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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. लोकसभा सदन में शुक्रवार को फतेहपुर सीकरी से सांसद राजकुमार चाहर ने सदन में प्रश्न्काल के अधीन स्वास्थ्य विभाग से संबंधित मुद्दा उठाया। उन्होंने तीन सवाल किए। स्वास्थ्य मंत्री ने दो सवालों के जवाब दिए और तीसरे पर चुप्पी साध ली।
राजकुमार चाहर ने कहा सभी बीमारियों के इलाज के बचाव के लिए उपयोग में आने वाले दवाइयाँ व उपकरण, आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के अंतर्गत आते हैं लेकिन इसके बावजूद सभी औषधियों और उपकरणों के सेलिंग मूल्य निर्धारित नहीं किये जाते हैं। जिससे औषधि और उपकरण निर्माता दस-दस गुना निर्धारित एमआरपी उस पर अंकित करते हैं। जिससे मरीजों व उनके परिवारीजनों का शोषण होता है।
स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने उत्तर दिया कि जो ड्रग जरूरी है उनको भी हम प्राइसिंग करते है और उनके मार्जिन को भी कंट्रोल करते हैं। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में दो नए कार्यक्रम चलाए गए हैं, पहला जन औषधि केंद्र से ड्रग को जेनरिक ड्रग के रूप में बेचते हैं। उसमें लगभग 1,965 ड्रग है और 293 सर्जिकल आइटम्स हैं, जो 50 से 80% मार्केट प्राइज़ से कम में दवाई और सर्जिकल आइटम खरीद सकते हैं। इसमें लगभग अभी तक 28 हजार करोड़ रुपए का मरीजों को लाभ हुआ है। 12,600 जन औषधि केंद्र हैं। 2027 तक यह 25,000 जन औषधि केंद्र खोल दिए जाएंगे। दूसरा स्वास्थ्य विभाग के द्वारा एक योजना चलाई जा रही है अमृत, इसके तहत लगभग अभी तक 5 करोड़ 14 लाख मरीजों को इसकी सेवा दी गई है।
सांसद चाहर ने कहा दवाई लिखते समय डॉक्टरों के लिए यह अनिवार्यता हो कि वह मरीजों के लिए जेनरिक नाम से या सॉल्ट के नाम से दवाइयां लिखें, जिससे कि गरीब मरीज सस्ती दवा की जगह महंगी दवा खरीदने को विवश न हो।
उन्होंने कहा कि देखने में यह आता है कि जब मरीज डॉक्टर के पास जाता है तो डॉक्टर मरीज के पर्चे पर ब्रांडेड दवाइयों के नाम लिखते हैं, जिसके कारण मरीजों को और उनके परिवारीजनों को बहुत महंगी दवाइयां खरीदनी पड़ती है। उन्होंने कहा यह अनिवार्यता डॉक्टरों को दी गई है, ये इंडियन मेडिकल काउंसिल के 2002 के रेगुलेशन संख्या 1.5 व 6.3 में है। इस रेगुलेशन के बाबजूद डॉक्टर मरीज को ब्रांडेड दवाई लेने को मजबूर करते हैं। डॉक्टर उन्हें मजबूर नहीं कर सकते।
इसके जवाब में जगत प्रकाश नड्डा ने कहा कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के साथ लगातार बातचीत होती है। हमेशा प्रयास करते हैं कि वह जेनेरिक मेडिसिन लिखें लेकिन जेनेरिक मेडिसिन की व्यवस्था जन औषधि के तहत कर दी गई है।
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सांसद राजकुमार चाहर ने कहा आगरा में एसएन मेडिकल कॉलेज 1854 का बना हुआ है, लेकिन अभी तक उसे एम्स का दर्जा नहीं मिला है। आगरा एसएन मेडिकल कॉलेज भारत का सबसे पुराना तीसरा मेडिकल कॉलेज है। आगरा एसएन मेडिकल कॉलेज को एम्स के दर्जा मिलना चाहिए।
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