फतेहपुर सीकरी

भारत के शिक्षा मंत्री और पद्मश्री केके मोहम्मद समेत 6 पुरातत्वविदों ने फतेहपुर सीकरी का इस्लामीकरण किया, यह वास्तव में विजयपुर सीकरी, अकबर-जोधाबाई के विवाह की कहानी झूठी, कोर्ट ने नोटिस जारी किए

EXCLUSIVE
  • भारत के शिक्षा मंत्री रहे नुरुल हसन, एसएए रिजवी, वीजीए फिन, आरसी गौड़, डब्लूएच सिद्दीकी व केके मोहम्मद ने फतेहपुर सीकरी में 11 वर्ष तक उत्खनन किया लेकिन रिपोर्ट प्रकाशित नहीं की
  • एएसआई के अधीक्षण पुरात्वविद आगरा सर्किल केके मोहम्मद ने फतेहपुर सीकरी में अकबर का इबादतखाना बनवाया था, एएसआई की आपत्ति के बाद गिराना पड़ा
  • वीजीए फिन को इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पुरातात्विक महत्व के सोने, चांदी व ताँबें के सिक्कों की तस्करी करते हुए पकड़ा गया था
  • अकबर का इबादतखाना के बारे में पुरातत्वविदों ने अलग-अलग मत रखे, झूठी कहानियां प्रसारित करने पर गाइड एसोसिएशन को भी पार्टी बनाया

डॉ. भानु प्रताप सिंह

Live Story Time

Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. फतेहपुर सीकरी शहर और उसके सम्पूर्ण पुरातत्व स्थलों का सही इतिहास व फतेहपुर सीकरी का मूल नाम विजयपुर सीकरी है। अकबर-जोधाबाई के विवाह की कहानी झूठी है। इस उद्घोषणा के लिए सिविल जज सीनियर डिवीजन, आगरा में केस फाइल किया। इसका मूल वाद संख्या-1049/2024 अजय प्रताप सिंह आदि बनाम के के मोहम्मद आदि हैं।

वादी अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि फतेहपुर सीकरी मूल रूप से विजयपुर सीकरी है, इसे सिकरवार वंशी राजाओं द्वारा बसाया गया था। उन्होंने शोध के दौरान पाया कि वर्ष 1978-1988 के बीच भारत सरकार के तत्कालीन शिक्षा मंत्री नुरुल हसन ने एक राष्ट्रीय प्रोजेक्ट के अधीन फतेहपुर सीकरी का उत्खनन व पुरातात्विक अवशेषों के अध्ययन करवाया। यह उत्खनन अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय व भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा किया गया। यह उत्खनन अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के आरसी गौड़ व भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के डब्लूएच सिद्दीकी के निर्देशन में हुआ। 11 वर्ष तक चले उत्खनन में क्या-क्या मिला, इसकी रिपोर्ट आज तक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा प्रकाशित नहीं की गई।

अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि वर्ष 1975 ई में ऑस्ट्रेलिया के प्रोफेसर एसएए रिजवी व वीजीए फिन ने फतेहपुर सीकरी पर एक पुस्तक प्रकाशित की। इसके बाद नुरुल हसन ने फतेहपुर सीकरी का उत्खनन करवाया। अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि यही वीजीए फिन को इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पुरातात्विक महत्व के सोने, चांदी व ताँबें के सिक्कों की तस्करी करते हुए पकड़ा गया, जिसमें उन्हें कॉफिपोशा एक्ट में जेल में बंद किया गया।

अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया बदायूंनी ने अपनी पुस्तक मुंतखिब उल तवारीख़ में फतेहपुर सीकरी में स्थित अनूप तालाब का निर्माण अकबर के द्वारा पूरा करना बताया है। अनूप तालाब  के नीचे के कमरे को इबादतखाना बताया है। वहीं एसएए रिजवी ने इबादतखाना को जामा मस्जिद व जोधबाई के महल के बीच स्थित  बताया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग आगरा सर्किल के पूर्व अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ डीवी शर्मा ने दीवान-ए-खास के बगल में बताया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग आगरा सर्किल के पूर्व अधीक्षण पुरातत्वविद केके मोहम्मद ने जामा मस्जिद के पीछे अकबर का इबादतखाना नाम से नए स्मारक का निर्माण किया जो कि कानूनन एक अपराध है। भेद खुलने पर ASI ने इसे तोड़ा, जिस कारण उन्होंने अपने केस में केके मोहम्मद को विपक्षी बनाया है।

अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग व इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च दोनों के पास अकबर जोधाबाई के विवाह के प्रमाण उपलब्ध नहीं है।

अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह एवं अन्य।
अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह एवं अन्य।

नुरुल हसन, एसएए रिजवी, वीजीए फिन, आरसी गौड़, डब्लूएच सिद्दीकी व केके मोहम्मद ने मिलकर फतेहपुर सीकरी का इस्लामीकरण किया है। 11 वर्ष चले उत्खनन की रिपोर्ट आजतक प्रकाशित नहीं की गई, जबकि वीजीएन फिन को पुरातात्विक महत्व के सिक्कों की तस्करी करते पकड़ा गया जो कि स्वयं में यह सिद्ध करता है कि फतेहपुर सीकरी का जो इतिहास अभी जनमानस को पता है, वह सत्य नहीं है।

डॉ. डीवी शर्मा ने अपने कार्यकाल के दौरान फतेहपुर सीकरी के बीर छबीली टीले की खुदाई मे हिन्दू-जैन-बौद्ध धर्मो के प्रमाण मिले जोकि 1000 ई. के लगभग के हैं। इस केस के वादपत्र की 248 पन्नों में उन्होंने फतेहपुर सीकरी के सत्य इतिहास को लिखा है।

अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि उन्होंने अपनी रिसर्च में पाया कि फतेहपुर सीकरी को क्षत्रिय हिन्दू सिकरवार वंशी राजाओं द्वारा बसाया गया था जिसका मूलनाम विजयपुर सीकरी था, जिसे सबसे पहले बाबर ने बदला।

फतेहपुर सीकरी किले परिसर में मरियम की कोठी नाम से भवन है, जिसकी दीवार पर शिवलिंग खुदा है। इसमें राम-कृष्ण-हनुमान के चित्र थे। यदि ASI के पास अकबर-जोधाबाई के विवाह के प्रमाण नहीं हैं, तो किस आधार पर फतेहपुर सीकरी में जोधबाई का महल नाम से संरक्षित किया है। यदि जोधबाई ही मरियम उज़ जमानी थी तो आगरा के सिकंदरा मरियम का मकबरा स्थित है और अर्जुन नगर में जोधबाई की छतरी स्थित है। एक व्यक्ति का अंतिम संस्कार सिर्फ एक जगह पर हो सकता है दो जगह पर नहीं। मरियम का मकबरा और जोधबाई की छतरी दोनों ही ASI के अधीन संरक्षित स्मारक है और फतेहपुर सीकरी में अनूप तालाब को सिकरवार वंशी राजा अनूप के नाम पर राजा किशन जू ने बनवाया था न कि अकबर ने। फतेहपुर सीकरी के भवनों में ASI को बाबर और अलाउद्दीन खिलजी के शिलालेख मिले हैं जिनका उल्लेख केस में किया है।

फतेहपुर सीकरी टूरिस्ट एसोसिएशन लगतार अकबर जोधाबाई के विवाह की  झूठी कहानी लगातार देशी-विदेशी पर्यटकों  में फैला रही है जबकि ASI के पास अकबर-जोधाबाई के विवाह का कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं है।

डॉ. भानु प्रताप सिंह की फतेहपुर सीकरी एवं अन्य पुस्तकें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

केस में वादी संख्या-1 अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह, वादी संख्या- 2 आर्य संस्कृति संरक्षण ट्रस्ट, वादी संख्या-3 योगेश्वर श्रीकृष्ण सांस्कृतिक अनुसंधान संस्थान ट्रस्ट, वादी संख्या-4 क्षत्रिय शक्तिपीठ विकास ट्रस्ट व विपक्षी संख्या-1 केके मोहम्मद, विपक्षी संख्या-2 टूरिस्ट एसोसिएशन फतेहपुर सीकरी है। केस संख्या-1049/2024 है। इसकी सुनावई सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट संख्या-1, माननीय न्यायाधीश अमर्शा श्रीवास्तव के न्यायालय में हुई, केस में वरिष्ठ अधिवक्ता एसपी सिंह सिकरवार,  वरिष्ठ अधिवक्ता नरेश सिकरवार व वादी अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह  है। माननीय न्यायालय ने नोटिस इश्यू का आदेश करते हुए केस की सुनवाई की अगली तिथि 7 अक्टूबर नियत की है।

Dr. Bhanu Pratap Singh