आगरा। आगरा जिले की सड़कों पर शायद ही कोई दिन ऐसा गुजरता हो, जब सड़क दुर्घटनाएं न होती हों। रविवार रात को ही लें, जिले के तीन थाना क्षेत्रों में अलग-अलग हुई सड़क दुर्घटनाओं ने पांच लोगों की जान ले ली। ये हादसे बसई अरेला, खंदौली और एत्माद्दौला क्षेत्र में हुए। ये दुर्घटनाएं साबित कर रही हैं कि आगरा की सड़कें अब मौत की गारंटी बन चुकी हैं। इन दोनों हादसों में पांच लोगों की जान चली गई, जबकि कई गंभीर रूप से घायल हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर आगरा की पुलिस और प्रशासन इन जानलेवा हादसों को रोकने के लिए क्या कर रहा है?
प्रशासन की चुप्पी बन रही जानलेवा
सड़क हादसों में पुलिस ने तो अपनी भूमिका घटनास्थल पर पहुंचकर घायलों को अस्पताल और मृतकों के शव पोस्टमार्टम गृह भिजवाने तक सीमित कर ली है। पुलिस कभी ऐसा कोई कदम नहीं उठाती कि ये हादसे रुकें। वरिष्ठ अधिकारियों को इन हादसों का विश्लेषण कर ठोस कार्ययोजना बनानी चाहिए, लेकिन लोग मरें तो मरें, पुलिस की बला से। यही हाल प्रशासनिक अधिकारियों का है। सड़कों से संबंधित विभागों से लेकर परिवहन विभाग का भी दायित्व बनता है कि इन हादसों की वजहों को तलाशें, लेकिन यहां भी सब अपने आप में मस्त् हैं।
अनट्रेंड दौड़ा रहे वाहन, कहीं जांच नहीं होती
शहरी क्षेत्र में ट्रैफिक पुलिस और शहर से बाहर पुलिस और परिवहन विभाग का दायित्व बनता है कि इस ओर जरूरी कदम उठाये। हालत यह है कि न कहीं चालकों की जांच होती है और न ही ट्रैफिक कंट्रोल की कोई योजना नजर आती है। स्पीड कंट्रोल की भी कोई प्रभावी व्यवस्था नजर नहीं आती। ऐसा लगता है जैसे हादसों के बाद महज खानापूरी करना ही प्रशासन की जिम्मेदारी बन गई है। अनट्रेंड लोग भारी वाहनों को दौड़ाते हैं और यही लोगों के लिए जानलेवा साबित होते हैं।
खंदौली में बेकाबू बस ने ली दो युवकों की जान
शनिवार देर रात आगरा-अलीगढ़ हाईवे पर खंदौली के पास एक बेकाबू टूरिस्ट बस ने बाइक सवार दो दोस्तों अवधेश और मुकुट जूरैल को कुचल दिया। दोनों की मौके पर ही मौत हो गई। दोनों गांव गोविंदपुर, थाना सादाबाद, जिला हाथरस के निवासी थे। बस चालक मौके से फरार हो गया, लेकिन पुलिस ने बस को जब्त कर लिया है और चालक की तलाश जारी है। पुलिस मौके पर पहुंची, शव उठाए गए। एफआईआर दर्ज हुई, लेकिन क्या इससे दो घरों का उजड़ना रुका?
एत्माद्दौला में पैदल चल रहे राहगीरों को कुचला
रविवार की रात ही एत्मादुद्दौला क्षेत्र में प्रकाश नगर पुलिया के पास एक और बेकाबू बस ने दो लोगों को कुचल दिया। दोनों की मौत हो गई। मृतकों की पहचान रामेश्वर सिंह (45 वर्ष) और सुरेश चंद्र (50 वर्ष), निवासी एटा के रूप में हुई है। इसी बस की टक्कर से चार लोग घायल भी हुए हैं।
अरनौटा में बेकाबू बस ने ली एक जान, पांच घायल
रविवार रात को ही एक और दुर्घटना आगरा-बाह रोड पर अरनौटा के पास हुई थी, जहां रोडवेज से अटैच एक प्राइवेट बस ने एक कार और बाइक को रौंद दिया था, जिसमें बाइक पर सवार लक्ष्मी नामक युवती (भोर बटेश्वर) की मौत हो गई थी जबकि मृतका का चचेरा भाई और बहन घायल हो गये थे। कार में सवार तीन लोग भी घायल हुए थे।
कहां है ट्रैफिक मैनेजमेंट?
आगरा शहर से बाहर की सड़कों पर न तो स्पीड गन हैं, न ही सीसीटीवी से ट्रैकिंग हो रही है। जिले की सड़कों पर पर दौड़ती प्राइवेट बसें और डग्गेमार वाहन बिना किसी चेकिंग के रफ्तार भरते हैं। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि जब तक कोई वीआईपी हादसे का शिकार नहीं होता, तब तक प्रशासन नींद में ही रहता है। आम लोगों की जान यहां कोई मायने नहीं रखती।
जरूरत क्या है?
हादसों पर तुरंत कार्रवाई से आगे जाकर स्थायी समाधान की ज़रूरत है। हाईवे और प्रमुख सड़कों पर स्पीड मॉनिटरिंग सिस्टम लगाया जाए। अनफिट वाहनों और अनट्रेंड चालकों के खिलाफ नियमित अभियान चलाया जाए। ट्रैफिक पुलिस की सक्रियता बढ़ाई जाए।
क्या प्रशासन जागेगा, या फिर कोई और हादसा जरूरी है?
अब वक्त आ गया है कि आगरा प्रशासन इन हादसों को केवल आंकड़ों के तौर पर देखना बंद करे और ज़मीनी स्तर पर बदलाव लाए। वरना ताजनगरी के हर मोड़ पर, हर मौसम में, मौत दस्तक देती रहेगी और प्रशासन तमाशबीन बना रहेगा।
-साभार सहित
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