दिल्ली एम्स में भर्ती मरीजों को महंगी दवाइयां बाजार से खरीदनी पड़ती हैं

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आगरा: वैदिक सूत्रम चेयरमैन विश्वविख्यात ख्याति प्राप्त एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम के छोटे भाई को 02 माह के बाद 22 अप्रैल को दिल्ली एम्स अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया है, आगरा पहुँचने के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए पंडित गौतम ने बताया कि 17 फरवरी 2024 को उन्होंने अपने छोटे भाई प्रवीन कुमार गौतम को दिल्ली एम्स अस्पताल में आपातकालीन स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या होने पर भर्ती कराया था, दिव्य कृपा से 02 माह बाद 20 अप्रैल से उनके छोटे भाई की नाजुक स्थिति में सुधार होना आरम्भ हुआ और 22 अप्रैल को उनके छोटे भाई को डिस्चार्ज कर दिया गया है।

एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि उनके छोटे भाई प्रवीन कुमार गौतम को पीलिया के कारण लीवर में इन्फेक्शन हो गया था, साथ ही उनके छोटे भाई की पित्त की थैली में कई पथरी हो गयी थी जिसके कारण उनके छोटे भाई की हालत पिछले वर्ष 14 अक्टूबर 2023 से नाजुक हो गयी थी, वर्ष 2023 में भी 22 दिन एम्स अस्पताल में भर्ती रहने के बाद छुट्टी हो गयी थी लेकिन पुनः आपातकालीन स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या होने पर उन्होंने अपने छोटे भाई को 17 फरवरी 2024 को दिल्ली एम्स अस्पताल में पुनः भर्ती कराया जहां उनके छोटे भाई की हालत पीलिया और पित्त की थैली में कई पथरी होने के कारण हालत ज्यादा नाजुक होने पर 02 माह तक लगातार एम्स अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा इस दौरान इन्फेक्शन को काबू में करने के लिए कई सर्जरी भी हुई, लेकिन दिव्य कृपा से 02 माह बाद स्थिति में सुधार होना आरम्भ हुआ था।

पंडित गौतम ने बताया कि एम्स हॉस्पिटल में उनके छोटे भाई की 22 मार्च को पेट की बड़ी सर्जरी हुई थी, लेकिन पीलिया के कारण इंफेक्शन ज्यादा होने के कारण सर्जरी के बाद लीकेज हो गयी जिसको बड़ी मुश्किल से एम्स के चिकित्सकों ने 20 अप्रैल तक लगातार महंगें एंटीबायोटिक इंजेक्शन एवम टैबलेट देने के बाद काबू में किया।

वैदिक सूत्रम चेयरमैन पंडित प्रमोद गौतम ने एम्स अस्पताल में अपने 02 माह के कटु अनुभवों के बारे में बताते हुए कहा कि एम्स अस्पताल में महंगे एंटीबायोटेक इंजेक्शन एवम टैबलेट मरीज के परिवार को बाहर से लानी पड़ती है, एम्स अस्पताल केवल आयुष्मान कार्ड धारकों को ही अस्पताल से महंगे एंटीबायोटिक एवम टैबलेट उपलब्ध कराता है। जिनके पास आयुष्मान कार्ड नहीं है उन्हें महंगे इंजेक्शन एवम टेबलेट बाहर से लाने पड़ते हैं, ये एक गम्भीर समस्या है जिसको केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को गम्भीरता पूर्वक लेना चाहिए क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति के पास आयुष्मान कार्ड नहीं होता है अगर वह देश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में लंबे समय तक इलाज करवाता है तो भी उसके 4-5 लाख रुपये खर्च आसानी से हो जाता है।

Dr. Bhanu Pratap Singh