आगरा। राज्यसभा में समाजवादी पार्टी के सांसद रामजीलाल सुमन द्वारा अपने भाषण के दौरान राणा सांगा पर की गई एक विवादित टिप्पणी ने समाजवादी पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। इस मुद्दे को लेकर भाजपा जहां आक्रामक हो गई है, वहीं क्षत्रिय समाज में भी भारी आक्रोश देखा जा रहा है।
सपा से जुड़े क्षत्रिय नेताओं को भी सुमन का यह बयान नागवार गुजरा है। सपा के राज्यसभा सदस्य रामजीलाल सुमन ने राज्यसभा में बोलते हुए कहा कि बीजेपी के लोगों का तकिया कलाम हो गया है कि मुसलमानों में बाबर का डीएनए है। हिंदुस्तान के मुसलमान तो मोहम्मद साहब और सूफी संतों की परम्परा को अपना आदर्श मानते हैं। सुमन ने कहा कि आखिर बाबर को लाया कौन। सही बात ये है कि इब्राहिम लोधी को हराने के लिए बाबर को राणा सांगा लाया था। अगर मुसलमान बाबर की औलाद हैं तो तुम गद्दार राणा सांगा की औलाद हो, ये हिंदुस्तान में तय हो जाना चाहिए।
सांसद सुमन के इस कथन पर राज्यसभा के उप सभापति हरवंश सिंह ने हस्तक्षेप किया और उन्हें मर्यादा में रहकर अपनी बात कहने की नसीहत दी। उप सभापति ने सांसद सुमन की विवादित बातों को कार्यवाही से भी हटवा दिया।
फतेहपुरसीकरी के भाजपा सांसद राज कुमार चाहर ने सपा सांसद रामजीलाल सुमन के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि सुमन ने बेशर्मी और तुष्टिकरण की सारी सीमाएं पार कर दी हैं। सांसद सुमन आज संसद में बाबर और औरंगजेब के पक्ष में खड़े होकर शूरवीर योद्धा राणा सांगा का अपमान कर रहे थे।
श्री चाहर ने कहा कि यह राणा सांगा और राजपूत समाज का ही नहीं, पूरे देश का अपमान है। उस समय के उन वीर लड़ाके योद्धाओं का अपमान है जो मुगलों से लड़े। सुमन ने अपने इस बयान से समाजवादी पार्टी का डीएनए सभी को बता दिया है। सुमन ने तुष्टिकरण की सारी हदें पार कर दी हैं, अब तो वे माफी के लायक भी नहीं बचे।
क्षत्रिय समाज के समाजवादी पार्टी से जुड़े वरिष्ठ नेता डॊ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने सांसद रामजीलाल सुमन के कथन की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि सुमन को इस तरह की टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। सांसद सुमन ने अगर उस समय के राजपूत राजाओं का इतिहास सही से पढ़ा होता तो इस तरह की टिप्पणी नहीं करते। उन्होने कहा कि राणा सांगा देश के लिए लड़ रहे थे। सुमन बताएं कि गद्दारी की परिभाषा क्या होती है।
क्षत्रिय सभा के पूर्व जिलाध्यक्ष आरपी सिंह जादौन ने सांसद सुमन के बयान की तीखी निंदा करते हुए कहा है कि रामजीलाल सुमन की बुद्धि और विवेक पलायन कर गए हैं। उन्होंने राजपूतों से सम्बंधित विवेकहीन वक्तव्य दिया है, उसके लिए जितनी सुमन जैसे व्यक्ति की जितनी भर्त्सना की जाये, उतनी कम है। उन्होंने कहा कि क्षत्रिय सभा और समाज से सभी संबंधित संगठनों को ऐसे विवेकहीन व्यक्ति के विरोध प्रदर्शन के लिए आगे आना चाहिए।
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