एक गोत्र में शादी से बच्चों को गर्भ में ही हो रहा मोतियाबिंद:  नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. पुरेंद्र भसीन

PRESS RELEASE





आगरा: एक ही गोत्र में शादी करने के लिए मना किया जाता है इसके पीछे वैज्ञानिक तर्क हैं। एक गोत्र में शादी से बच्चों को जन्मजात मोतियाबिंद की समस्या हो सकती है। गर्भ में ही मोतियाबिंद होने पर बच्चे को बचपन से ही दिखाई नहीं देता है लेकिन इसके बारे में पता नहीं चल पाता है। इसके साथ ही गर्भावस्था में वायरल संक्रमण सहित कई अन्य बीमारियां और दवा लेने से भी मोतियाबिंद की समस्या हो सकती है। यह कहना है ग्वालियर से आए नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. पुरेंद्र भसीन का।

होटल होली डे इन में विगत दिवस आयोजित आगरा आप्थेमॉलाजिस्ट एसोसिएशन की कार्यशाला में बच्चों में मोतियाबिंद की समस्या पर चर्चा की गई। मुख्य अतिथि डॉ. पुरेंद्र भसीन ने कहा कि मोतियाबिंद की समस्या बढ़ रही है। 14 साल के कम आयु के 1.8 प्रतिशत यानी हर 100 में से एक बच्चे को मोतियाबिंद की समस्या हो सकती है। आंख में चोट लगने, ट्यूमर के कारण बच्चों में मोतियाबिंद की समस्या हो रही है।

कार्यशाला में एसएन मेडिकल कॉलेज की नेत्र रोग बैंक की प्रभारी डॉ. शेफाली मजूमदार ने बताया कि डॉ. पुरेंद्र भसीन 85,000 फेकमूल्सीफिकेशन सर्जरी, 45,000 छोटे चीरे वाली मोतियाबिंद सर्जरी (एसआईसीएस), और 20,000 से अधिक अन्य जटिल मोतियाबिंद प्रक्रियाएं की हैं। कार्यशाला में एसएन के नेत्र रोग विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. एसके सत्संगी, डॉ. एचपी सिंह, डॉ. असीम अग्रवाल आदि मौजूद रहे।




Dr. Bhanu Pratap Singh