तालिबान शासन के बाद अफगानिस्तान में 318 मीडिया आउटलेट बंद

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अफगानिस्तान में तालिबान के अधिग्रहण के बाद देश में बहुत कुछ बदल गया है। तालिबान ने जमीन के साथ-साथ लोगों की जिंदगियों पर भी कब्जा कर लिया है, तालिबान के सत्ता संभालने के बाद, एक तरफ जहां महिलाओं के मौलिक अधिकारों को दबाया गया तो वहीं दूसरी तरफ देश में मीडिया और पत्रकारों ने अपनी स्वतंत्रता खो दी है। अफगान के हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं। महामारी, आर्थिक संकट, सूखे -भुखमरी के साथ-साथ देश ढेरों परेशानियों से जूझ रहा है। लेकिन अभी भी तालिबान सरकार की दहशतगर्दी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है।
आपको बता दें कि‌‌ एक रिपोर्ट द्वारा दी गई जानकारी में बताया गया कि अफगानिस्तान के 34 प्रांतों में से 33 में कम से कम 318 मीडिया आउटलेट को बंद कर दिया गया हैं।
इंटरनेशनल फेडरेशन आफ जर्नलिस्ट्स (International Federation of Journalists) ने जारी की रिपोर्ट
टोलो न्यूज के अनुसार इंटरनेशनल फेडरेशन आफ जर्नलिस्ट्स (IFJ) ने गुरुवार को एक रिपोर्ट जारी कर कहा कि ’51 टीवी स्टेशनों, 132 रेडियो स्टेशनों और 49 आनलाइन मीडिया आउटलेट्स ने अपना संचालन बंद कर दिया है। संकट के समय में समाचार पत्रों पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है, जिसमें 114 में से केवल 20 समाचार पत्रों ने अपना प्रकाशन जारी रखा है।’
अफगानिस्तान के मीडिया समुदाय की बिगड़ती स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए, IFJ ने कहा कि
5069 में केवल 2,334 पत्रकार फिलहाल कार्यरत हैं। IFJ के मुताबिक, नौकरी गंवाने वाले पत्रकारों में 72 फीसदी महिलाएं शामिल हैं। आइएफजे की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘मीडिया द्वारा अभी भी 243 महिलाओं को रोजगार दिया जाता है।’
IFJ महासचिव एंथोनी बेलांगर ने कहा
IFJ महासचिव एंथोनी बेलांगर ने कहा, ‘खतरों से लेकर कठोर रिपोर्टिंग प्रतिबंधों और आर्थिक पतन से लेकर विकास निधि को वापस लेने तक की तस्वीर न केवल उन पत्रकारों के लिए विनाशकारी है, जो अपनी नौकरी खो चुके हैं या भागने के लिए मजबूर हो गए हैं, बल्कि उन नागरिकों के लिए भी जिन्हें सूचना तक पहुंच से वंचित किया जा रहा है।’
अफगान इंडिपेंडेंट जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन के प्रमुख हुजतुल्लाह मुजादीदी ने कहा, ‘अफगान मीडिया समुदाय ने तालिबान से मीडिया को सूचना तक पहुंच बनाने में मदद करने का आह्वान किया।’ उन्होंने कहा, ‘अगर देश में मीडिया की स्थिति के लिए तत्काल कदम नहीं उठाए गए, तो निकट भविष्य में अफगानिस्तान में कुछ निश्चित मीडिया संगठन ही सक्रिय होंगे।’
-एजेंसियां

Dr. Bhanu Pratap Singh