यह कोई कहानी नहीं, यह उस कड़वे सच की रिपोर्ट है, जिसे मैंने खुद देखा, महसूस किया और समाज की अंतरात्मा को झकझोर देने वाला मंजर पाया
डॉ. भानु प्रताप सिंह
Live Story Time
Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. आगरा के कमला नगर एफ ब्लॉक में सत्य प्रकाश विकल चैरिटेबल नेत्रालय है। इसका संचालन अग्रवाल संगठन कमला नगर द्वारा किया जाता है। यहां सिर्फ 30 रुपए में आंखों की जांच की जाती है। 3000 रुपए में मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया जाता है। यहां की सुव्यवस्थाओं के चलते आगरा के आसपास के जिलों के लोग भी यहां आंखों का इलाज करने आते हैं।
क्या देखा
मैं 4 अप्रैल, 2025 को नेत्रालय में नेत्र परीक्षण कराने गया। उस समय प्रातः 9 बजे रहे थे। मैंने देखा कि नेत्रालय के ठीक बगल में देशी शराब का ठेका खुला हुआ है और अवैध रूप ले शराब बिक रही है। दिखाने को तो ठेका बंद है और बाहर से ताला लगा हुआ था लेकिन शटर के नीचे एक ईंट हटाकर जगह बनाई गई है। शरीब खरीदने के लिए दो लोग हैं। एक खड़ा है और एक बैठा हुआ है। वह शटर बजाता है। नीचे हाथ डालता है। अंदर बैठा व्यक्ति रुपये लेता है और शराब की बोतल पकड़ा देता है। शराबी शराब पाकर खुश होता है और चला जाता है।
छत से निगरानी
मेरा माथा ठनका। पहला तो इस बात आश्चर्य हुआ कि अस्पताल के बगल में शराब शराब का ठेका खुला हुआ है। दूसरा आश्चर्य इस बात पर हुआ कि प्रातः 9 बजे ही शराब बेची जा रही है। पत्रकार के नाते सामाजिक धर्म निभाते हुए मैंने अपना मोबाइल निकाला और वीडियो बनाना शुरू कर दिया। शरीब खरीदने वाले की नजर मुझ पर पड़ी तो वे हट गए। मुझे देख शराब के ठेके की छत पर बैठा व्यक्ति बोला, “वीडियो बनाकर क्या कर लोगो, पूरे आगरा में इसी तरह से शराब बिक रही है। दम है तो वहां भी रुकवाओ।” यह व्यक्ति छत पर निगरानी के लिए तैनात है ताकि कोई पुलिस वाला आए तो सतर्क कर दे।
मैंने उसे व्यक्ति को डपटा और कहा, “तुम्हें तनिक भी शर्म नहीं है, दिनदहाड़े चोरी और सीना जोरी कर रहे हो।”
इस पर वह व्यक्ति और जोर से चिल्लाया और मोबाइल निकालकर फोन मिलाने लगा।
मैं भी ताव में आ गया और कहा, “तेरा ठेका ही बंद कराता हूँ।”
मैंने होशियारी दिखाते हुए वीडियो और फोटो कुछ पत्रकारों के वॉट्सअप ग्रुप में डाल दिए ताकि सनद रहे।

नहीं लगी कॉल
मैंने जिलाधिकारी आगरा को फोन किया लेकिन कॉल मिला नहीं। एक बार घंटी गई लेकिन उधर से लौटकर फोन नहीं आया। वैसे भी अधिकारी हैं, समान्य जन से उन्हें क्या लेना-देना।
नेत्रालय के बाहर काले वस्त्रों में दाढ़ी वाला गार्ड महोदय विराजमान थे। मैंने उनसे कहा कि बगल में शराब बिक रही है, कम से कम टोक तो सकते हो। इस पर उसने कहा कि हम क्या कर सकते हैं।
अस्पताल के कर्मचारियों ने बताया कि यहां पूरे दिन शराबियों को जमघट लगा रहता है। सड़क पर शराब पीते हैं। शराबियों के मुँह कौन लगे।
सुनील विकल की पीड़ा
हमने इस बारे में जाने-माने समाजसेवी सुनील विकल से बातचीत की तो उनका दर्द उमड़ पड़ा। कहा, सबको चिट्ठी लिख चुके हैं। सांसद और विधायकों को बता चुके हैं। इसके बाद भी शराब का ठेका चल रहा है।
नियमोल्लंघन कर धड़ल्ले से शराब बिकना यानी बेशर्मी… कानून और इंसानियत दोनों का मखौल है।
शराब की अवैध रूप से बिक्री रोकने की जिम्मेदारी आबकारी विभाग की है। लगता है चांदी का जूता खाकर आबकारी विभाग आंखें बंद किया रहता है।
कानून क्या कहता है?
उत्तर प्रदेश आबकारी अधिनियम 1910 की धारा 24-28 के अनुसार अस्पताल, स्कूल, धार्मिक स्थलों के पास शराब की दुकान खोलना पूरी तरह प्रतिबंधित है। नेशनल गाइडलाइन के मुताबिक शराब की दुकान किसी अस्पताल, स्कूल या धार्मिक स्थल से कम से कम 100 मीटर की दूरी पर होनी चाहिए। लेकिन यहां तो कानून का गला ही घोंट दिया गया है। नेत्रालय की दीवार के ठीक बराबर एक नहीं, शराब की दो दुकाने हैं, एक देसी और दूसरी अंग्रेजी शराब की। है न आश्चर्य की बीत।
आखिर आबकारी विभाग क्यों मौन है? यह सवाल सिर्फ मेरा नहीं, पूरे समाज का है।
क्या आबकारी विभाग की आंखें बंद हैं या जेबें भारी हो गई हैं?
क्या किसी चमत्कारी ‘सरंक्षण‘ की छाया में पल रहा है यह शराब कारोबार?
“अगर अस्पताल के दरवाजे से सटी हुई दीवार के पीछे शराब बिकेगी, तो समझ लीजिए कि सरकारें बौनी और व्यवस्था बिकाऊ हो चुकी है।”
आगरा का कमला नगर आज सवाल पूछ रहा है —
किसमें है दम — जो इस शराब माफिया पर कार्रवाई कर सके?
क्या आबकारी विभाग सिर्फ नाम का है?
क्या अस्पताल के बगल में शराब बिकना सरकार की नीति है या माफिया की मर्जी?
यह सिर्फ शराब की दुकान नहीं है — यह कानून, नैतिकता और जनभावनाओं का बलात्कार है। अगर इस पर भी कार्रवाई नहीं हुई — तो यकीन मानिए — फिर अपराधियों से बड़ी अपराधी व्यवस्था बन जाएगी।
आखिर किस माई के लाल में दम है जो अवैध रूप से शराब बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर सके।
अस्पताल के बगल में शराब की दुकान सिर्फ कानून तोड़ना नहीं है, यह मानवीय संवेदनाओं की हत्या है। अस्पताल जीवन देता है, शराब जीवन निगलती है।
हम सब जानते हैं कि शराब सिर्फ स्वास्थ्य का दुश्मन नहीं है, यह परिवार तोड़ती है, संस्कार मिटाती है और अपराध बढ़ाती है। महिलाओं के साथ अपराध शराब के नशे में ही किए जाते हैं।
फ्रैंक सिनात्रा का कथन है, “First you take a drink, then the drink takes a drink, then the drink takes you”
क्या कहते हैं नागरिक
नागरिकों का कहना है कि आबकारी विभाग तत्काल कार्रवाई करे, इन अवैध दुकानों को बंद करे, और यदि भ्रष्टाचार शामिल है, तो उसकी जांच हो। यह आगरा की प्रतिष्ठा पर धब्बा है और कानून का पालन करने वाले नागरिकों के लिए अपमान है।
अवैध शराब की दुकानें अस्पताल के पास न केवल कानूनी नियमों का उल्लंघन करती हैं, बल्कि जन स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए भी गंभीर जोखिम पैदा करती हैं। अस्पताल उपचार और शांति के स्थान हैं, और शराब की दुकानें वहां परेशानी और अपराध की संभावना बढ़ा सकती हैं। स्थानीय प्रशासन को नियमित निरीक्षण करने, उल्लंघन के लिए सख्त दंड लागू करने, और अपनी गतिविधियों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। केवल ऐसी कार्रवाइयों से ही हम एक सुरक्षित और व्यवस्थित समाज की उम्मीद कर सकते हैं।
वीडियोः आगरा में शराब की अवैध रूप से बिक्री, वह भी अस्पताल के बगल में, किसमें दम है कार्रवाई करे
मेरे हसबैंड मुझको प्यार नहीं करते, रोमांटिक उपन्यास
- भाजपाइयों की बुनियादी सोच सामंतवादी, भाजपा के अंदर पदनाम भले किसी दलित-पिछड़े को मिल जाए पर ‘पदमान’ कभी नहीं मिलता: अखिलेश यादव - April 21, 2025
- Agra News: जहरीले लड्डू खिलाकर मां ने ही की थी बेटे और बहू की हत्या, साजिश में शामिल थे दोनो बेटे और बड़ी बहू, पुलिस ने किया खुलासा - April 21, 2025
- Agra News: बड़ा हादसा टला, हवा में अनियंत्रित हुआ पैराशूट, हाईटेंशन विद्युत लाइन की चपेट में आने से बाल-बाल बचा जवान, खेत में की लैंडिंग - April 21, 2025