डॉ. भानु प्रताप सिंह
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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. छठवां ग्लोबल ताज इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ‘जीटिफ-2024’ (6th Global taj international film festival 2024 Gtiff – 2024) अगले वर्ष फिर मिलने की आशा के साथ समाप्त हुआ। फिल्म फेस्टविल के निर्देशक सूरज तिवारी को पागलपन देखकर मैं अचंभित हो गया। उनके एक पैर का घुटना काम नहीं कर रहा था। पैंट्स के ऊपर घुटने पर विशेष प्रकार की पट्टी बांधकर भी लंगड़ाते काम कर रहे थे। अतिथियों की मुस्कराकर आवभगत करते रहे। अपने घुटने की चिंता किए बिना मुस्कराते हुए काम में लगे रहने का काम कोई पागल ही कर सकता है। लोग सच ही कहते हैं कि फिल्म बनाने वाले पागल होते हैं, तभी फिल्म बना पाते हैं।
कवरेज न होने का एक कारण
सूरज तिवारी में कई खूबियां हैं। वे फिल्म लेखक, निर्देशक, निर्माता और गीतकार भी हैं। बॉलीवुड में अच्छी पहचान बनाई है। 6 साल से अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव भी कर रहे हैं। शायद इसी कारण उनके प्रति ईर्ष्या का भाव पैदा हो गया है। इतना बड़ा कार्यक्रम करने के बाद भी अखबारों और मीडिया समन्वयकों को खास भाव नहीं देते हैं। इसी का परिणाम है कि एक अखबार ने तो कवरेज ही नहीं किया। मुझे नहीं पता उन्होंने स्वयं समाचार भेजा या नहीं, लेकिन नहीं भी भेजा, तो भी समाचार तो है ही।
अखबारों में पहले पेज पर धांसू कवरेज कैसे हो
इंटरनेशनल आयोजन होने के बाद भी अखबारों में इसकी समाचार प्रथम पृष्ठ पर दिखाई नहीं दिया। बड़ा ताज्जुब हुआ। सूरज तिवारी और क्या करें कि फेस्टिवल की कवरेज धांसू हो, यह सवाल चाय की टपरी पर (मैं चाय नहीं पीता हूँ) मैंने ही किया थी। सूरज तिवारी कुछ बोलते, उससे पहले ही वहां बैठे सज्जन बोले कि कवरेज के लिए मीडिया समन्वयक को रखना होगा। मीडिया समन्वयकों की इतनी पकड़ है कि वे अखबारों में खबर छपवाने से लेकर रुकवाने तक का काम करते हैं। फिर सूरज तिवारी बोले कि हर साल 2-3 लाख रुपये अपनी जेब से लगा रहा हूँ, किस-किसको पैसे दूँ। सोशल मीडिया पर खूब कवरेज हो रहा है।
दो शिकायतें
मुझे शिकायत है कि पहले दिन निर्धारित समय का अनुपालन नहीं किया गया। घोषित रूप से 2.30 बजे का समय था। शुरू करने की समय था 3.00 बजे। शुरू हुआ 4 बजे। मैं तो निर्धारित समय पर पहुंच गया था। दर्शक और अतिथि भी समय पर नहीं आए। खाली कुर्सियों के आगे उद्घाटन कैसे हो।

गुड़हल और देवकाली
मुझे उद्घाटन समारोह और एक फिल्म देखनी ही थी, इसलिए जमा रहा। अब लगता है कि अगर चला जाता तो युवराज पाराशर की फिल्म गुड़हल देखने से वंचित रह जाता। इस फिल्म के दृश्य आज भी मस्तिष्क पटल पर अंकित हैं। समापन समारोह की फिल्म सीक्रेट्स ऑफ देवकाली ने तो बॉलीवुड की नामी फिल्मों को टक्कर दी। देर बहुत हो गयी थी, फिर भी पूरी फिल्म देखने का लोभ संवरण नहीं कर सका।
बॉलीवुड में सक्रिय आगराइट्स से शिकायत
हालांकि फेस्टिवल में खूब भीड़ रही, विद्यार्थियों का आवागमन होता रहा, फिर भी मुझे एक शिकायत है। फिल्मों में रुचि रखने वाले, बॉलीवुड में सक्रिय आगरा के लोग दिखाई नहीं दिए। आगरा का होने के नाते इतना दायित्व तो बनता है कि एक दिन के लिए आ जाएं। यह ठीक है कि फिल्म बनाने और अभिनय करने वाल बहुत व्यस्त रहते हैं, लेकिन जहां जन्म हैं, उसे कैसे भूल सकते हैं।
रामायण का एक प्रसंग
इस बारे में रामायण का एक प्रसंग याद आ रहा है। महर्षि वाल्मीकि लिखते हैं, रावण का अंत करने के बाद भगवान श्रीराम ने लक्ष्मण को लंका जाने का आदेश दिया था। लंका पहुंचने पर लक्ष्मण को वहां की शोभा और चमक-दमक बहुत पसंद आई। उन्होंने विभीषण का राजतिलक संपन्न कराने के बाद श्रीराम के पास लौटकर बताया “लंका बहुत सुंदर नगरी है, उन्हें कुछ समय के लिए लंका में रहना अच्छा लगेगा।”
यह सुनकर राम ने कहा-
“अपि स्वर्णमयी लंका न मे लक्ष्मण रोचते।
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।”
इसका मतलब है, “हे लक्ष्मण! मुझे स्वर्णमयी लंका भी अच्छी नहीं लगती; माता और मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर होती हैं।”
आप सोचेंगे कि मैं बड़ी बुआ बनने वाला कौन होता हूँ। इसके बाद भी मेरा काम बताना है सो बता दिया, आप मानें या न मानें आपकी मर्जी।
काम के अवसर मिलेंगेः सूरज तिवारी
फेस्टिवल के निदेशक सूरज तिवारी बताते हैं कि फिल्म फेस्टिवल के माध्यम से कई प्रोजेक्ट शुरू हो रहे हैं, जिनसे काम का माहौल बढ़ेगा और बहुत सारे लोगों को काम के अवसर मिलेंगे।
फिर नया इतिहास लिखा
डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के विवेकानंद परिसर (खंदारी) में 15, 16, 17 नवम्बर को हुए फिल्म फेस्टिवल ने एक बार फिर नया इतिहास रच दिया। फिल्म बनाने वाले, दर्शकों और प्रत्येक फिल्म को देखने वालों ने मंच पर आकर कहा कि फिल्म फेस्टिनल अब वाकई इंटरनेशनल हो गया है। सबने इच्छा व्यक्त की कि गोवा फिल्म फेस्टिवल की तरह आगरा में भी कई स्क्रीन्स पर फिल्में प्रदर्शित फिल्म फेस्टविल का आयोजन ग्लैमर लाइव फिल्म्स एवं आईटीएचएम डॉ. भीमराव अम्बेडकर यूनिवर्सिटी ने संयुक्त रूप से किया।
हेमंत पांडेय और शंकर साहनी को अवॉर्ड
प्रसिद्ध अभिनेता हेमंत पाण्डेय को लाइफ टाइम दादा साहेब सम्मान और प्रसिद्ध सिंगर शंकर साहनी को महाकवि सूरदास कला रत्न लाइफटाइम अवार्ड दिया गया।

तीसरे दिन उद्घाटन करने वाले
फिल्म फेस्टिवल के तीसरे दिन फिल्मों के सुबह के सेशन में प्रो. यूएन शुक्ला, अरविन्द गुप्ता, डॉ भीमराव आंबेडकर यूनिवर्सिटी, ललितेश बलूनी क्लास, जीडी गोयनका स्कूल के प्रधानाचार्य पुनीत वशिष्ठ, तपन ग्रुप के सुरेश चंद गर्ग, श्री रतन मुनि जैन इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. अनिल वशिष्ठ, समाजसेवी केशव अग्रवाल, फेस्टिवल डायरेक्टर सूरज तिवारी आदि ने दीप प्रज्ज्वलन करके किया।
फिल्मों की स्क्रीनिंग
सुबह के सत्र में माय रेडियो माय लाइफ, सोंचम्पा, एकलव्य, सैलूट, हेल्प योरसेल्फ, सेकंड इंनिन्हस, शेतकरी फिल्में पसंद की गईं। दूसरे सत्र में क्लोजिंग फ़िल्म “द सीक्रेट ऑफ देवकाली” थी। मुंबई से आई इस फ़िल्म ने धमाल मचा दिया। बेहतरीन कहानी एवं वीएफएक्स के चलते, अच्छे अभिनय ने लोगों को मजबूर कर दिया तालियां बजाने को। इससे पहले 1 स्त्री की कहानी और ब्लैक सारी गीत ने समा बाँध दिया।
नृत्य देख खड़े हो गए
समापन समारोह का शुभारंभ गणेश वंदना से हुआ। दुर्गा सांस्कृतिक कला केंद्र के कलाकारों ने एक के बाद एक नृत्य प्रस्तुत करके एक अलग ही ऊर्जा उत्पन्न कर दी। शिव तांडव, तिरावट आदि परफॉरमेंस ने जलवा बिखेर दिया। पोंडिचेरी से आए फ्रांस के रघुनाथ मानेंट ने नृत्य के माध्यम से लोगों को अपनी सीट से उठकर तालियाँ बजाने पर मजबूर कर दिया। साथ ही फिल्मकारों को अवार्ड्स दिए जाते रहे।
शंकर साहनी संग फोटो खिंचाने को बेताब रहे लोग
प्रख्यात गायक शंकर साहनी, जिनका शिव महामंत्र दुनिया में तहलका मचा रहा है, उन्होंने फिल्म मेकर्स को अवार्ड्स दिए। शंकर साहनी से मिलने का दर्शकों में खासा उत्साह दिखा। उनके साथ फोटो कराने सुनने के लिए लोग बेताब रहे।
इन फिल्मों ने मन मोहा
ब्रेक के बाद मुंबई की थैंक यू बेटा, स्विटजरलैंड की सेफ, आगरा की साहेब की किताब, कोटा से प्लान क्या है, फ्रांस से बैक टू पोंडिचेरी, आगरा की निशिराज की बटेश्वर कनाडा से कोणामी, मुंबई से मेरा वोट वापस दो, आगरा से लाल बत्ती ज़िन्दगी, कर्नाटक से नन ऑफ हर, मुंबई से जया, नॉर्वे से लुक अप और जर्मनी की फिल्म कलर टैस्ट ने दर्शकों का मन मोह लिया।
किन फिल्मों को मिले अवार्ड्स
अजय प्रकाश को बेस्ट फोक म्यूजिक (फिल्म- फुल ब्लैक सारी), निशिराज को बेस्ट इनफार्मेटिव डॉक्यूमेंटरी (फिल्म- बटेश्वर विरासत आगरा की), कपिल सिद्धार्थ (कोटा, राजस्थान) को बेस्ट स्टोरी (फिल्म- राजस्थान प्लान क्या है), बेस्ट सोशल रिफार्म शार्ट फिल्म झूठी नंबर 1 मुंबई, मुंबई के यशवर्धन के एस सोनी को बेस्ट रिसर्च शार्ट फिल्म ( एकलव्य), शिव मिश्रा एकलव्य को बेस्ट एडिटर शॉर्ट फ़िल्म मुंबई, आगरा के युवराज पाराशर को बेस्ट एक्टर एन्ड डेब्यू डायरेक्टर फीचर फ़िल्म (गुड़हल), मुंबई के आशीष शुक्ला को बेस्ट एक्टर शॉर्ट फ़िल्म (सेकंड इनिंग), राजेंद्र दमाम को बेस्ट सोशल रिफार्म शेतकरी (फ़िल्म पुणे), इटावा के राम जन्म सिंह को बेस्ट सोशल एजुकेशन शॉर्ट फ़िल्म (सोन चंपा), आगरा की पल्लवी महाजन को बेस्ट इंस्पिरेशन शॉर्ट फ़िल्म (साहेब की किताब), तुषार खन्ना को बेस्ट मोटिवेशनल शॉर्ट फिल्म (लाल बत्ती ज़िन्दगी), बेस्ट सोशल अवेयरनेस शॉर्ट फ़िल्म एक कहानी स्त्री की, सावन चौहान को बेस्ट ह्यूमन बॉन्डिंग शॉर्ट फ़िल्म रक्षाबंधन, उत्कर्ष चतुर्वेदी को बेस्ट सोशल satire शॉर्ट फ़िल्म (हेल्प योरसेल्फ), रघुनाथ मानेंट को बेस्ट कल्चरल हेरिटेज शॉर्ट फ़िल्म (बैक टू पॉन्डिचेरी), बुस्ट डी ओ पी अवार्ड द spritualisation ऑफ़ जैफ बॉयज स्विट्ज़रलैंड, नेहा सोनी को बेस्ट स्टोरी अवॉर्ड फ़िल्म द सीक्रेट ऑफ़ देवकाली, नागेंद्र वी सिंह को ह्यूमन ड्यूटी अवार्ड फ़िल्म, बेस्ट एक्टर नीरज चौहान मुंबई को (द सीक्रेट ऑफ देवकाली) को दिया गया।
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जया सिंह को अवॉर्ड
थिएटर, फिल्म और टीवी पर्सनालिटी के लिए जया सिंह को अवॉर्ड दिया गया। अवार्ड्स लेने वाले देशों में भारत के अलावा फ्रांस, कर्नाटक, अमेरिका, ब्राजील, जर्मनी, नोर्वे,कनाडा आदि शामिल हैं।
दीपक जैन और अमित तिवारी की भूमिका
फेस्टिवल डायरेक्टर सूरज तिवारी ने देश दुनिया से आए फिल्मेमैर्स का धन्यवाद किया। अगले वर्ष फिर आने को आमंत्रण दिया। तीनों दिन के शानदार संचालन दीपक जैन ने किया। मैनेजमेंट अमित तिवारी के जिम्मे रहा, जो बखूबी निभाया।
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