भारतीय किशोर लेखक और वैज्ञानिक ने एलन मस्क पर लिखी प्रेरक जीवनी

मुंबई (अनिल बेदाग) 18 वर्षीय विवान कारुलकर, जो ‘नये भारत’ के एक प्रतिभाशाली और सफल किशोर लेखक व वैज्ञानिक हैं, ने अपनी तीसरी पुस्तक “इलोन मस्क: द मैन हू बेंड्स रियलिटी” लिखी है। यह पुस्तक विश्वविख्यात उद्यमी और टेक्नोलॉजी आइकन एलन मस्क के जीवन पर आधारित एक प्रेरणादायक जीवनी है। विवान को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय […]

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साहित्य का मंच या शिकार की मंडी? : नई लेखिका आई है — और मंडी के गिद्ध जाग उठे हैं

नई लेखिकाओं के उभार के साथ-साथ जिस तरह साहित्यिक मंडियों में उनकी रचनात्मकता की बजाय उनकी देह, उम्र और मुस्कान का सौदा होता है — यह एक गहरी और शर्मनाक सच्चाई है। मंच, आलोचना, भूमिका, सम्मान – सब कुछ एक जाल बन जाता है। यह संपादकीय स्त्री लेखन के नाम पर चल रही पाखंडी व्यवस्था […]

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मिलावट: शरीर ही नहीं, आत्मा को भी कर रहा है बीमार

मिलावट अब केवल खाने-पीने तक सीमित नहीं रही, यह हमारे सोच, संबंध, और व्यवस्था तक में घुल चुकी है। मूँगफली में पत्थर हो या दूध में डिटर्जेंट, यह मुनाफाखोरी की संस्कृति का विस्तार है। उपभोक्ता की चुप्पी, सरकार की ढील और समाज की “चलता है” मानसिकता ने इसे स्वीकार्य बना दिया है। मिलावट एक नैतिक […]

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भारतीय पारिवारिक मूल्यों के पतन का आईना है ये हृदय स्पर्शी दास्तान

“पिता का पस्त मन और पुत्रों की पश्चिमी व्यस्तता” “एक पिता की विदाई, और समाज की परीक्षा” प्रियंका सौरभ स्वतंत्र पत्रकार, कवयित्री और व्यंग्यकार लखनऊ के एक रिटायर्ड कर्नल ने अपने बेटों को एक मार्मिक पत्र लिखकर आत्महत्या कर ली। दोनों बेटे अमेरिका में बसे थे और मां की मृत्यु पर भी पूरी संवेदनशीलता नहीं […]

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दिल्ली में साँसों पर संकट, पर हरियाली ने जगाई उम्मीद…!

इंटीरियर डेकोरेशन में वास्तविक हरियाली बनी पहली पसंद… दिल्ली की ओर रुख करते हुए मन में एक ही प्रश्न बार-बार कौंधता रहा—क्या इस बार भी वही धूल-धुआँ और दमघोंटू हवा स्वागत करेगी? बीते कुछ वर्षों से दिल्ली की हवा जहरीली होती जा रही है, और आंकड़े इसकी भयावहता की पुष्टि भी करते हैं। अक्टूबर से […]

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आगरा के पूर्व सांसद  निहाल सिंह जैन जी की पुण्यतिथि पर विशेष स्मरण: मुझे अपने व्यवहार पर आज भी शर्म आती है

सुभाष ढल एक आत्मीय संबंध की स्मृति में आज भी जब निहाल सिंह भाई साहब को स्मरण करता हूँ, तो अपने एक व्यवहार को लेकर मन में ग्लानि और शर्म का भाव उत्पन्न होता है। राजनीति और आंदोलन का दौर वर्ष 1988, स्थान नई दिल्ली – 15, नॉर्थ एवेन्यू स्थित आगरा के तत्कालीन सांसद श्री […]

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योगम् शरणम् गच्छामि: मनोजन्य दैहिक बीमारियों से मुक्त होने के लिए योग है जरूरी

आधुनिकता की अंधी दौड़ में हमने जितनी खराबियां बटोरी हैं उस कारण मानवी मन मस्तिष्क के सम्मुख आज अनेक समस्याएं तथा चुनौतियां उपस्थित हुई हैं। खासकर पाश्चात्य जीवन शैली और रहन सहन ने मानव को मानसिक तनाव एवं अंतहीन पीड़ा के दलदल में धकेला है। इसके साथ ही तकनीकी प्रगति के भयावह जानलेवा वेग के […]

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भविष्य बताने वाले, वर्तमान से बेख़बर क्यों: देश में इतने बड़े-बड़े भविष्य वक्ता… फिर भी किसी बड़े हादसे की ख़बर तक नहीं मिलती?

प्रियंका सौरभ स्वतंत्र पत्रकार, कवयित्री और व्यंग्यकार जब आपदा आई और बाबा ऑफलाइन थे जो लोग दावा करते हैं कि उनका “ऊपर वाले से सीधा संपर्क” है, वे हर बड़ी आपदा, दुर्घटना या संकट के समय चुप क्यों हो जाते हैं? क्या उनका दिव्य नेटवर्क केवल चढ़ावे और चमत्कार तक सीमित है? यह लेख उन […]

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योग: मन की शुद्धि से मोक्ष तक का मार्ग

प्रियंका सौरभ स्वतंत्र पत्रकार, कवयित्री और व्यंग्यकार मन ही सब कुछ है – यही योग का मूल मंत्र है। मन की शुद्धि, आत्म-चिंतन और संतुलन से ही जीवन में स्थिरता और शांति आती है। योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि मन, आत्मा और चेतना को जोड़ने की विद्या है। आज के तनावपूर्ण समय में, योग […]

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भारतीय ग्रीष्म में पाश्चात्य परिधान की विरासत व अंग्रेजी सूट की प्रासंगिकता

भारत एक उष्णकटिबंधीय देश है जहाँ अधिकतर भागों में ग्रीष्मकाल प्रचंड गर्मी लेकर आता है। ऐसे में जब हम भारतीयों को अंग्रेजी सूट-पैंट जैसे शीतकालीन परिधानों में पाते हैं, तो यह केवल जलवायु के प्रतिकूलता का प्रश्न नहीं बनता, बल्कि सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और मनोवैज्ञानिक विमर्शों की ज़रूरत भी पैदा करता है। देश में ग्रीष्मकाल के […]

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