डॉ भानु प्रताप सिंह
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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat.
आगरा। आंखें अनमोल हैं, लेकिन उन्हें नुकसान पहुंचाने वाला सामान खुलेआम सड़कों पर बिक रहा है। इस चिंता को लेकर आगरा के प्रसिद्ध ऑप्टिमिस्ट एवं प्राइम ऑप्टिकल के संचालक गजेंद्र शर्मा ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने सस्ते और घटिया चश्मों की बढ़ती बिक्री पर गहरी चिंता व्यक्त की है और इसे आमजन की दृष्टि के लिए एक बड़ा खतरा बताया है।
रेटिना पर पड़ रहा है सीधा असर
गजेंद्र शर्मा का कहना है कि आजकल बाजार में मिलने वाले सस्ते चश्मों — जैसे कि ₹99 और ₹49 में मिलने वाले — से लोगों की आंखों को गंभीर नुकसान हो रहा है। “यह चश्मे पहनना ऐसा है जैसे कोई व्यक्ति जानबूझकर अपनी आंखों की रोशनी छीन रहा हो,” उन्होंने कहा।
उन्होंने बताया कि घटिया लेंस और असंतुलित पावर की वजह से रेटिना पर सीधा प्रभाव पड़ता है, जिससे दीर्घकाल में दृष्टि हानि हो सकती है।
बड़ी कंपनियों पर भी उठाया सवाल
केवल सड़क किनारे बिकने वाले चश्मे ही नहीं, बल्कि कुछ नामी कंपनियों पर भी गजेंद्र शर्मा ने सवाल उठाए। उन्होंने आरोप लगाया कि लागत कम रखने के चक्कर में ये कंपनियां भी गुणवत्ता से समझौता कर रही हैं। उन्होंने कहा कि आंखों से जुड़ा कोई भी उत्पाद ‘सस्ता’ नहीं बल्कि ‘सही’ होना चाहिए।
जल्द सुप्रीम कोर्ट जाएंगे गजेंद्र शर्मा
इस मुद्दे को लेकर गजेंद्र शर्मा अब केवल बयानबाजी तक सीमित नहीं रहना चाहते। उन्होंने बताया कि वह जल्दी ही सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर करने जा रहे हैं। उनका उद्देश्य है कि सरकार इस मामले में नियम बनाए, चश्मों की गुणवत्ता की जांच अनिवार्य की जाए, और सड़कों पर खुलेआम बिकने वाले चश्मों की बिक्री पर रोक लगे।
जन-जागरूकता की अपील
श्री शर्मा ने आमजन से भी अपील की कि वे अपनी आंखों के स्वास्थ्य को लेकर सजग रहें। “कम कीमत के चक्कर में कभी भी अपनी दृष्टि से समझौता न करें। केवल प्रमाणित ऑप्टिकल स्टोर्स से ही चश्मा बनवाएं और आई स्पेशलिस्ट की सलाह से ही पावर निर्धारित करवाएं,” उन्होंने कहा।
यह बात स्पष्ट है कि आंखें केवल देखने का माध्यम नहीं, जीवन की दिशा हैं। ऐसे में गजेंद्र शर्मा की यह पहल केवल एक चेतावनी नहीं बल्कि एक सामाजिक आंदोलन की शुरुआत है। यदि यह याचिका सफल होती है तो देशभर में करोड़ों लोगों की आंखों को सुरक्षित करने की दिशा में यह एक मील का पत्थर साबित हो सकती है।