आगरा। संजय प्लेस की रेजिडेंशियल और कमर्शियल प्रॉपर्टीज़ के मालिक अब खुद को अपनी ही जमीन पर किरायेदार महसूस कर रहे हैं। वजह, नगर निगम द्वारा पब्लिक यूज़ की पार्किंग को ठेके पर देकर हर रोज चारपहिया वाहन के लिए 50 रुपये और दोपहिया के लिए 20 रुपये की वसूली की जा रही है।
सबसे गंभीर बात यह है कि यह चार्ज उन्हीं प्रतिष्ठान मालिकों से लिया जा रहा है, जिन्होंने वर्षों पहले पार्किंग की कीमत एडीए को रजिस्ट्री के साथ चुका दी थी।
पार्किंग तो हमारी है, फिर टैक्स किस बात का?
मंगलवार को संजय प्लेस स्थित आहार रेस्टोरेंट में प्रेसवार्ता में प्रतिष्ठान मालिकों ने इसे नगर निगम की मनमानी करार दिया। संस्कार भारती के अध्यक्ष व आर्किटेक्ट राजीव द्विवेदी ने बताया कि संजय प्लेस के निर्माण की शुरुआत 1980 में हुई थी। तब पुणे की कंसल्टेंसी कंपनी किरलोस्कर ने इसका फिजिकल और फाइनेंशियल प्लान तैयार किया था।
प्रत्येक ब्लॉक को कॉमन पार्किंग के साथ जोड़ा गया, जिसकी कीमत भी रजिस्ट्री में शामिल थी। नियमानुसार यह पार्किंग भवन स्वामी और उपयोगकर्ताओं के लिए निःशुल्क मानी जाती है। फिर नगर निगम इसे ठेके पर देकर किस अधिकार से शुल्क वसूल रहा है?
छूट सिर्फ सरकारी दफ्तरों को
संजय प्लेस में फिलहाल करीब 100 स्थानों पर पार्किंग शुल्क लिया जा रहा है। छूट सिर्फ जीएसटी, इनकम टैक्स, सीडीओ जैसे प्रभावशाली दफ्तरों को मिली है, जिन्होंने अपने परिसर को बाउंड्री कर निजी पार्किंग में तब्दील कर दिया है।
सड़क पर खड़ी गाड़ी पर भी चार्ज
श्री द्विवेदी ने कहा कि बात यहीं खत्म नहीं होती। बंधन बैंक और कॉसमॉस मॉल जैसे स्थानों पर सड़क किनारे गाड़ी खड़ी करने पर भी शुल्क वसूला जा रहा है।
आरटीआई का जवाब नहीं, वादे भी अधूरे
उन्होंने बताया कि नगर निगम से मांगी गई आरटीआई का अब तक कोई जवाब नहीं मिला है। पूर्व नगरायुक्त टीकाराम फुंडे ने एक बैठक में वादा किया था कि संजय प्लेस के प्रतिष्ठान मालिकों से पार्किंग शुल्क नहीं लिया जाएगा। वर्तमान अपर नगरायुक्त सुरेन्द्र यादव ने भी फोन पर यही भरोसा दिया था, लेकिन तीन महीने बीत जाने के बाद भी जमीनी हालात नहीं बदले।
महिलाओं से बदसलूकी, सुरक्षा पर सवाल
श्री द्विवेदी ने बताया कि ठेकेदार द्वारा तैनात महिला कर्मचारी, पार्किंग में आने वाली अन्य महिलाओं से अभद्रता कर रही हैं। इसके चलते कई महिला कर्मचारी संजय प्लेस को असुरक्षित मानते हुए नौकरी छोड़ने की तैयारी में हैं।
मूल सवाल
-जब पार्किंग के पैसे पहले ही लिए जा चुके हैं, तो दोबारा शुल्क क्यों?
-क्या नगर निगम, नियमों को ताक पर रखकर वसूली कर रहा है?
-कर्मचारियों पर रोज़ाना का अतिरिक्त खर्च व्यवहारिक कैसे है?
-पब्लिक स्पेस को अफसरों ने निजी क्यों बना लिया?
अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर ठेका दिया
श्री द्विवेदी ने कहा कि भवन निर्माण से संबंधित नियमों के अनुसार किसी भी बहुखंडी भवन का मानचित्र बिना पार्किंग के पास नहीं किया जा सकता है। यह पार्किंग उस भवन के मालिकों/उपयोग कर्ताओं के लिए निःशुल्क होती है। इसी निःशुल्क पार्किंग को नगर निगम ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर ठेका उठा दिया है।
इस अवसर पर मुख्य रूप से भानु भूषण श्रीवास्तव अजय गोयल राहुल गुप्ता विनीत कालरा निर्भय मित्तल रोहित दुआ नितिन लालवानी सुशांत सिंहल संदीप अरोड़ा आदि मौजूद थे।
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