“बोर्ड परीक्षाओं में नकल की प्रवृत्ति: एक चुनौती—कारण एवं निवारण” विषय पर मंथन
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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. आगरा। बोर्ड परीक्षाओं में नकल रोकने की कोशिशें जहां लगातार तेज हो रही हैं, वहीं यह प्रक्रिया स्वयं भ्रष्टाचार की चपेट में है। नागरी प्रचारिणी सभा के पुस्तकालय भवन में आयोजित परिचर्चा “बोर्ड परीक्षाओं में नकल की प्रवृत्ति: एक चुनौती—कारण एवं निवारण” में राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश के प्रदेश कार्यसमिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. देवी सिंह नरवार ने परीक्षा प्रणाली की गंभीर खामियों को उजागर किया। उन्होंने कहा कि हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाएं बीते लंबे समय से अवैध धन उगाही का माध्यम बन गई हैं। परीक्षा केंद्रों के निर्धारण में मोटी रकम लेकर दागी विद्यालयों को परीक्षा स्थल बनाया जाता है, जिससे नकल को बढ़ावा मिलता है।
नकल रोकने की तमाम कोशिशें नाकाम
डॉ. नरवार ने बताया कि नकल की भयावहता इतनी बढ़ गई है कि इसे रोकने के लिए अतिरिक्त केंद्र व्यवस्थापक, सचल दल, पर्यवेक्षक, स्टेटिक मजिस्ट्रेट, जोनल मजिस्ट्रेट और पुलिस बल की तैनाती करनी पड़ती है। बोर्ड प्रश्नपत्रों को डबल लॉकर में CCTV निगरानी में रखने के बावजूद प्रश्नपत्र लीक होने की घटनाएं सामने आ रही हैं। फर्जी परीक्षार्थियों से परीक्षा दिलाना, उत्तर पुस्तिकाओं की हेराफेरी, गैर-शिक्षकों की ड्यूटी और कक्ष निरीक्षकों द्वारा खुलेआम नकल कराना, परीक्षा की पवित्रता, विश्वसनीयता और गोपनीयता पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है।
परिचर्चा को मंचासीन डॉक्टर देवी सिंह नरवार एवं अन्य।
शासन-प्रशासन के लिए परीक्षा सुरक्षा बनी चुनौती
वरिष्ठ पत्रकार डॉ. भानु प्रताप सिंह ने इस परिचर्चा में कहा कि उत्तर प्रदेश बोर्ड परीक्षाएं शासन-प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन चुकी हैं। नकल माफियाओं के संगठित नेटवर्क का पूरी तरह खात्मा किए बिना नकल पर प्रभावी रोक संभव नहीं है।
महासंघ के जिला समन्वयक डॉ. के. पी. सिंह ने परीक्षा ड्यूटी के दौरान कक्ष निरीक्षकों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि निरीक्षकों को भयमुक्त और तनावमुक्त करने के लिए कठोर एवं प्रभावी सुरक्षा प्रबंध किए जाने चाहिए।
संबोधित करते डॉक्टर देवी सिंह नरवार
स्वच्छ छवि वाले विद्यालय ही बनें परीक्षा केंद्र
संघर्ष समिति के जिला संयोजक एवं परिचर्चा के संयोजक श्री मनोज कुमार ने सुझाव दिया कि यदि केवल प्रतिष्ठित और स्वच्छ छवि वाले एडेड विद्यालयों को ही परीक्षा केंद्र बनाया जाए, तो अति संवेदनशील केंद्रों की समस्या स्वतः समाप्त हो जाएगी।
इस अवसर पर वरिष्ठ शिक्षक नेता डॉ. सत्य प्रकाश शर्मा, डॉ. गिरीश त्यागी, राजीव सक्सेना, मान सिंह, कुसुम शर्मा, मनोज वशिष्ठ, अनिल अरोड़ा, डॉ. योगेंद्र सिंह, सुधीर कुमार कुलश्रेष्ठ और फूल सिंह सिकरवार समेत कई गणमान्य शिक्षाविदों ने विचार व्यक्त किए।
संगोष्ठी में उपस्थित लोग
परिचर्चा की अध्यक्षता डॉ. देवी सिंह नरवार ने की तथा संचालन कार्यक्रम संयोजक श्री मनोज कुमार ने किया।
समाधान की ओर बढ़ते कदम?
इस गंभीर चर्चा में शिक्षा जगत के विशेषज्ञों ने निष्कर्ष दिया कि यदि परीक्षा केंद्रों के निर्धारण में निष्पक्षता बरती जाए, नकल माफियाओं के खिलाफ कठोर कार्रवाई हो और कक्ष निरीक्षकों को सुरक्षा मिले, तो बोर्ड परीक्षाओं को निष्पक्ष और विश्वसनीय बनाया जा सकता है।
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