उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय का अनूठा अवलोकन
डॉ. भानु प्रताप सिंह
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आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत।
ज्ञान और अध्यात्म की पावन नगरी आगरा में एक ऐतिहासिक खोज ने विद्वानों और शोधकर्ताओं का ध्यान आकर्षित किया है। उत्तर प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय (आगरा विश्वविद्यालय) के पुस्तकालय में 400 वर्ष प्राचीन हस्तलिखित महाभारत की खोज की है। यह खोज भारतीय संस्कृति, इतिहास और पौराणिक साहित्य के शोधार्थियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकती है।
संयोगवश हुई ऐतिहासिक खोज
श्री उपाध्याय ने यह महत्वपूर्ण जानकारी सीएफ एंड्रूज स्कूल, बल्केश्वर में आयोजित ‘कृष्ण दर्शनम्’ कार्यक्रम के दौरान दी। यह कार्यक्रम डॉ. राम अवतार शर्मा की चतुर्थ पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित किया गया, जिसमें 300 से अधिक विद्यार्थियों ने भगवान श्रीकृष्ण के जीवन दर्शन को अभिनय के माध्यम से सजीव किया।
समारोह को संबोधित करते हुए उच्च शिक्षा मंत्री ने अपने निरीक्षण अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया, “मैंने आगरा विश्वविद्यालय का निरीक्षण किया और पुस्तकालय गया। वहां एक बंद कमरा देखा, जिसे पूछने पर बताया गया कि यह वर्षों से बंद है। मैंने तत्काल कमरा खुलवाने के निर्देश दिए। जब भीतर प्रवेश किया, तो देखा कि वहां धूल की परतें जमी थीं और दुर्लभ ग्रंथ दीमकों के प्रकोप का शिकार हो रहे थे। मैंने एक पुस्तक उठाई, धूल झाड़ी और जब उसे खोला तो चकित रह गया—यह चार सौ वर्ष पुरानी हस्तलिखित महाभारत थी।”
भारत के गौरवशाली साहित्य का अनमोल धरोहर
भारत का महाकाव्य ‘महाभारत’ न केवल धार्मिक और दार्शनिक महत्व रखता है, बल्कि इसमें जीवन के विविध आयामों का विस्तृत चित्रण भी है। इस दुर्लभ हस्तलिखित ग्रंथ की खोज भारत के प्राचीन साहित्य की समृद्धता और उसे संरक्षित करने की आवश्यकता को उजागर करती है।
उच्च शिक्षा मंत्री ने नई शिक्षा नीति का उल्लेख करते हुए कहा कि, “एक समय था जब आगरा विश्वविद्यालय को लेकर संदेह था, लेकिन अब यह नैक ग्रेडिंग (NAAC Grading) में ए प्लस श्रेणी में आ चुका है। यह हमारी शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता में सुधार को दर्शाता है।”
इस समारोह के दौरान मंच पर एंड्रूज ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक (सीएमडी) डॉ. गिरधर शर्मा उपस्थित रहे। कार्यक्रम में आए विद्वानों और शिक्षाविदों ने इस खोज को भारतीय संस्कृति के पुनर्जागरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया।

संक्षिप्त महाभारत कथा
महाभारत, जिसे ‘पंचम वेद’ भी कहा जाता है, संस्कृत साहित्य का सर्वश्रेष्ठ महाकाव्य है। इसके रचयिता महर्षि व्यास हैं। यह महाकाव्य कुरुक्षेत्र युद्ध की कथा पर आधारित है, जिसमें कौरवों और पांडवों के बीच सत्ता संघर्ष को दर्शाया गया है।
महाभारत की कथा का मूल संदेश धर्म, अधर्म, न्याय और अन्याय के बीच संघर्ष का है। इसमें श्रीकृष्ण का गीता उपदेश जीवन के हर क्षेत्र में मार्गदर्शन प्रदान करता है। यह ग्रंथ केवल एक युद्धगाथा नहीं, बल्कि जीवन के हर पहलू को समाहित करने वाली ज्ञान की अमूल्य निधि है।
संपादकीय टिप्पणी
आगरा विश्वविद्यालय में चार सौ वर्ष पुरानी हस्तलिखित महाभारत की खोज न केवल साहित्य और इतिहास के शोधार्थियों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को भी दर्शाती है। यह खोज हमें यह भी सिखाती है कि ज्ञान के भंडार हमारी आंखों के सामने होते हुए भी अनदेखे रह जाते हैं, यदि हम उन्हें खोजने और सहेजने का प्रयास न करें।
यह समय की मांग है कि इस अमूल्य ग्रंथ को उचित संरक्षण दिया जाए और डिजिटल माध्यम से इसका दस्तावेजीकरण किया जाए, ताकि आने वाली पीढ़ियां इस अद्वितीय धरोहर का लाभ उठा सकें। इस खोज को एक नई दिशा देने के लिए सरकार, शिक्षण संस्थानों और शोधकर्ताओं को मिलकर कार्य करना होगा।
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