world mother language day

भारत में 1365 मातृभाषाएं, इस आलेख में पढ़िए Languages के बारे में रोचक जानकारी

INTERNATIONAL NATIONAL PRESS RELEASE REGIONAL लेख

आज हम एक ऐसे विशेष दिवस की बात कर रहे हैं जो दुनिया भर में उस देश की संस्कृति और सभ्यता की पहचान को न केवल बताता है बल्कि दुनिया भर में उस देश की संस्कृति और सभ्यताओं की सम्मान कराता है। आज हम विश्व मातृभाषा दिवस की बात कर रहे हैं| हर देश में अपनी -अपनी एक या अनेक भाषाएं बोली जाती हैं| हम सभी जानते हैं भाषा की मनुष्य के जीवन में बहुत अहमियत एवं भूमिका होती है| भाषा के माध्यम से ही देश ही नहीं, बल्कि विदेशों के साथ संवाद स्थापित किया जा सकता है।

अंतर्राष्ट्रीय भाषा दिवस मनाने के पीछे भी एक इतिहास है| आप सबको पता होगा 21 फरवरी 1952 को ढाका यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने तत्कालीन पाकिस्तानी सरकार की भाषा नीति का कड़ा विरोध जताते हुए अपनी मातृभाषा का अस्तित्व बनाए रखने के लिए विरोध प्रदर्शन किया| पाकिस्तान की पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोली की बरसात कर दी, जिससे अनेक प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई। इसके बावजूद प्रदर्शनकारी झुके नहीं। तब सरकार को बांग्ला भाषा को आधिकारिक दर्जा देना पड़ा। बांग्लादेश में वर्ष 1952 से ही लगातार मातृभाषा या कहें शहीद दिवस मनाया जाता है| इस दिन एक राष्ट्रीय अवकाश भी होता है। मातृभाषा व शहीद युवाओं की स्मृति में यूनेस्को ने पहली बार 1999 में 21 फरवरी को मातृभाषा दिवस के रूप में बनाने की घोषणा की। वर्ष 2000 को संयुक्त राष्ट्र आम सभा ने अंतर्राष्ट्रीय भाषा वर्ष घोषित करते हुए 21 फरवरी को ही अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के महत्व को फिर दोहराया|

हर देश में इंटरनेशनल मदर लैंग्वेज डे या भाषा डे और लैंग्वेज मूवमेंट डे और भाषा शहीद दिवस के नाम से जाना जाता है। विश्व मातृभाषा दिवस के दिन यूनेस्को और यूएन एजेंसियां दुनिया भर में भाषा और कल्चर से जुड़े उस देश की अपनी संस्कृति को एक पहचान, उत्थान, युवा पीढ़ी को उससे रूबरू कराना, वाद-विवाद, लेखन प्रतियोगिता आदि अलग-अलग तरह के कार्यक्रम आयोजित कराते हैं ताकि इस दिवस को मनाने के उद्देश्य की पूर्ति हो और विश्व में भाषाई एवं संस्कृति विविधता और बहु भाषा को बढ़ावा मिले। दुनिया भर में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में एक हिन्दी है,जो गर्व की बात है। आइए भारत की मातृभाषा के बारे में चर्चा करते हैं। भारत में एक बड़ी मशहूर कहावत है कोस कोस पर पानी बदले चार कोस पर बानी। यानी भारत में हर चार कोस पर भाषा के बदलते ही वहां की संस्कृति में भी बदलाव आ जाता है। जब एक स्थान से दूसरे स्थान पर नई बस्ती बसाते हैं तो वे एक से अधिक भाषा बोलने-समझने में सक्षम हो जाते हैं। 43 करोड़ लोग देश में हिन्दी बोलते हैं, इसमें 12 फीसद द्विभाषी है और उनकी दूसरी भाषा अंग्रेजी है। हिन्दी और पंजाबी के बाद बांग्ला भारत में तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। बांग्ला बोलने वाले 9.7 करोड़ लोगों में 18 फीसद द्विभाषी हैं। देश में 14 हजार लोगों की मातृभाषा संस्कृत है। हिन्दी मॉरीशस, त्रिनिदाद-टोबैगो, गुयाना और सूरीनाम की प्रमुख भाषा है। फिजी की सरकारी भाषा हिन्दी है।

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार विश्व में 6900 लगभग भाषाएं बोली जाती हैं इनमें 90 फ़ीसदी भाषाएं एक लाख से भी कम लोगों द्वारा बोली जाती हैं| दुनिया की कुल आबादी में तकरीबन 60% लोग 30 प्रमुख भाषाएं बोलते हैं जिसमें 10 सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं में जापानी, अंग्रेजी, रूसी, हिन्दी, बांग्ला, पुर्तगाली, अरबी, पंजाबी, मंदारिन और स्पेनिश है| अगले 40 साल वर्ष में 4000 से अधिक भाषाओं के खत्म होने की संभावना है। गैर सरकारी संगठन भाषा ट्रस्ट के संस्थापक और लेखक गणेश डेवी ने गहन शोध के बाद एक रिपोर्ट में बताया है कि शहरीकरण और प्रवास की भागमभाग में करीब 230 भाषाओं का नामोनिशान मिट गया है। वर्ष 1961 की जनगणना के अनुसार भारत में 1652 भाषाएं बोली जाती थीं जो चार कोस वाली कहावत को सिद्ध करती हैं| हाल में ही कुछ वर्ष पूर्व एक जनगणना के अनुसार भारत में अब 1365 मातृभाषाएं हैं, जिनका क्षेत्रीय आधार के अनुसार बोली जाती हैं| हम सभी जानते हैं भारत विविधताओं रूप रंग संस्कृति भाषा और परिधान का देश है लेकिन समर्पिता में समग्रता हिन्दी भाषा हमारी अपनी पहचान है| 29 ऐसी भाषाएं हैं जिनको 10 लाख से ज्यादा लोग बोलते हैं। भारत में सात ऐसी भाषाएं बोली जाती हैं जिनको बोलने वालों की संख्या एक लाख से ज्यादा है। भारत में 122 ऐसी भाषाएं हैं जिनको बोलने वालों की संख्या 10,000 से ज्यादा है। करीब 42.2 करोड़ लोग भारत की मातृभाषा हिन्दी का उपयोग करते हैं यानी दुनिया भर में करीब 4.46 % लोग सिर्फ हिन्दी का उपयोग करते हैं अर्थात 63.8 करोड़ लोगों की अन्य मातृभाषा है।

भारत ही नहीं अन्य देश भी अपनी भाषाओं को न केवल खो रहे हैं बल्कि उससे जुड़ी हुई पहचान के अस्तित्व को भी धूमिल कर रहे हैं| दुनिया भर में ऐसी 2500 भाषाएं हैं जो अपने अस्तित्व के खत्म होने के कगार पर पहुंच गई हैं| आज विश्व मातृभाषा दिवस पर हम सब भारतीयों की ज़िम्मेदारी हैं हम अपनी मातृभाषा का इस्तेमाल करें बल्कि प्रचार भी करें। जिस तरह से भारत में साहित्यिक मंचों का गठन हो रहा है हमको विश्वास है कि भारत की मातृभाषा दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ेगी। विश्व मातृभाषा दिवस पर सभी को बहुत बधाई व शुभकामनाएं।

rajiv gupta
rajiv gupta

राजीव गुप्ता जनस्नेही

लोकस्वर, आगरा