यूक्रेन-रूस युद्ध के बीच भारत सरकार ने वित्त मंत्रालय के नेतृत्व में कई मंत्रालयों का एक समूह गठित किया है. ये समूह रूस से व्यापार में आ रही चुनौतियों के समाधान को लेकर काम कर रहा है. इस बात की जानकारी विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद में दी.
विदेश मंत्री के बयान से ये संकेत मिलता है कि 40 से अधिक देशों का प्रतिबंध झेल रहे रूस के साथ भारत के व्यापार संबंधों को बनाए रखने के लिए सरकार की तरफ़ से बड़े कदम उठाए जा रहे हैं.
दरअसल, राज्यसभा में रूस और यूक्रेन पर भारत के रुख़ को लेकर कई सवाल पूछे गए. इनमें से कुछ में संयुक्त राष्ट्र में भारत के मतदान से परहेज़ करने, साथ ही व्यापार और अमेरिका के साथ संबंधों पर भारतीय नीति को लेकर चिंता जताई गई. जवाब में एस जयशंकर ने कहा कि भारत का रुख़ दृढ़ और स्पष्ट रहा है और ये शांति के पक्ष में है. उन्होंने कहा कि विदेश नीति के फ़ैसले हमेशा ”राष्ट्रीय हित” में लिए जाते हैं. उन्होंने ये भी कहा कि यूक्रेन की स्थिति को व्यापार से जोड़ने का सवाल नहीं उठता.
एक सवाल के जवाब में विदेश मंत्री ने कहा कि भारत, रूस से बहुत कम कच्चा तेल आयात करता है जो एक फ़ीसदी से भी कम है और कई देश भारत से 20 गुना ज़्यादा तेल रूस से आयात करते है. उन्होंने कहा कि भारत रूस-यूक्रेन को ध्यान में रखते हुए भुगतान समेत कई पहलुओं पर गौर कर रहा है और इसके लिए कई मंत्रालयों को मिलाकर एक समूह का गठन भी किया गया है.
-एजेंसियां
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