प्रतिबंधों के बावजूद भारत और रूस के बीच चलता रहेगा कारोबार

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रूस और यूक्रेन की लड़ाई के बीच रूस पर अमेरिका सहित कई यूरोपीय देशों ने आर्थिक प्रतिबंध लगा दिये हैं। इन प्रतिबंधों के बीच अब भारत उन उपायों पर काम कर रहा है, जिससे प्रतिबंधों के बावजूद भारत और रूस के बीच कारोबार चलता रहे। इसके लिए भारत रुपये में भुगतान के तंत्र को विस्तार देने के तरीकों पर काम कर रहा है। सरकारी और बैंकिंग सूत्रों से यह जानकारी मिली है। भारतीय अधिकारियों को चिंता है कि रूस पर लगे प्रतिबंधों के चलते रूस से होने वाली बड़ी मात्रा में खाद की आपूर्ति बाधित हो सकती है। ऐसा होने पर भारत के कृषि क्षेत्र में खाद का बड़ा संकट पैदा हो सकता है। रूस-यूक्रेन यूद्ध पर भारत के रुख की बात करें तो भारत ने यूक्रेन में हिंसा को बंद करने के लिए कहा है, लेकिन रूस की निंदा करने से भी परहेज किया है। भारत के रूस के साथ लंबे समय से राजनीतिक और रक्षा संबंध हैं।
रूस पर प्रतिबंध लगा रहे पश्चिमी देश
रूस ने गुरुवार को जल थल और वायु तीनों जगहों से यूक्रेन पर हमला शुरू किया था। यह दूसरे विश्व युद्ध के बाद किसी यूरोपियन देश पर सबसे बड़ा हमला है। इस हमले से हजारों लोग अपने घरों में सहमे बैठे हैं। रूसी सेना के हमले के बाद यूक्रेनी राष्ट्रपति व्लादिमीर ज़ेलेंस्की ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से रूस पर अधिकाधिक प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया है। रूसी हमला बढ़ने पर उन्होंने कहा कि अभी तक लगाए गए प्रतिबंध पर्याप्त नहीं हैं।
यूरोपीय संघ के नेताओं ने गुरुवार को रूस पर नए आर्थिक प्रतिबंध लगाने पर सहमति व्यक्त की थी। यूक्रेन पर हमले के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उनके सहयोगियों को दंडित करने की कोशिश में संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्रिटेन भी रूस पर प्रतिबंध लगा रहे हैं। ये प्रतिबंध प्रमुख मुद्राओं में व्यापार करने और विशेष बैंकों व राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों को लक्षित करने की रूस की क्षमता को बाधित करते हैं।
सुचारू कारोबार के लिए यह है योजना
अधिकारियों ने योजना की जानकारी देते हुए बताया कि ट्रेड सेटलमेंट के लिए रूसी बैंक और कंपनियां भारत में कुछ सरकारी बैंकों में अपने खाते खोलें। इस चर्चा में शामिल एक बैंकिंक सूत्र ने कहा, ‘रूस-यूक्रेन के बीच लड़ाई बढ़ने की स्थिति में रूस पर काफी अधिक प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं तो उस परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए यह एक अग्रिम पहल है।’ उन्होंने कहा, ‘प्रतिबंधों की स्थिति में हम डॉलर्स में लेनदेन नहीं कर पाएंगे और इसलिए एक रुपया खाता खोलने का प्रस्ताव रखा गया है। इस प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है।’
सूत्र ने कहा कि ऐसे खातों में रखा फंड दो देशों के बीच व्यापार के आदान-प्रदान के लिए भुगतान की गारंटी के रूप में कार्य करता है, जबकि पार्टियां एक-दूसरे से वस्तुओं की अदला-बदली करती हैं।
इस व्यवस्था को भी दिया जा रहा विस्तार
बैंकिंग और सरकारी सूत्र ने कहा कि इसी तरह की एक अन्य व्यवस्था को भी विस्तार दिया जा रहा है, जिसमें रूस के साथ सेटलमेंट का एक हिस्सा विदेशी मुद्रा में है और शेष स्थानीय रुपया खातों के माध्यम से है। सूत्र ने कहा कि इस तरह के तंत्र का इस्तेमाल अक्सर देशों द्वारा प्रतिबंधों के प्रहार से खुद को बचाने के लिए किया जाता है। भारत ने भी ईरान के साथ इसका इस्तेमाल अपने परमाणु हथियार कार्यक्रम के लिए किया था, जब ईरान पर पश्चिमी देशों ने प्रतिबंध लगा दिये थे। यह व्यवस्था साल 2012 में लायी गयी थी और कई वर्षों से सही तरह से काम कर रही है। भारत सरकार के एक अधिकारी ने कहा यह अभी शुरुआती चरण में है और दोनों पक्षों के बीच औपचारिक बातचीत अभी शुरू नहीं हुई है। हालांकि, वित्त मंत्रालय ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं दी है।
जानिए कितना है दोनों देशों के बीच कारोबार
गौरतलब है कि भारत में रूस का निर्यात साल 2021 में 6.9 अरब डॉलर का था। इसमें मुख्य रूप से खनिज तेल, उर्वरक और हीरे थे। वहीं, भारत ने साल 2021 में रूस को 3.33 अरब डॉलर के सामान का निर्यात किया था। इनमें मुख्य रूप से दवा उत्पाद, चाय और कॉफी थी।
-एजेंसियां

Dr. Bhanu Pratap Singh