एमआरआई पर डॉक्टर को कमीशन न देकर मरीज को लाभ देते हैं
37 साल पहले हिंदी माध्यम से एमडी रेडियोलॉजी कर इतिहास बनाया
हिंदी हित रक्षक समिति के माध्यम से महाविद्यालयों में जनजागृति की
डॉ. भानु प्रताप सिंह
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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. डॉ. मुनीश्वर गुप्ता ने 1987 में एसएन मेडिकल कॉलेज से दुनिया की पहली हिंदी माध्यम से एमडी रेडियोलॉजी की। इसमें तमाम बाधाएं आईं। चिकित्सा अध्ययन में तब हिंदी के शब्द भी नहीं थी। डॉ. मुनीश्वर ने ये शब्द खोजे और नए भी बनाए। प्रतियोगी पीरक्षाएं हिंदी में भी कराने के लिए दिल्ली में धरना-प्रदर्शन किया। उनके प्रयास से ही मध्य प्रदेश में चिकित्सा की पढ़ाई हिंदी माध्यम से शुरू हुई है। उत्तर प्रदेश में भी सभी मेडिकल कॉलेजों में हिंदी माध्यम से पढ़ाई शुरू होने जा रही है।
डॉ. मुनीश्वर गुप्ता ने हिंदी हित रक्षक समिति के माध्यम से महाविद्यालयों के बाहर धरना-प्रदर्शन करके हिंदी के प्रति जनजागृति की। समिति का एक हिस्सा मैं भी रहा हूँ। तब मैंने हिंदी हित रक्षक समिति के कार्यों पर एक गीत भी लिखा था। यह गीत मैंने अपनी पुस्तक ‘मेरौ गाम चपौटा’ में प्रकाशित भी किया है। यह पुस्तक www.drbhanupratapsingh.com वेबसाइट पर क्लिक करके पढ़ी जा सकती है।
गीत इस प्रकार है-
हिन्दी हित रक्षक समिति ने दीन्हा अनुपम ज्ञान है।
हिन्दी का सम्मान करें हम यही राष्ट्र की शान है।
तमिल युवक हिन्दी विरोध में हिन्दी नामपट मिटा गए
तमिल युवक हिन्दी विरोध में संविधान भी जला गए
और आप सोये रहते क्या यही राष्ट्र उत्थान है।
हिन्दी का सम्मान करें हम यही राष्ट्र की शान है।
अंग्रेजी, मॉडल स्कूलों से फिर गुलाम बन जाओगे
अफसर बनने की बात अलग लिपिक नहीं बन पाओगे
सभी परीक्षाएं हिन्दी में हों, यही राष्ट्र का मान है।
हिन्दी का सम्मान करें हम यही राष्ट्र की शान है।
राष्ट्रीय एकता विराजमान है अपनी हिन्दी भाषा में
सभी कार्य सम्पूर्ण करें हम अपनी हिन्दी भाषा में
तब ही होगा सफल बोस, भगत बलिदान है।
हिन्दी का सम्मान करें हम यही राष्ट्र की शान है।
अपना देश धरित्री प्यारी प्यारी अपनी हिन्दी है
90 प्रतिशत हिन्दीभाषी फिर क्यों सिसके हिन्दी है
हिन्दी की रक्षा करनी अब देकर अपने प्राण है।
हिन्दी का सम्मान करें हम यही राष्ट्र की शान है।
डॉ. गुप्ता बताते हैं- मरीज और चिकित्सक के बीच बातचीत हिंदी या अन्य भारतीय भाषाओं में होती है, अंग्रेजी में नहीं होती, फिर पढ़ाई अंग्रेजी में क्यों? यूरोप के 10 देश अपनी भाषा में मेडिकल की पढ़ाई कराते हैं। भारत से अन्य देशों में जाकर डॉक्टरी पढ़ाई करने वाले पहले वहां की भाषा सीखते हैं, फिर पढ़ाई शुरू होती है। हमारे यहां उल्टा चलन है। डॉ. गुप्ता से हिंदी पर बात करो तो घंटों चाहिए।

डॉ. मुनीश्वर गुप्ता धुन के पक्के हैं। ठान लेते हैं तो करके रहते हैं। उन्होँने पहले कामायनी हॉस्पिटल खोला। मुझे नही पता किन कारण से यह प्रोजेक्ट बंद हो गया। कामायनी हॉस्पिटल में अब दो हॉस्पिटल खुल गए हैं लेकिन प्रसिद्धि आज भी कामायनी के नाम से ही है। मुझे ध्यान आ रहा है कि उन्होंने बाग फरजाना में ईशा एमआरआई सेंटर खोला था। अब यही ईशा डाइग्नोस्टिक्स हो गया है।
उन्होंने तय किया कि किसी भी डॉक्टर को कमीशन नहीं देना है। डॉक्टर को जितना कमीशन दिया जाता है, वह लाभ मरीज को दिया जाएगा। आजकल चिकित्सा संबंधी जांच केंद्र बिना डॉक्टर के संदर्भित किए चलते नहीं हैं। उनके मित्रों ने सलाह दी कि ऐसा न करें लेकिन वे नहीं माने। धुन के पक्के हैं न। कठिनाइयां हैं, पर काम चल रहा है।
ईशा डाइग्नोस्टिक्स पर डॉ. मुनीश्वर गुप्ता से 14 जून, 2024 को भेंट हुई। वे एमआरआई की रिपोर्ट तैयार कर रहे थे। एक लिफाफे पर नजर पड़ी। इस पर लिखा था- एसएन मेडिकल कॉलेज और गरीब मरीजों के लिए विशेष सुविधा, आगरा की सबसे नई आधुनिक UMR 580- 1.5 Tesla. With Fastest Software 6- Ft. Warn पर रात्रि 10 बजे से प्रातः 8 बजे तक एमआरआई की समस्त जांचें बहुत कम खर्च पर। ब्रेन, डोरसल स्पाइन, सभी प्रकार के जोड़ का एमआरआई 2000 रुपये में और स्पाइन का एमआरआई 3000 रुपये में। बाजार की बात करें तो जोड़ों का एमआरआई 6000 रुपये और स्पाइन का एमआरआई 6-9000 रुपये तक में होता है।
सबसे आधुनिक मशीन पर इतने कम मूल्य में एमआरआई का रहस्य पूछा तो डॉ. मुनीश्वर गुप्ता मुस्कार उठे। कहने लगे- हमें सबकुछ समाज से मिला है, समाज के प्रति हमारी भी जिम्मेदारी है। लेकिन इतने कम मूल्य में एमआरआई करेंगे तो खर्चा कैसे निकलेगा, सवाल सुनकर कहने लगे कि ईश्वर की बहुत कृपा है।
डॉ. मुनीश्वर गुप्ता जो कुछ कर रहे हैं, उसका प्रकाशन मीडिया में नहीं होता है। सब पैसे मांगते हैं। इसलिए मैंने सोचा कि मैं भी अपने सामाजिक दायित्व का निर्वहन करूँ। इसीलिए यह समाचार प्रकाशित किया है।
आप सबसे अनुरोध है कि इस समाचार को अधिकाधिक अग्रसारित करें ताकि गरीब मरीज लाभ उठा सकें। इस तरह आप सब भी अपने सामाजिक दायित्व को पूर्ण करेंगे। यह कोई विज्ञापन नहीं बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी है।
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