झारखंड में चल रहे चारा घोटाला के डोरंडा कोषागार के सबसे बड़े मुकदमे में CBI की विशेष अदालत बीते 15 फरवरी को राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को दोषी करार दिया था। इसके बाद आज अपराह्न डेढ़ बजे के बाद अदालत ने पांच साल की सजा दी। उन पर 60 लाख रुपये का आर्थिक दंड भी लगाया गया है। इसके साथ लालू प्रसाद यादव झारखंड में चारा घोटाला के सभी पांच मामलों में सजा पा चुके हैं लेकिन इस हाई प्रोफाइल मामले को अंजाम तक पहुंचाना आसान नहीं था। चारा घोटाला की मन माफिक जांच नहीं होने पर नाराज लालू एक बार तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा पर भड़क गए थे। तब देवगौड़ा ने भी पलटकर उन्हीं की भाषा में जवाब दिया था कि केंद्र सरकार व CBI कोई उनकी पार्टी नहीं कि वे उन्हें भैंस की तरह जैसे मन करे, हांक दें।
चारा घोटाला की जांच को लेकर देवगौड़ा से नाराज हो गए थे लालू
बात साल 1997 की है। चारा घोटाला के मामले में CBI के संयुक्त निदेशक यूएन विश्वास ने लालू प्रसाद यादव से पहली पूछताछ की थी। लालू की इच्छा थी कि तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा उनके मनोनुकूल जांच के लिए CBI के निदेशक जोगिंदर सिंह को कहें। जोगिंदर सिंह देवगौड़ा के गृह राज्य कर्नाटक कैडर के ही अधिकारी थे। आग्रह के बावजूद जब काम नहीं हुआ तो लालू प्रधानमंत्री देवेगौड़ा से नाराज हो गए। वरिष्ठ पत्रकार संकर्षण ठाकुर, लालू पर अपनी किताब में लिखते हैं कि इसे लेकर लालू और देवगौड़ा के बीच बड़ी बहस हुई थी। तब लालू ने देवगौड़ा को कहा था कि उन्होंने उन्हें (देवगौड़ा को) इसीलिए प्रधानमंत्री नहीं बनाया था कि वे उनके (लालू के) खिलाफ मुकद्दमा तैयार करें। लालू ने देवगौड़ा को आगे कहा था कि उन्होंने उन्हें प्रधानमंत्री बनाकर बहुत बड़ी गलती की।
देवगौड़ा का जवाब: वे केंद्र सरकार को भैंस की तरह नहीं चलाते
प्रधानमंत्री के दिल्ली स्थित 7 रेस कोर्स के ऑफिशियल आवास में लालू प्रसाद यादव की यह बात देवगौड़ा को नागवार लगी। संकर्षण ठाकुर की किताब के अनुसार उन्होंने भी उसी तरह जवाब दिया कि भारत सरकार और CBI कोई जनता दल नहीं है कि भैंस की तरह इधर-उधर हांक दिया। देवगौड़ा ने लालू को कहा कि वे पार्टी को भैंस की तरह चलाते हैं, लेकिन बतौर प्रधानमंत्री वे भारत सरकार चलाते हैं।
सरेंडर को तैयार नहीं थे लालू, पहली गिरफ्तारी में खूब हुई नौटंकी
आगे 30 जुलाई 1997 को चारा घोटाला के मामले में लालू की पहली गिरफ्तारी हुई थी। इसके पहले उन्होंने मुख्यमंत्री का पद छोड़ पत्नी राबड़ी देवी को कुर्सी पर बैठा दिया था। लालू की गिरफ्तारी के लिए 29 जुलाई 1997 की रात में मुख्यमंत्री आवास को रैपिड एक्शन फोर्स ने घेर लिया था, लेकिन वे समर्पण करने के लिए तैयार नहीं थे। हिंसक विरोध की उनकी धमकी को देखते हुए स्थिति से निपटने के लिए सेना की तैनाती तक की चर्चा होने लगी थी। अंतत: लालू को झुकना पड़ा और 30 जुलाई की सुबह उन्होंने CBI कोर्ट में सरेंडर कर दिया।
-एजेंसियां
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