शोध व शिक्षा के माध्यम से 2047 तक भारत को विकसित बनाने के प्रधानमंत्री मोदी के सपने को साकार किया जायेगाः प्रो. आशु रानी
संगोष्ठी के निष्कर्ष भारत सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार एवं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को भेजे जाएंगेः प्रो. लवकुश मिश्रा
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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. डॉ भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी अमेरिका और इन्टरनेशनल अकादमी ऑफ बिजनेस, अमेरिका के संयुक्त तत्वाधान व उत्तर प्रदेश पर्यटन के सहयोग से आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन हो गया। अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में देश-विदेश के तमाम विद्वानों ने विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत रूप से चिंतन, मनन और चर्चा की।
संगोष्ठी के उद्घाटन में सेंटर फार ग्लोबल बिजनेस स्टडीज, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के डायरेक्टर प्रोफेसर नरेंद्र रूस्तगी व ऑकलैंड विश्वविद्यालय अमेरिका के प्रोफेसर आनंदी पी साहू व डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर आशु रानी ने विश्व के सामने ज्वलंत मुद्दों को रखा।
प्रोफेसर रुस्तगी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चल रहे युद्धों के प्रभाव के बारे में विस्तृत चर्चा की। प्रोफेसर साहू ने विश्व की आर्थिक व्यवस्था पर अपने विचार व्यक्त किया। लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मनोज अग्रवाल ने वैश्विक अर्थव्यवस्था व भारत की भूमिका पर विस्तृत रूप से चर्चा की। प्रो. आशु रानी कुलपति ने कहा कि शोध व शिक्षा के माध्यम से 2047 तक भारत को विकसित बनाने के प्रधानमंत्री मोदी जी के सपने को साकार किया जायेगा।
उद्घाटन सत्र में ही महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय बीकानेर के कुलपति प्रोफेसर मनोज दीक्षित ने अवैध घुसपैठ और विकास पर इसके प्रभाव विषय पर गंभीर चिंतन व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि अवैध प्रवासी किसी भी देश के विकास में तो बाधक होते ही हैं, साथ ही उस देश की संस्कृति को भी नष्ट कर देते हैं। इसी कड़ी में नाइजीरिया, यूरोप व अमेरिका सहित कई देशों के विद्वानों ने अपने-अपने देश की चिताओं को इस संगोष्ठी के माध्यम से वैश्विक पटेल पर रखा।
संगोष्ठी के दूसरे दिन जबलपुर महर्षि महेश योगी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर प्रमोद कुमार वर्मा व नव नालंदा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर विजय कुमार कर्ण ने भारतीय संस्कृति व इसकी व्यापकता विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किया। इस तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में भारत के विभिन्न हिस्सों से प्रतिनिधियों ने अपने-अपने विचार व्यक्त किया ।

संगोष्ठी में पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ के प्रोफेसर प्रशांत कुमार गौतम, हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर संदीप कुलश्रेष्ठ, भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबंधन संस्थान ग्वालियर के नोडल ऑफिसर प्रोफेसर सौरभ दीक्षित, आईटीएम नोएडा के नोडल ऑफिसर प्रोफेसर पवन गुप्ता, सिक्किम विश्वविद्यालय गंगटोक के प्रोफेसर डॉ. अमित सिंह, असोम के डाउन टाउन विश्वविद्यालय के डॉ. संतोष कुमार उपाध्याय, भगत फूल सिंह विश्वविद्यालय सोनीपत हरियाणा के प्रोफेसर डॉ. पंकज मिश्रा, देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार के प्रोफेसर डॉक्टर अरुणेश पाराशर, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी के प्रोफेसर सुनिल काबिया, डॉक्टर संजय निबोरिया, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर के डॉक्टर अजय कुमार मिश्रा, एमिटी यूनिवर्सिटी नोएडा के डॉक्टर पंकज पांडे, नैनीताल उत्तराखंड के रॉयल इंस्टीट्यूट आफ होटल मैनेजमेंट के प्रबंध निदेशक डॉ. अनुराग भोसले, डॉक्टर महेंद्र, डॉक्टर राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के डॉ. महेंद्र पाल सिंह, उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के डॉक्टर डॉ. देवेश रन्जन त्रिपाठी, सलीम चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय के डॉक्टर नीरज शुक्ला सहित उत्तर पूर्वी प्रांत सहित कई प्रदेशों के शोधार्थियों व शिक्षकों ने भाग लिया। सभी ने अपने शोध पत्रों का वाचन किया।
संगोष्ठी में पहली बार सीमित संख्या में स्कूल के विद्यार्थियों को भी अवसर प्रदान किया गया था। स्कूल तथा महाविद्यालयों के स्नातक व स्नातकोत्तर विद्यार्थियों को भी अवसर दिया गया था। इसके पीछे उद्देश्य यह है कि छात्रों का शोध के प्रति रुझान बढे और वह देश हित में शोध के माध्यम से प्रधानमंत्री जी के विकसित भारत में अपना योगदान दे।
इसी कड़ी में आगरा के दुर्विक अग्रवाल ने पानी से हाइड्रोजन बनाने की अपने शोध को भी जनता के विद्वत जनों के सामने रखा। रुद्रा रघुवंशी व दिव्यांश मिश्रा सहित कई अन्य छात्रों ने भी ज्वलंत विषयों पर अपने-अपने विचार संगोष्ठी में रखे।

इस अवसर पर लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक राय को इंटरनेशनल एकेडमी आफ बिजनेस एकेडमी के विशेष सम्मान से सम्मानित किया गया। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा ने अपने गौरवशाली पुरातन छात्रों को भी प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। जिनमें प्रसिद्ध उद्योगपति पूरन डावर, होटल ग्रांड के प्रबंध निदेशक अरुण डंग, कोहिनूर एंपोरियम के प्रबंध निदेशक जीजी माथुर, संस्कृति वेकेशंस के प्रबंध निदेशक तथा आगरा टूरिज्म गिल्ड के अध्यक्ष राजीव सक्सेना व ओसवाल एम्पोरियम के प्रबंध निदेशक शोक जैन को सम्मानित किया।
संगोष्ठी में प्रशस्ति पत्र से सम्मानित होने वाले अन्य विशिष्ट व्यक्तियों में अर्थशास्त्र विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मनोज कुमार अग्रवाल, देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार के डॉक्टर अरुणेश पाराशर, सोनीपत के डॉक्टर पंकज कुमार मिश्रा आदि प्रमुख है। शोधार्थियों में एमिटी विश्वविद्यालय नोएडा के डॉ. नरेंद्र कुमार को विशिष्ट सम्मान से सम्मानित किया गया। आगरा के प्रसिद्ध वस्तुविद श्री ऋषि बंसल व अर्थ विशेषज्ञ व कंपनी सेक्रेटरी अनुज अशोक को विशेष रूप से सम्मानित किया गया। आयोजकों ने रुद्रा रघुवंशी, दुर्विक अग्रवाल, दिव्यांश मिश्रा वी, सूर्यांश मिश्रा को विशेष प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया।
संगोष्ठी के समापन सत्र के विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए प्रसिद्ध सामाजिक चिंतक व विचारक मधुकर चतुर्वेदी ने भारतीय संस्कृति की व्यापकता पर विस्तृत रूप से चर्चा किया। चतुर्वेदी ने कहा कि दुनिया की सभी समस्याओं का समाधान भारतीय संस्कृति में है, चाहे वह पर्यावरण संबंधी समस्या हो या व्यक्तियों के स्वास्थ्य सम्बंधी समस्या हो या बिखरते पारिवारिक जीवन की समस्याएं हो। गुलामी की एक लंबी दास्ता के कारण भारतीय संस्कृति के तमाम पहलुओं पर लोगों का ध्यान नहीं जाता है परंतु विचार पूर्वक देखेंगे तो हर चुनौतियों का हल भारतीय संस्कृति में है।
संगोष्ठी के अंतरराष्ट्रीय संयोजक प्रोफेसर लवकुश मिश्रा ने बताया कि यह संगोष्ठी डॉक्टर भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, हावर्ड विश्वविद्यालय, इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ़ बिजनेस स्टडी तथा उत्तर प्रदेश पर्यटन के संयुक्त प्रयासों से आयोजित की जा सकी। देश-विदेश के जिन विद्वानों ने अपने विचार व्यक्त किए गए हैं उनको संक्षिप्त रूप में रिपोर्ट बनाकर के भारत सरकार तथा उत्तर प्रदेश सरकार एवं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को भेजा जाएगा।
प्रोफेसर मिश्रा ने बताया कि हावर्ड विश्वविद्यालय का आगरा विश्वविद्यालय से 2016-17 से लगातार अकादमिक आदान-प्रदान होता चला आ रहा है। आगे भी संयुक्त रूप से शोध की योजना बनाई जा रही है। इस आयोजन मे अमित साहू, कुलदीप यादव, देवेन्द्र यादव, मानव कुमार, शिवेन्दु दीक्षित, सत्यवीर निमेष व कुलदीप दीक्षित एवं अलवीना लाल का विशेष सहयोग रहा।