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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश की प्रदेश कार्यसमिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. देवी सिंह नरवार ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से माँग की है कि वे अशासकीय सहायताप्राप्त माध्यमिक विद्यालयों मंे प्रधानाचार्य, प्रधानाध्यापक, प्रवक्ता एवं सहायक अध्यापकों की भर्ती/नियुक्ति हेतु निर्धारित 40 वर्ष की अधिकतम आयु सीमा समाप्त करें। इसके लिए नवगठित उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा आयोग के प्रावधानों में संशोधित कराने के लिए निर्देश जारी करें।
डॉ. देवी सिंह नरवार ने बताया है कि इण्टरमीडिएट एजूकेशन एक्ट 1921 में अशासकीय सहायताप्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाचार्य, प्रधानाध्यापक, प्रवक्ता एवं सहायक अध्यापक (प्रशिक्षित स्नातक वेतनक्रम) में भर्ती/नियुक्ति हेतु अधिकतम आयु सीमा निर्धारित नहीं है। फलस्वरूप सेवानिवृत्ति वके 60 वर्ष की उम्र से पहले तक कोई भी व्यक्ति, जो निर्धारित शैक्षिक योग्यताएँ रखता है, वह सहायताप्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाचार्य, प्रधानाध्यापक, प्रवक्ता तथा सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्ति पाने का अधिकारी है। अब उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा आयोग के गठन के बाद इण्टर कॉलेजों में इन श्रेणी के अध्यापकों की भर्ती/नियुक्ति हेतु अधिकतम आयु सीमा 40 वर्ष निर्धारित की गयी है। इससे शिक्षकों में भारी असन्तोष है और वे अपने को ठगा सा महसूस कर रहे है। इस नयी व्यवस्था से अनेक योग्यताधारी एवं अनुभवी प्रवक्ता तथा सहायक अध्यापक इण्टर कॉलेज में प्रधानाचार्य तथा प्रधानाध्यापक बनने से वंचित रह जायेंगे।
उल्लेखनीय तथ्य यह है कि इण्टर कॉलेजों में प्रधानाचार्य तथा प्रधानाध्यापक नियुक्ति हेतु कक्षा-09 से कक्षा-12 तक पढ़ाने का न्यूनतम 04 वर्ष का अनुभव अनिवार्य है। इसके अतिरिक्त प्रत्येक एक वर्ष के अनुभव के लिए वरीयता का एक अंक प्रदान किये जाने की व्यवस्था है। शिक्षण अनुभव के निर्धारित अधिकतम 16 अंक पाने के लिए 16 वर्ष का अतिरिक्त शिक्षण अनुभव की आवश्यकता होती है। इस प्रकार किसी शिक्षक को प्रधानाचार्य/प्रधानाध्यापक की नियुक्ति हेतु अधिकतम 20 वर्ष के शिक्षण अनुभव की आवश्यकता होती है। ऐसी स्थिति में जब नवगठित आयोग में इन पदों की भर्ती हेतु अधिकतम आयु सीमा 40 वर्ष निर्धारित की गयी है तो कोई भी अनुभवी प्रवक्ता व सहायक अध्यापक जिसकी उम्र 40 वर्ष से अधिक है वह इण्टर कॉलेज का प्रधानाचार्य व प्रधानाध्यापक नियुक्त नहीं हो सकेगा। इसका दुष्परिणाम यह होगा कि कम अनुभव के जूनियर (कनिष्ठ) शिक्षक प्रधानाचार्य बन जायेंगे और सीनियर प्रवक्ता आयु सीमा की बाध्यता की वजह से प्रधानाचार्य बनने से वंचित रह जायेंगे। इससे एक ओर शिक्षा की गुणवत्ता में गिरावट आयेगी और दूसरी ओर सीनियर प्रवक्ताओं में असन्तोष व उपेक्षा की भावना जन्म लेगी, जो कतई न्यायसंगत नहीं है।
उन्होंने कहा है कि प्रधानाचार्य व प्रधानाध्यापक की नियुक्ति हेतु 40 वर्ष की अधिकतम आयु की बाध्यता को समाप्त किया जाये। अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाचार्य, प्रधानाध्यापक, प्रवक्ता एवं सहायक अध्यापकों के पदों पर नियुक्त हेतु इण्टरमीडिएट एजूकेशन एक्ट 1921 के प्रावधानों को यथावत लागू किया जाये। अब जबकि इन पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू होने जा रही है इससे पूर्व यह संशोधन अध्यापकों के व्यापक हित में अत्यन्त आवश्यक है।
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