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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ, उत्तर प्रदेश की प्रदेश कार्यसमिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं संघर्ष-समिति के अध्यक्ष डॉ. देवी सिंह नरवार के नेतृत्व में आज अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों से सेवानिवृत्त प्रधानाचार्यों एवं शिक्षकों ने नोशनल वेतनवृद्धि का लाभ शीघ्र प्रदान करने की माँग को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया।
डी.डी.आर. की अनुपस्थिति में खाली कुर्सी का घेराव
पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार, सायं 3:00 बजे शिक्षकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने उप शिक्षा निदेशक (डी.डी.आर.) श्री मनोज कुमार गिरि के कार्यालय में उनकी अनुपस्थिति में उनकी खाली कुर्सी का घेराव किया और नारेबाजी कर विरोध दर्ज कराया। इस दौरान डॉ. नरवार ने दूरभाष पर डी.डी.आर. से वार्ता कर सेवानिवृत्त शिक्षकों को नोशनल वेतनवृद्धि का लाभ देने की माँग को दोहराया।
24 मार्च को वार्ता का आश्वासन
वार्ता के दौरान डी.डी.आर. श्री मनोज कुमार गिरि ने संघर्ष-समिति के पदाधिकारियों को 24 मार्च, सोमवार को बैठक करने का आश्वासन दिया। इसके उपरांत, शिक्षक प्रतिनिधियों ने मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक (जे.डी.) डॉ. आर.पी. शर्मा से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौंपा और इस विषय पर विस्तृत चर्चा की।
नोशनल वेतनवृद्धि पर शिक्षकों की चिंता
संघर्ष-समिति के अनुसार, 30 जून 2006 से 30 जून 2016 के बीच सेवानिवृत्त हुए प्रधानाचार्यों एवं शिक्षकों को एक नोशनल वेतनवृद्धि का लाभ मिलना चाहिए। किंतु, एक विवाद यह है कि जिन अध्यापकों को सत्र-लाभ मिल चुका है, वे इस वृद्धि के पात्र हैं या नहीं।

निर्देशों के अभाव में अटका मामला
उप शिक्षा निदेशक (डी.डी.आर.) श्री मनोज कुमार गिरि ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक, उत्तर प्रदेश को कई बार पत्र लिखकर स्पष्ट निर्देश माँगे हैं। अब तक कोई स्पष्ट उत्तर प्राप्त न होने के कारण प्रक्रिया लंबित है।
संघर्ष समिति की दो-टूक चेतावनी
डॉ. देवी सिंह नरवार ने संयुक्त शिक्षा निदेशक डॉ. आर.पी. शर्मा को अवगत कराया कि यदि नोशनल वेतनवृद्धि पर अनावश्यक प्रतिबंध लगाए गए, तो किसी भी पेंशनर को इसका लाभ नहीं मिल सकेगा। जबकि 12 दिसंबर 2024, 13 फरवरी 2025 एवं 10 मार्च 2025 को माध्यमिक शिक्षा निदेशक द्वारा जारी निर्देशों में ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है। अतः, सभी पात्र शिक्षकों को इसका लाभ तुरंत मिलना चाहिए।
संघर्ष समिति का प्रतिनिधिमंडल
इस महत्वपूर्ण बैठक में संघर्ष समिति के संयोजक डॉ. कुंजिल सिंह चाहर, जिलाध्यक्ष डॉ. योगेंद्र सिंह, अर्जुन सिंह चाहर, महेश चंद्र शर्मा, निरंजन प्रसाद शर्मा, शिव गनेश शर्मा, काशी राम चाहर, खेतपाल सिंह सहित कई शिक्षाविद् उपस्थित रहे।
✍ Editorial टिप्पणी
सेवानिवृत्त शिक्षकों को नोशनल वेतनवृद्धि का लाभ मिलने में ब्यूरोक्रेटिक जटिलताओं के कारण देरी हो रही है, जो कि न केवल अनुचित है, बल्कि एक सम्मानजनक पेशे से जुड़े लोगों के साथ अन्याय भी है। शिक्षकों ने अपने जीवन का महत्वपूर्ण समय शिक्षा को समर्पित किया है, और उनका हक उन्हें बिना किसी बाधा के मिलना चाहिए।
शिक्षा विभाग को इस विषय पर शीघ्र निर्णय लेकर इसे लागू करना चाहिए। 24 मार्च को प्रस्तावित वार्ता से इस समस्या का समाधान निकलना चाहिए, अन्यथा शिक्षक संघ का आंदोलन और उग्र हो सकता है।
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