2500 कि.मी. की पदयात्रा कर आगरा पधारे आचार्य विश्व सुंदर सागर ने सुनाई जबरदस्त कहानी

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25 और 26 जून को जैन मंदिर दादाबाड़ी में निवास और प्रवचन

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Agra, Uttar Pradesh, India, Bhara. आचार्य श्री विश्व सुंदर सागर जी 2500 किलोमीटर का पदयात्रा आगरा पधारे हैं। आचार्य श्री का नगर प्रवेश चिंतामणि पार्श्वनाथ श्वेतांबर जैन मंदिर रोशन मोहल्ला में हुआ। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने अगवानी की। इस दौरान जिन शासन के जयकारों की गूंज होती रही।

आचार्य श्री ने चिंतामणि पार्श्वनाथ दादा एवं परमात्मा शीतलनाथ के श्री संघ के साथ दर्शन कर चैत्र वंदन किया। उसके उपरांत श्री हीरविजय सूरि उपाश्रय में आचार्य श्री ने प्रवचन करते हुए कहा कि प्राचीन काल से ही आगरा नगर में जैन धर्म का स्वर्णिम इतिहास रहा है। यहां आचार्य हीर विजय सूरी जी, जिनचंद्रसूरी जैसे मूर्धन्य विद्वान जैन आचार्यों ने अकबर के ऊपर अपने विशुद्ध चारित्र का प्रभाव डालकर अहिंसा के अनेक कार्य करवाए। इन आचार्यों से प्रभावित होकर बादशाह अकबर ने आगरा की भूमि से जैन तीर्थों की रक्षा के अनेक फरमान जारी किए जो आज भी विद्यमान हैं।

  • परमात्मा महावीर के सिद्धांतों को गुरुओं के प्रवचन माध्यम से समझकर उनको अपने जीवन में उतारना चाहिए न कि प्रवचनों को मात्र परंपरा की तरह सुनकर भूल जाना चाहिए। उन्होंने इसे एक उदाहरण के माध्यम से समझाया कि एक राजा के पास कोई शिल्पकार तीन मूर्तियों को लेकर आया और बोला कि तीनों मूर्तियां एक समान है पर तीनों की अलग-अलग लागत है। एक मूर्ति केवल कौड़ियों के भाग की है। दूसरी मूर्ति थोड़ी मूल्यवान है और तीसरी मूर्ति बहुमूल्यवान है। राजा आश्चर्यचकित हुआ। उसने पूछा कि ऐसा कैसे? मूर्तिकार ने एक धागे के माध्यम से समझाया कि पहली मूर्ति में धागा कान से डाला दूसरे कान से निकल गया। दूसरी मूर्ति में धागा कान से डाला और वह मुख से निकल गया। तीसरी मूर्ति के कान में जब धागा डाला तो हृदय के माध्यम से नीचे से निकला। उसका सर यह है कि व्यक्ति के अंदर जो भी ज्ञान जाए वह दूसरे कान से बाहर नहीं हो, वह उसके जीवन के अंदर परलिक्षित हो।
जैन मुनि को मंगल प्रवेश करते राजकुमार जैन एवं अन्य।

श्री संघ के पूर्व अध्यक्ष राजकुमार जैन ने आचार्य श्री का वंदन करते हुए कहा कि आपके आगरा आगमन से धर्म प्रभावना होगी। आगरा में निवास दो दिन के स्थान पर तीन दिन करने की विनती की। दादाबाड़ी ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष दुष्यंत जैन ने कहा कि गुरुदेव ने मात्र 6 वर्ष की आयु में दीक्षा ली थी। आपको सभी जैन आगमों और शास्त्रों का पूर्ण ज्ञान है। आपको जैन इतिहास एवं सनातन वेद शास्त्रों का भी पूर्ण ज्ञान है। आपके द्वारा दिया गया महामांगलिक व्यक्ति के जीवन में कल्याणकारी होता है।

आचार्य श्री 25 और 26 जून को जैन मंदिर दादाबाड़ी में निवास करेंगे। प्रातः 9:00 बजे से 10:00 बजे तक प्रवचन सभा को संबोधित करेंगे। आचार्य भगवन मुंबई से झारखंड स्थित पार्श्वनाथ में स्थित सम्मेद शिखर जी तीर्थ में जैन मंदिर की प्रतिष्ठा करते हुए नेपाल होते हुए आगरा पधारे हैं। आगरा आने से पूर्व 2500 किलोमीटर की पदयात्रा की है। आगरा से जयपुर की ओर विहार करेंगे, जहां जवाहर नगर में चातुर्मास है।

इस अवसर पर चिंतामणि ट्रस्ट के सचिव दिनेश चौरड़िया, कोषाध्यक्ष प्रकाश वेद, शैलेंद्र, विपिन, बरड़िया, दादाबाड़ी ट्रस्ट के अध्यक्ष संजय दूगड़, सचिव शरद चौरड़िया, अशोक लोढ़ा, मनीष गादिया, विनय वागचर, अशोक कोठारी, राजीव पाटनी, संदेश जैन, प्रमोद, धीरज, ललवानी एवं बड़ी संख्या में श्रावक श्राविकाएं का उपस्थित रहे। स्वल्पाहार का लाभ विमल कुमार- कमल कुमार सुराना ने लिया।

Dr. Bhanu Pratap Singh