- महिलाओं पर शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक अपराध के खिलाफ आवाज के साथ ‘इनसर्ग‘ और ‘फाॅग्सी‘ के सम्मेलन का आगाज
- ‘लुक इन टू द फ्यूचर‘ आगरा में देश-विदेश से स्त्री रोग विशेषज्ञ जुटे जेनेटिक्स, एस्थेटिक, काॅस्मेटिक गायनेकोलाॅजी पर चर्चा
Agra Uttar Pradesh India. इंडियन सोसायटी आॅफ एस्थेटिक एंड रीजनरेटिव मेडिसिन (इनसर्ग) का एक वृहद स्तरीय तीन दिवसीय सम्मेलन शुक्रवार को आगरा के फतेहाबाद रोड स्थित ताज होटल एंड कन्वेंशन सेंटर में शुरू हुआ। देश-दुनिया से जुटे विशेषज्ञों एवं चिकित्सकों ने इस सम्मेलन के जरिए महिलाओं पर हो रहे अपराध, हिंसा के खिलाफ आवाज उठाई है।
फाॅग्सी यंग टेलेंट प्रमोशनल कमेटी, जेनेटिक्स कमेटी और यूरोगाइनी कमेटी के सहयोग से इनसर्ग द्वारा आयोजित यह आॅब्स गायनी, वूमन हैल्थ रीजनरेटिव गायनेकोलाॅजी एंड जेनेटिक्स सम्मेलन 26 से 28 अगस्त 2022 तक चलेगा, जिसकी थीम लुक इन टू द फ्यूचर है। इस थीम के जरिए महिलाओं से जुड़ी उन समस्याओं या रोगों पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश है, जो भविष्य में विकराल रूप ले सकते हैं और समाधान अभी खोजे जाने की जरूरत है।
सम्मेलन में देश-विदेश से सैकड़ों चिकित्सक शिरकत कर रहे हैं। पहले दिन के मुख्य बिंदु जेनेटिक्स, एस्थेटिक, काॅस्मेटिक गायनेकोलाॅजी धीरा अभियान रहे। विभिन्न काॅलेजों से आईं 100 से अधिक छात्राओं और शिक्षिकाओं को संबोधित करते हुए फाॅग्सी कीं अध्यक्ष डाॅ. शांता कुमारी ने बताया कि वर्ष 2015 में जब वे इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ गायनेकोलाॅजी एंड आब्सटेट्रिक्स कीं सदस्य बनीं तो उन्होंने नो वाइलेंस अगेंस्ट वूमेन अभियान धीरा को लांच किया।
उन्होंने कहा कि एक डाॅक्टर और एक महिला के रूप में डाॅक्टर देखते हैं कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा कितनी व्यापक रूप से हो रही है और उनके समग्र स्वास्थ्य पर इसका कितना बड़ा प्रभाव है। लगभग 38 प्रतिशत भारतीय महिलाओं को अपने पार्टनर के हाथों हिंसा का सामना करना पड़ता है।
2017 में हमने धीरा को फेडरेशन आॅफ लैटिन सोसाइटीज ऑफ आॅब्सटेट्रिशियन एंड गायनेकोलाॅजिस्ट के मंच पर रखा, 2018 में इस पर ब्राजील में एक हाई लेवल चर्चा की। डब्ल्यूएचओ के साथ एक घोषणा पर हस्ताक्षर किए। सभी सोसाइटीज ने वैश्विक स्तर पर एक स्वर में आवाज उठाई।
आयोजन समिति कीं उपाध्यक्ष और फाॅग्सी कीं पूर्व इनसर्ग कीं उपाध्यक्ष व उजाला सिग्नस रेनबो हॉस्पिटल कीं निदेशक डाॅ. जयदीप मल्होत्रा ने बताया कि हमने इसमें एक पृष्ठ और जोड़ा है युवा लड़के और लड़कियों को आने वाली पीढ़ी को संवेदनशील बनाने का। न सिर्फ डब्ल्यूएचओ बल्कि यूनिसेफ भी इसमें हमारे साथ है।
डाॅ. जयदीप ने बताया कि वर्ष 2018 में उनके अध्यक्ष काल में शुरू अदभुत मातृत्व प्रोजेक्ट भी इसी का हिस्सा है, क्योंकि यह प्रोजेक्ट बताता है कि भावी संतान को गर्भ में ही अच्छे संस्कार दिए जा सकते हैं। तकनीकी सूत्रों में डाॅ. नवनीत मेगोन ने काॅस्मेटिक गायनेकोलाॅजी के क्षेत्र में बदलावों, डाॅ. बेला शाह ने वजाइना से जुड़ी बीमारियों, डाॅ. तनुजा ने एस्थेटिक गायनेकोलाॅजी के इतिहास पर, डाॅ. शिवालिका शर्मा ने त्वचा से झुर्रियां हटाने वाले रसायनों, दवाओं पर और डाॅ. एचडी पाई, डाॅ. सुनीता, डाॅ. नंदिता, डाॅ. रूबी रूपराय ने महत्वपूर्ण विषयों पर व्याख्यान दिए।
स्वतंत्र भारत, स्वतंत्र यहां की नारी है, न कम न ज्यादा बराबर की अधिकारी है
रात में सम्मेलन का विधिवत उद्घाटन मुख्य अतिथि डाॅ. शांता कुमारी, विशिष्ट अतिथि डाॅ. उषा शर्मा, डाॅ. एचडी पाई, डाॅ. नंदिता पल्सेत्कर, डाॅ. सुनीता तेंदुलकर, डाॅ. जयदीप मल्होत्रा, डाॅ. नरेंद्र मल्होत्रा, डाॅ. रागिनी अग्रवाल, डाॅ. लीला व्यास, डाॅ. प्रीति जिंदल, डाॅ. मिलिंद शाह, डाॅ. तनुजा उचिल, डाॅ. नीहारिका मल्होत्रा, डाॅ. केशव मल्होत्रा, डाॅ. मंदाकिनी प्रधान, डाॅ. जेबी शर्मा, डाॅ. अनुपम गुप्ता ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया।
उद्घाटन समारोह में आगरा आॅब्स एंड गायनी सोसायटी की ओर से महिला सशक्तिकरण पर कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया, जिसमें अध्यक्ष डाॅ. आरती मनोज, सचिव डाॅ. सविता त्यागी, डाॅ. रत्ना शर्मा के निर्देशन में महिला चिकित्सकों ने वीरांगनाओं और देश भर में महिला राजनीतिज्ञों, खिलाड़ियों, वायुसेना में देश का मान बढ़ा रहीं सशक्त महिलाओं के वेश धारण किए और नाटक प्रस्तुत किए।
क्या हम फिर जवान हो सकते हैं ?
उजाला सिग्नस रेनबो हॉस्पिटल के निदेशक और आयोजन अध्यक्ष डाॅ. नरेंद्र मल्होत्रा ने ‘क्या हम फिर जवावन हो सकते हैं‘ विषय पर व्याख्यान दिया। कहा कि हालांकि यह कहना अभी बहुत जल्दबाजी होगी, लेकिन दुनिया में कुछ छोटे शुरूआती अध्ययनों से पता लगा है कि ऐसा हो सकता है। ऐसे शोधों में जीवनशैली में बदलाव की सलाह दी गई है, जैसे तनाव घटाना, खान-पान में सुधार, व्यायाम जिनसे क्रोमोसोम या गुणसूत्र के सिरे वृद्धावस्था को नियंत्रित करते हैं। उम्र की एक गति होती है लेकिन आप चाहें तो उम्र बढ़ सकती है और घट भी सकती है। अब रीजनरेटिव और जेनेटिक्स एक्सपर्ट्स, काॅस्मेटोलाॅजिस्ट इस पर काफी काम कर रहे हैं। कुछ शुरूआती नतीजे आए हैं जिनसे पता चलता है कि उम्र बढ़ने का असर शरीर पर आना कम किया जा सकता है। इसे आप सेल्फ चेक भी कर सकते हैं जैसे 80 साल का बुजुर्ग व्यक्ति जिस काम को कर पा रहा है उसे 20 साल की उम्र में आप नहीं कर पा रहे, चेहरे पर जल्दी झुर्रियां आने लगी हों, मसल स्ट्रेंथ कम हो रही हो, बाल जल्दी ग्रे हो रहे हों, चोटें देर से ठीक हो रही हों आदि।
मीनोपाॅज, तनाव समेत कई कारणों से कम हो रहीं महिलाओं में यौन इच्छाएं
इनसर्ग की इनकमिंग प्रेसीडेंट डाॅ. रागिनी अग्रवाल ने कहा कि आम तौर पर महिलाएं फिजिकल इंटीमेसी से जुड़े मुद्दों पर खुलकर बात नहीं करती हैं और इस वजह से वह कई दिक्कतों को नजर अंदाज कर देती हैं। इन विषयों को गंभीरता से लेने की जरूरत है। जिन महिलाओं में सैक्सुअल डिसऑर्डर होता है वे फिजिकल इंटीमेसी में रूचि नहीं लेती हैं। इस तरह की समस्या से तनाव होने लगता है। यहां तक कि कपल्स के बीच दूरियां आ जाती हैं। आम तौर पर मीनोपाॅज के बाद महिलाओं में ये ज्यादा देखने को मिलती है। कभी-कभी बीमारी या दवाओं की वजह से डिस्आॅर्डर हो सकता है। इसके अलावा तनाव, डिप्रेशन की वजह से महिलाओं की यौन इच्छा में कमी आ सकती है। ऐसी स्थिति में बिना किसी संकोच डाॅक्टर को बताएं। प्री मीनोपाॅज की स्थिति में भी डाॅक्टर से सलाह लेकर इलाज करा सकती हैं। दवाओं से भी काफी हद तक सुधार आता है। मनोवैज्ञानिक थैरेपी भी काफी हद तक मदद करती है।
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