ब्रजराज कौ नाम रटै रसना, बस राधे – राधे गाय रही, सिगरौ ब्रजधाम कन्हैया की मुरली के गीत सुनाय रही

Mathura (Uttar Pradesh, India)। मथुरा। शब्दोत्सव फाउन्डेशन आगरा द्वारा आयोजित ऑनलाइन परिचर्चा संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए अष्टछाप कवि – परम्परा के प्रतिनिधि डा0 भगवान मकरन्द ने अष्टछाप – कवियों के उद्धरण प्रस्तुत कर ब्रज साहित्य की महत्ता का वर्णन किया। कला समीक्षक एवं शास्त्रीय गायक मधुकर चतुर्वेदी ने संगीत प्रस्तुतियों द्वारा ब्रजभूमि का महिमा-गान […]

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