्या वाला महिला अस्पताल अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। सरकार की लाख कोशिशों और योजनाओं के बावजूद यहां की हकीकत बेहद शर्मनाक है। अस्पताल मरीजों की जगह अब स्टाफ नर्स और आया के भरोसे चल रहा है, जबकि डॉक्टरों का अता-पता नहीं।
रात्रि ड्यूटी पर डॉक्टर गायब, फार्मासिस्ट का भी अता-पता नहीं
रात में जब मरीजों को डॉक्टर की सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है, तब अस्पताल में न महिला डॉक्टर रहती हैं और न ही फार्मासिस्ट। बताया जा रहा है कि डॉ. शिबा खान की ड्यूटी अस्पताल में लगी है, लेकिन उनका रात्रि निवास बस्ती शहर में होता है। वहीं फार्मासिस्ट सिर्फ कागज़ों में तैनात हैं, अस्पताल में तलाशने पर नहीं मिलते।
अधीक्षक खुद करती हैं अस्पताल से दूरी
सबसे हैरानी की बात ये है कि अस्पताल की अधीक्षक डॉ. सुषमा जायसवाल को भी अस्पताल परिसर में रहना मंज़ूर नहीं। सरकारी आवास एलॉट होने के बावजूद डॉक्टरों का अस्पताल से नाता महज़ कागज़ों तक सिमट कर रह गया है।
डॉक्टरों की परमानेंट तैनाती, लेकिन अस्पताल आना ‘कभी-कभार’
सूत्रों की मानें तो डॉ. अनीता वर्मा, डॉ. रंजू कनौजिया और डॉ. शिबा खान की स्थायी तैनाती है, लेकिन उनकी मौजूदगी अस्पताल में देखने को नहीं मिलती। वहीं डॉ. एमके चौधरी, डॉ. क्षेत्रपाल, डॉ. दीपक शुक्ला और डॉ. अजय पटेल जैसे नाम भी तैनात हैं, पर ड्यूटी से ज़्यादा उनका झुकाव निजी अस्पताल चलाने की ओर है।
जनता की सेहत से खिलवाड़, जिम्मेदार बने मूकदर्शक
सरकार की स्वास्थ्य सेवा को मज़ाक बनाकर रख दिया गया है। जनता के हक की स्वास्थ्य सुविधाएं जिम्मेदारों की लापरवाही की भेंट चढ़ रही हैं। सवाल यह उठता है कि आखिर इतने बड़े अस्पताल की निगरानी कौन कर रहा है? और कब तक आम जनता को इस दुर्व्यवस्था का शिकार होना पड़ेगा?
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