सपा सरंक्षक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का सोमवार को निधन हो गया। वे 82 साल के थे। उन्होंने आज सुबह लगभग 8:30 बजे गुडगांव स्थित मेदांता हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली। मुलायम सिंह के निधन की सूचना मिलते ही चारों ओर और उनके समर्थकों में शोक की लहर दौड़ गई। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी रहे वर्तमान में केंद्रीय राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल से खास वार्ता की।
मुलायम सिंह यादव के सुरक्षा गार्ड से लेकर मोदी मंत्रिमंडल तक का सफर तय करने वाले केंद्रीय राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल का कहना है कि सपा सरंक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन से केवल समाजवादी पार्टी को ही नहीं बल्कि पूरे देश को क्षति पहुंची है। सबसे ज्यादा नुकसान तो वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए राजनीतिक क्षेत्र को हुआ है। क्योंकि मुलायम सिंह यादव जमीन से जुड़े हुए नेता थे। आज भी वह अपने साथ के लोगों को भूलते नहीं थे। इसीलिए उन्हें धरतीपुत्र भी कहा जाता था। आज उनका यूंही चले जाना किसी सदमे से कम नहीं है।
केंद्रीय राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने कहा कि मुलायम सिंह यादव मेरे राजनीतिक गुरु थे। जब मैं उनकी सिक्योरिटी में शामिल था तभी उन्होंने मेरी राजनीतिक दक्षता को परख लिया था। वह न जाने कितनी बार विधायक और कितनी बार सांसद रहे। इसलिए उन्हें तो खुद राजनीतिक संस्थान कहा जाता था। उनके सानिध्य में जो भी गया वह एक अच्छा राजनीतिक बनकर निकला। जिसके जीता जागता उदाहरण भी कई मिल जाएंगे।
‘आंदोलन का दूसरा नाम मुलायम सिंह यादव’
प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल ने बताया कि मुलायम सिंह यादव आंदोलन का दूसरा नाम था। उन्होंने कई ऐसे आंदोलन किए जिसके कारण उन्हें आंदोलनों का प्रणेता कहा जाता था। ग्राउंड जीरो पर जाकर जिन्होंने संघर्ष किया उनमें से एक नाम मुलायम सिंह यादव का भी है। उन्होंने एक नारा दिया था कि मारेंगे भी नहीं और मानेंगे भी नहीं। इस नारे के तहत उन्होंने संघर्षों की कई लड़ाई लड़ी और जीत भी हासिल की।
केंद्रीय राज्य मंत्री ने बताया कि अगर लोहिया की विरासत को किसी ने संभाला है तो वह मुलायम सिंह यादव हैं। मुलायम सिंह यादव जमीन से जुड़े हुए नेता थे। हर किसी का दुख दर्द जानते थे। इसीलिए उन्होंने लोहिया को जीवन का आदर्श माना और उनके बताए पद चिन्हों पर चले। समाजवादी पार्टी लोहिया के आदर्शों की ही जननी थी।
प्रो. एसपी सिंह बघेल ने बताया कि उन्होंने कई दल बदले। हाल ही में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने उन्हें करहल सीट से चुनाव लड़ाया था। करहल सीट से ही अखिलेश यादव भी चुनावी मैदान में थे। चुनाव प्रचार के दौरान उनसे मुलाकात हुई, पैर छूकर उनका आशीर्वाद भी लिया और हाल ही में चुनाव संपन्न होने के बाद भी उनसे मुलाकात होने पर उन्होंने कहा कि तुम चुनाव बहुत अच्छा लड़े थे।
नेता जी की धर्मपत्नी साधना जी के निधन पर भी वह उनसे मिलने पहुंचे थे। नेताजी ने कभी भी राजनीतिक प्रतिद्वंदिता नहीं मानी। क्योंकि वह लोहिया के पद चिन्हों पर चलने वाले एक सच्चे नेता थे।
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