दीपावली है यक्ष, गंधर्व और देवों का त्योहार — पं. प्रमोद गौतम
धन की चमक के पीछे प्राचीन आध्यात्मिक रहस्य
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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat.
वैदिक सूत्रम के चेयरमैन पं. प्रमोद गौतम ने कहा — दीपावली केवल रोशनी और धन का पर्व नहीं है। यह देव, यक्ष और गंधर्व का भी उत्सव है। यह बात उन्होंने मीडिया से बातचीत में स्पष्ट की।
यक्षों का उत्सव, आनंद और आमोद
पं. गौतम ने बताया कि प्राचीन भारत में कई जातियाँ थीं। यक्ष भी उनमें से एक थीं।
प्राचीन मान्यताओं के अनुसार दीपावली यक्षों का प्रमुख उत्सव था।
यक्ष अपने राजा कुबेर के साथ उस रात आनंद मनाते थे।
यक्ष संस्कृति से मानव समाज तक
समय के साथ यह पर्व मानव समाज में समा गया।
कुबेर का स्थान धीरे-धीरे लक्ष्मी से जुड़ा।
आज कई जगहों पर लक्ष्मी पूजा के साथ कुबेर की भी अराधना होती है।
आतिशबाजी, पकवान और मनोरंजन — ये तत्व भी यक्ष संस्कृति से जुड़े माने जाते हैं।
लक्ष्मी, गणेश और धार्मिक समन्वय
गणेश जी को ऋद्धि-सिद्धि का प्रदाता माना गया।
इसलिए लक्ष्मी-गणेश का मेल व्यापक हुआ।
कुबेर केवल धन के अधिपति थे। गणेश और लक्ष्मी का संबंध अधिक प्रचलित बना।
विष्णु, महाबली और देव दीपावली
पं. गौतम ने कहा — दीपावली का आरम्भ राजा महाबली के काल से जुड़ा है।
विष्णु ने वामन रूप में तीन पग में तीनों लोक नापे।
राजा बली को पाताल लोक का स्वामी बनाया गया। तब से हर वर्ष दीप प्रज्वलित करने की परंपरा चली आई।
नरक चतुर्दशी छोटी दीपावली है। अमावस्या बड़ी दीपावली है। कार्तिक पूर्णिमा पर देव दीपावली मनाई जाती है।
एक दिन, कई धार्मिक यादें
दक्षिण भारत में बली का महत्त्व विशेष है।
एक दिन पहले श्रीकृष्ण ने नरकासुर वध किया। इसलिए दीप जलाए गए।
यह दिन महावीर स्वामी के निर्वाण दिवस के रूप में भी याद रखा जाता है।
बौद्ध परंपरा में यह दिन गौतम बुद्ध के स्वागत का दिन भी रहा।
अयोध्या में राम का आगमन, लक्ष्मी और धन्वंतरि का आविर्भाव, और बंगाल की काली पूजा — सभी इस दिन जुड़ी घटनाएँ हैं।
संपादकीय: दीपों की दार्शनिक भाषा
दीपावली केवल परंपरा नहीं है। यह सभ्यता का प्रतिबिम्ब है।
यह दिखाती है कैसे जातीय उत्सव मानवता का उत्सव बनते हैं।
यक्षों की विलासिता से लेकर देवों की भक्ति तक — सब इसमें समाहित है।
यह पर्व हमें याद दिलाता है कि प्रकाश अनन्य नहीं। प्रकाश सबका है।
हर दीपक ज्ञान और भक्ति की जीत का प्रतीक है।
दीप जलाना केवल रस्म नहीं। यह आत्मा का उत्सव है। यह अंधकार पर ज्ञान की जीत का उद्घोष है।
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