सेवा ही साधना: महामंडलेश्वर स्वामी उमाकांतानन्द की महामहिम राष्ट्रपति से आध्यात्मिक भेंट, दिया ये संदेश
शाश्वतम् परिवार का राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति से मिला
आगरा। श्रीदशनाम पंचायती जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर डॉ. स्वामी उमाकांतानन्द सरस्वती जी महाराज, जो श्रीराम डिवाइन चैरिटेबल ट्रस्ट हरिद्वार एवं शाश्वतम् फाउंडेशन मारीशस के संस्थापक अध्यक्ष हैं, उनके पावन सान्निध्य में शाश्वतम् परिवार के प्रतिनिधियों ने भारत की महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी से शिष्टाचार भेंट की।
यह मुलाक़ात केवल एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं थी, बल्कि राष्ट्र और धर्म के संगम का प्रतीक क्षण बन गई।
राष्ट्रीय चेतना के मुद्दों पर संवाद
प्रतिनिधिमंडल में भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व राज्यसभा सांसद समीर उरांव, झारखंड के राकेश भास्कर, राष्ट्रीय संयोजक डॉ. जितेन्द्र सिंह, और आयुर्वेदाचार्य वैद्य दीपक कुमार, सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
वार्ता के दौरान गरीबी उन्मूलन, शिक्षा, चिकित्सा, पर्यावरण और जल संरक्षण जैसे राष्ट्रीय मुद्दों पर गहन चर्चा हुई।
महामहिम को अर्पित हुआ भगवान श्रीराम का चित्र
महामंडलेश्वर स्वामी उमाकांतानन्द जी ने महामहिम राष्ट्रपति महोदया को भगवान श्रीराम का चित्र स्मृति-चिह्न के रूप में भेंट किया।
यह क्षण आध्यात्मिकता और राष्ट्रनिष्ठा के अद्भुत संगम का प्रतीक बना।

“गांव की बस्तियों में जाकर करें सेवा” — राष्ट्रपति का संदेश
महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी ने कहा कि ऐसे शिष्यों का निर्माण किया जाए जो गांवों की गरीब बस्तियों में जाकर लोगों को जागरूक करें और उनके बीच रहकर समाज सेवा का कार्य करें।
उन्होंने कहा — “जब तक समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति तक विकास नहीं पहुंचता, तब तक राष्ट्र की आत्मा अधूरी रहती है।”
संत समाज की भूमिका पर दृढ़ संकल्प
आगरा के जिला शासकीय अधिवक्ता अशोक चौबे एडवोकेट ने बताया कि स्वामी जी ने महामहिम को अवगत कराया कि संत समाज गरीबी उन्मूलन से लेकर पर्यावरण संरक्षण तक अनेक राष्ट्रीय विषयों पर सक्रियता से कार्य कर रहा है।
स्वामी जी ने कहा कि महामहिम द्वारा सुझाए गए सभी बिंदुओं पर पूर्ण निष्ठा और सामर्थ्य के साथ कार्य किया जाएगा।
सभी प्रतिनिधियों का परिचय भाजपा नेता समीर उरांव द्वारा कराया गया और सभी ने महामहिम से शिष्टाचार भेंट की।
आगरा आगमन के दौरान श्री प्रकाश गुप्ता, शांति स्वरूप गोयल (कृष्णा आयल ), डॉ आनंद राय, संजीव चौबे, मनोज गुप्ता, दीपक चौबे, प्रशांत दुबे आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
संपादकीय: जब संत और सत्ता साथ चलें, तब राष्ट्र होता है आत्मबल से परिपूर्ण
राष्ट्र की यात्रा केवल नीतियों और योजनाओं से नहीं, बल्कि आत्मिक ऊर्जा से भी संचालित होती है।
जब एक महामंडलेश्वर और महामहिम राष्ट्रपति “सेवा ही साधना है” के सिद्धांत पर एकमत हों — तब यह राष्ट्र की आत्मा की पुकार बन जाती है।
आज भारत केवल आर्थिक या राजनीतिक शक्ति नहीं, बल्कि आध्यात्मिक महाशक्ति बनने की दिशा में अग्रसर है।
संत समाज यदि गांव-गांव जाकर अंधकार मिटाने की भूमिका निभाए, तो वह केवल सेवा नहीं, बल्कि रामराज्य की पुनर्स्थापना का मार्ग प्रशस्त करेगा।
स्वामी उमाकांतानन्द जैसे संत जब राष्ट्र प्रमुख से संवाद करते हैं, तो यह राजनीति नहीं — संस्कार और संकल्प का संगम होता है।
यही वह क्षण है जब भारत केवल एक देश नहीं, बल्कि धर्म, सेवा और समरसता की जीवित परंपरा बन जाता है।
Dr Bhanu Pratap Singh
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