बिहार की नीतीश कुमार सरकार में मंत्री मुकेश सहनी अब अकेले पड़ गए हैं। बीजेपी से झटका मिलने के बाद गुरुवार को मुकेश सहनी का दर्द आखिरकार छलक ही पड़ा। उन्होंने कहा कि बीजेपी जो 74 विधायकों की पार्टी थी, आज सहनी की बदौलत ही नंबर वन पार्टी बनी है। सहनी ने ये भी कहा कि अपने भविष्य बनाने के लिए हम 18 साल की उम्र से ही संघर्ष कर रहे हैं। अपने समाज के लोगों की समस्या को दूर करने के लिए संघर्ष किया और आगे भी करता रहूंगा। मुकेश सहनी से जब मंत्री पद से इस्तीफे को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने सारा कुछ सीएम नीतीश कुमार छोड़ दिया। उन्होंने कहा कि ये मुख्यमंत्री का अधिकार क्षेत्र है कि वह हमें मंत्री बने रहने देना चाहते हैं या हटा देते हैं।
सहनी की पार्टी VIP के खात्मे का खेल लंबे समय से चल रहा था। अब उनके पास न विधायक हैं और न वो जमीन जिस पर मुकेश सहनी मंत्री पद पर बने रह सकें। जानकारों की मानें तो अब बीजेपी ने मुकेश सहनी को जल बिन मछली की तरह तड़पने के लिए छोड़ दिया है। फिलहाल नीतीश पर ही अब सहनी को उम्मीदें हैं।
जल बिन मछली हुए ‘सन ऑफ मल्लाह’
वीआईपी प्रमुख सन ऑफ मल्लाह की स्थिति कुछ ऐसी ही है। उनके चारों विधायक उनके हाथ से बाहर जा चुके हैं। एक विधायक मुसाफिर पासवान का निधन हो चुका है। उनकी सीट यानी बोचहां विधानसभा का उप-चुनाव होना है। वहीं वीआईपी के तीन विधायकों ने बुधवार को बीजेपी ज्वाइन कर ली। अब वीआईपी के पास न तो कोई विधायक है और न वो खुद जनता के वोट से जीते हुए नेता हैं। 4 विधायकों के सहारे बीजेपी को समर्थन देकर वो बीजेपी के MLC बनकर पशुपालन और मत्स्य विभाग के मंत्री बन गए।
कौन हैं मुकेश सहनी
बॉलीवुड में करोड़ों रुपए कमा कर मुकेश सहनी ने साल 2013 में राजनीति की ओर रुख किया। मगर उन्हें असली पहचान साल 2015 में मिली। पैसों के दम पर ही सहनी ने पॉलिटिक्स में एंट्री की। 2015 में बीजेपी के लिए चुनाव प्रचार करने के बावजूद बीजेपी को हार मिली। इसके बाद सहनी आरजेडी के साथ महागठबंधन में शामिल हुए। मुकेश सहनी खुद को कहते हैं ‘सन ऑफ मल्लाह’- इसी नाम से उन्होंने चुनाव के दौरान अपनी मार्केटिंग की। बिहार में करीब 6 फीसद आबादी इस समुदाय की है। जिसमें 10 जातियां हैं, जिन्हें अति पिछड़ी जातियों में शामिल किया गया। महागठबंधन में शामिल होने के लिए सहनी ने 2018 में अपनी पार्टी वीआईपी का गठन किया था।
करोड़ों की संपत्ति के मालिक हैं सहनी। जानकारी के अनुसार वो आठवीं पास हैं लेकिन उनके पास करोड़ों रुपए हैं। जमीन-जायदाद और मकानों की बात करें तो उनके पास मुंबई में घर है। जिसकी कीमत तकरीबन 3 करोड़ है। उन्होंने जो ब्यौरा दिया है, उसके मुताबिक एसेट्स और लायबिलिटीज को मिलाकर उनके पास करीब 12 करोड़ की संपत्ति है। मुकेश सहनी की पत्नी का नाम कविता सहनी है। उनके दो बच्चे हैं रणवीर सहनी और मुस्कान सहनी। इसके अलावा परिवार में एक भाई संतोष और बहन रिंकू सहनी है।
6 फीसद वोट पर बीजेपी से की थी 11 सीटों की बारगेनिंग
देखा जाए तो मुकेश सहनी बिहार की राजनीति में कोई बहुत बड़े नेता नहीं हैं। अब तक वो एक भी चुनाव खुद नहीं जीत पाए हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान केवल 6 फीसद वोट की मार्केटिंग कर मुकेश सहनी ने बीजेपी से 11 सीटों पर बारगेनिंग कर ली थी, लेकिन सहनी अपनी ही सीट हार गए। सहनी सहरसा जिले की सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा सीट से खड़े हुए थे। बीजेपी के समर्थन के बावजूद आरजेडी के युसुफ सलाउद्दीन ने उन्हें हरा दिया था।
बीजेपी ने सहनी को दीं 11 सीटें पर उतारे अपने कैंडिडेट
बिहार की राजनीति में मुकेश सहनी की एंट्री 2015 विधानसभा चुनाव के दौरान हुआ। उस वक्त मुकेश सहनी ने बीजेपी के लिए मल्लाहों का वोट मांगा था लेकिन मुकेश सहनी की स्टार वाली एंट्री भी बीजेपी को कोई फायदा नहीं दिलवा पाई। यहां बीजेपी को हार मिली। तभी से बीजेपी को मुकेश सहनी की मल्लाहों में हैसियत का अंदाजा लगने लगा था। जिसके बाद वह सहनी से दूरी बनाने भी लगी थी। 2020 में भी बीजेपी ने मल्लाहों के वोट पर सहनी के जरिए दांव खेला लेकिन सहनी इस बार भी कोई चमत्कार नहीं कर पाए। यही जानकर बीजेपी ने 11 सीटों में से ज्यादातर पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। दरअसल ये जीते हुए कैंडिडेट बीजेपी के ही हैं। जिनके बल पर सहनी बीजेपी को आंख दिखा रहे थे।
आरजेडी के जरिए महागठबंधन में भी यात्रा कर चुके हैं सहनी
बीजेपी ने जब दूरी बनाई थी तो सहनी ने आरजेडी के जरिए महागठबंधन का दामन थाम लिया था। तेजस्वी को छोटा भाई बताया था और आरजेडी को अपना परिवार। सहनी ने आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ने की पूरी कोशिश की थी, लेकिन तेजस्वी ने उन्हें टिकट देने से मनाकर दिया था। 2020 विधानसभा चुनाव के दौरान सहनी ने 10 सर्कुलर रोड (राबड़ी आवास) के दर्जनों चक्कर लगाए, लेकिन तेजस्वी ने सहनी की दाल नहीं गलने दी। तब सहनी ने तेजस्वी पर ‘पीठ में खंजर भोंकने’ का आरोप लगाकर बीजेपी के साथ चले गए थे।
-एजेंसियां
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