मथुरा की सविता की याचिका पर ’हाईकोर्ट ने मांगा यूपी सरकार से जवाब
सर्टिफिकेट सत्यापन के दौरान बडी संख्या में होल्ड पर हैं चयनित अभ्यर्थी
Mathura, Uttar Pradesh, India. उत्तर प्रदेश में 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती में चयनित अभ्यर्थियों को बडी संख्या में शिक्षा विभाग ने स्थानीय स्तर पर शैक्षिक प्रमाणपत्रों के सत्यापन की प्रक्रिया के दौरान होल्ड पर कर दिया था। इसे लेकर इन अभ्यर्थियों द्वारा विरोध कई बार दर्ज कराया गया। दूसरी ओर विभाग ने पूर्व में हुई गलतियों से सबक लेने का हवाला देते हुए इस तरह के मामलों को विभाग के उच्चाधिकारियों के ऊपर डाल कर खुद को सुरक्षित करने का प्रयास किया गया। यह मामला इससे भी एक कदम आगे का है।
मथुरा की सविता ने याचिका में कहा है कि उसके पति भी अन्य पिछड़ा वर्ग के हैं इसलिए उनकी जाति का प्रमाणपत्र लगाने से उसे आरक्षण के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता। याची का यह भी कहना था कि उसका गुणांक सामान्य वर्ग की अंतिम चयनित महिला अभ्यर्थी से अधिक है। इस आधार पर वह सामान्य वर्ग में चयनित किए जाने योग्य है इसलिए उसकी नियुक्ति रद्द नहीं की जा सकती है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में परिषद को जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। यूपी सरकार से जवाब भी मांगा है।
यह है पूरा मामला
सविता की 15 अप्रैल 20 को उसकी काउंसलिंग हो गई और उसे मथुरा में विद्यालय आवंटन भी कर दिया गया। बाद में चार दिसंबर 2020 को जारी शासनादेश के क्लाज 3(2) का हवाला देते हुए याची की नियुक्ति इस आधार पर निरस्त कर दी गई कि उसने अपने पति की जाति का प्रमाणपत्र लगाया है। अधिवक्ता का कहना था कि याची ओबीसी वर्ग की है और उसने ओबीसी से ही शादी की है। ऐसे में उसे ओबीसी कोटे के तहत आरक्षण का लाभ देने से इनकार नहीं किया जा सकता है।
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