Agra News: छोटी उम्र में अनाथ हुए भालू के बच्चे को वाइल्डलाइफ एसओएस के संरक्षण केंद्र में मिला नया जीवन

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मध्य प्रदेश वन विभाग द्वारा शहडोल के बाहगढ़ गांव से बचाई गई पांच महीने की मादा भालू शावक को वाइल्डलाइफ एसओएस की विशेषज्ञ देखभाल में सुरक्षित आश्रय मिला है। शावक, जिसका नाम जेनी रखा गया है, गंभीर रूप से घायल अपनी माँ के पास देखि गई थी, जो मानव-वन्यजीव संघर्ष की शिकार हुई थी, बाद में गहन उपचार के बावजूद माँ भालू ने गंभीर चोटों के कारण दम तोड़ दिया। जेनी का वर्तमान में वाइल्डलाइफ एसओएस द्वारा संचालित आगरा भालू संरक्षण केंद्र में रखरखाव किया जा रहा है, जहाँ उसे चौबीसों घंटे देखभाल मिल रही है।

मध्य प्रदेश में स्थित शहडोल के शांत जंगलों में एक छोटे से भालू के बच्चे के चीखने की आवाजें सुनाई दे रही थी, क्योंकि उसकी माँ गंभीर रूप से घायल हो गई थी। वन विभाग के गहन प्रयासों के बावजूद, दुर्भाग्य से माँ की मृत्यु हो गई। जंगल में अकेले जीवित रहने की बहुत कम संभावना के साथ, अनाथ शावक को देखभाल के लिए मध्य प्रदेश वन विभाग द्वारा लाया गया। शावक के जीवित रहने के लिए उसको अत्यधिक देखभाल, प्यार और ध्यान की आवश्यकता को देखते हुए, उसे विशेष देखभाल के लिए वाइल्डलाइफ एसओएस के आगरा भालू संरक्षण केंद्र भेज दिया गया।

आगमन पर, उसमें पाचन संबंधी परेशानी के स्पष्ट लक्षण दिखाई दिए। जेनी को तुरंत कब वीनिंग यूनिट में रखा गया, जहाँ संस्था की पशु चिकित्सा टीम ने उसकी स्थिति को स्थिर करने के लिए सावधानीपूर्वक, चौबीसों घंटे देखभाल की व्यवस्था शुरू कर दी।

इस शावक का नाम अभिनेत्री जेनिफर विंगेट के नाम पर जेनी रखा गया है। अब उसमें सुधार के संकेत दिख रहे हैं। उसे दिन में दो बार विशेष दूध का फॉर्मूला दिया जा रहा है और पोषक तत्वों से भरपूर आहार का उस पर अच्छा असर हो रहा है। जेनी की भूख में काफी सुधार हुआ है और उसका वजन भी लगातार बढ़ रहा है।

वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ, कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, “इस युवा शावक ने इतनी कम उम्र में बहुत बड़ा आघात सहा है। वन विभाग द्वारा समय पर की गई कार्रवाई और हमारी टीम के समर्पण के कारण, जेनी को अब जीवन का दूसरा मौका मिला है।”

वाइल्डलाइफ एसओएस की सह-संस्थापक और सचिव, गीता शेषमणि ने कहा, “हमारे देखभालकर्ता उसे वह मातृत्व देखभाल प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं जो उसने खो दी थी। उसकी भावनात्मक और शारीरिक भलाई हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।”

वाइल्डलाइफ एसओएस के डायरेक्टर कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स, बैजूराज एम.वी. ने कहा, “यह मामला आवास अतिक्रमण के वन्यजीवों पर पड़ने वाले प्रभाव को रेखांकित करता है। हम वन विभाग के प्रति उनकी त्वरित और दयालु कार्रवाई के लिए आभारी हैं।”

वाइल्डलाइफ एसओएस की पशु चिकित्सा सेवाओं के उप निदेशक, डॉ. इलियाराजा एस ने कहा “हमने जेनी के लिए जो पौष्टिक आहार तैयार किया है, उसका असर उसके व्यवहार पर दिख रहा है – पांच महीने की बच्ची की भूख अच्छी हो गई है और उसका फर भी नरम होना शुरू हो गया है। उसकी सारी थकान की जगह अब खुशमिजाज चंचलता ने ले ली है।”

जेनी की कहानी जंगली जानवरों के सामने बढ़ते खतरों की एक मार्मिक याद दिलाती है। वाइल्डलाइफ एसओएस लोगों से संरक्षण प्रयासों का समर्थन करने, जंगलों की रक्षा करने और मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने की तत्काल आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाने का आग्रह करती है।

-up18News

Dr. Bhanu Pratap Singh