अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी साहित्य भारती 36 देश में सक्रिय गिनीज बुक में नाम, हिंदी को राष्ट्र की आत्मा मान 1 जुलाई से विशेष अभियान

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आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत।  हिन्दी के प्रचार-प्रसार और गौरवशाली सांस्कृतिक मूल्यों के उत्थान के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन ‘‘अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी साहित्य भारती’’ (पंजीकृत न्यास) की उत्तर प्रदेश इकाई द्वारा किया गया। बैठक की अध्यक्षता संस्था के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष डॉ. देवी सिंह नरवार ने की। यह आयोजन बोदला, बिचपुरी रोड स्थित एच.आर. एस्टेट पर सम्पन्न हुआ, जिसमें हिन्दी से जुड़े विद्वानों, शिक्षकों, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।

संस्था का उद्देश्य—विश्व को मानवीय मूल्यों से जोड़ना
डॉ. देवी सिंह नरवार ने संस्था के उद्देश्यों और कार्ययोजना पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए बताया कि संस्था के अंतर्राष्ट्रीय (केन्द्रीय) अध्यक्ष पूर्व बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री डॉ. रविन्द्र शुक्ला हैं। ‘अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी साहित्य भारती’ 36 देशों में सक्रिय एक वैश्विक संगठन है, जो “मानव बन जाए जग सारा, यह पावन संकल्प हमारा” को अपना ध्येय वाक्य मानकर कार्य कर रही है। इसका उद्देश्य केवल भाषा का प्रचार नहीं, बल्कि भारतीय चिंतन और जीवन मूल्यों को वैश्विक मंच पर पुनर्स्थापित करना है।

गिनीज बुक में नाम दर्ज, हिन्दी को दिलाई वैश्विक पहचान
इस संस्था को “गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स” में भी स्थान मिल चुका है, जो हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में इसके ऐतिहासिक योगदान का प्रमाण है। डॉ. नरवार ने कहा कि हिन्दी केवल एक भाषा नहीं, अपितु राष्ट्र की आत्मा है, और इसके प्रचार-प्रसार के लिए समाज में फैली नकारात्मक धारणाओं को तोड़ना आवश्यक है।

हिन्दी—विश्व की सबसे समृद्ध भाषा
वरिष्ठ पत्रकार श्री राजीव सक्सेना ने अपने विचार रखते हुए हिन्दी की समृद्धता और वैज्ञानिक आधार की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि देवनागरी लिपि में वह सामर्थ्य है, जो विश्व की लगभग हर भाषा को अपने भीतर समाहित कर सकती है। अंग्रेजी के प्रभाव के बीच हिन्दी को निरंतर चुनौतियाँ झेलनी पड़ रही हैं, लेकिन हिन्दी की जड़ें अत्यंत गहरी हैं।

आजीवन हिन्दी सेवा का संकल्प
बैठक में उपस्थित सभी हिन्दी सेवियों ने हिन्दी के उत्थान और समृद्धि के लिए आजीवन समर्पित रहने का संकल्प लिया। हिन्दी को राजभाषा के रूप में स्थापित करने की दिशा में यह एक भावनात्मक और क्रांतिकारी पहल मानी जा रही है।

जिला कार्यसमिति के गठन की तैयारी पूरी
बैठक में आगरा जनपद की जिला कार्यसमिति के गठन पर भी चर्चा हुई। सुझावों के आधार पर पचास सक्रिय हिन्दी सेवियों की सूची तैयार की गई है, जिसे आगामी 27 जुलाई को अंतिम रूप देकर समिति का गठन किया जाएगा। सूची में और नाम जोड़ने की प्रक्रिया भी जारी है।

1 जुलाई से 26 जुलाई तक जनसंपर्क जागरूकता अभियान
यह निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया कि संस्था 1 जुलाई से 26 जुलाई तक प्रदेशभर में विशेष जनसंपर्क अभियान चलाएगी, जिसमें संस्था के उद्देश्यों, गतिविधियों और कार्य योजनाओं का प्रचार-प्रसार किया जाएगा।

प्रचार हेतु सात सदस्यीय टीम का गठन
इस अभियान को सफल बनाने के लिए श्रीमती विमला देवी इंटर कॉलेज, गढ़ीरामी, एत्मादपुर के अंग्रेजी प्रवक्ता डॉ. के.पी. सिंह की अध्यक्षता में सात सदस्यीय टीम का गठन किया गया। टीम में डॉ. योगेन्द्र सिंह, श्री रमेश सिंह यादव, श्री देवेंद्र कुमार, श्री श्याम सिंह, डॉ. सोनवीर सिंह, श्रीमती कुसुम शर्मा सहित अन्य नाम शामिल हैं।

विचारमंथन में शामिल रहे अनेक प्रबुद्धजन
बैठक में डॉ. के.पी. सिंह, श्री कृष्णवीर सिंह, श्री अवधेश सिंह, श्रीमती कृष्णा, श्री अमित कुमार, डॉ. अतुल कुमार वर्मा सहित अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने अपने विचार रखे। सभी ने हिन्दी के प्रचार में समाज, शिक्षा और मीडिया की भूमिका पर जोर दिया।

✒️ संपादकीय टिप्पणी

डॉ. देवी सिंह नरवार की यह पहल निःसंदेह हिन्दी के लिए एक प्राणवायु के समान है। जिस प्रकार उन्होंने एक अंतर्राष्ट्रीय मंच को हिन्दी और भारतीय जीवन मूल्यों से जोड़ा है, वह न केवल अनुकरणीय है बल्कि देश के बौद्धिक जगत के लिए प्रेरणादायक भी। डॉ. नरवार की सोच केवल भाषायी सीमाओं तक सीमित नहीं है, वह हिन्दी को मानवता की भाषा बनाना चाहते हैं। ऐसे व्यक्तित्व हिन्दी जगत के सच्चे ध्वजवाहक हैं।

हिन्दी का स्वर्णिम युग तभी संभव है जब डॉ. नरवार जैसे चिंतकों के विचारों को धरातल पर उतारा जाए

डॉ भानु प्रताप सिंह

Dr. Bhanu Pratap Singh