डॉ. भानु प्रताप सिंह
Agra, Uttar Pradesh, India. जन्माष्टमी पर सभी स्कूलों में छुट्टी रही लेकिन बैजंती देवी इंटर कॉलेज, गढ़ी भदौरिया, आगरा ने नया इतिहास लिख दिया। यह कोई अतिश्योक्ति नहीं बल्कि हकीकत है। मैंने वहां जो कुछ देखा वह अद्भुत, अकल्पनीय और आश्चर्यित करने वाला है। विद्यालय के बच्चों ने कृष्ण लीलाओं की झांकियों का जीवंत प्रदर्शन किया। राधा, कृष्ण, गोपी, वासुदेव, देवकी, गोपियां और यहां तक कंस ने हर किसी को प्रभावित किया है। किसी विद्यालय में जन्माष्टमी पर इस तरह का संस्कार देने वाला आयोजन पहली बार देखा। बालपन से ही बच्चे जब इस तरह की गतिविधियां करते हैं तभी तो उनमें भारतीय संस्कृति के प्रति अनुराग पैदा होता है। अन्य स्कूलों के बच्चे बैजंती देवी इंटर कॉलेज से सीख ले सकते हैं।

हर झांकी जीवंत
सब जानते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद अष्टमी को मथुरा में कंस के कारागार में हुआ था। बिलकुल वैसी ही जीवंत झांकी का प्रदर्शन किया गया। कान्हा का पालना में झुलाने की लीला देखी तो श्रद्धावश करबद्ध हो गए। यशोदा का दही बिलोना और कान्हा का खाना। यमुना को प्रदूषित करने वाले कालिया नाग का मर्दन। राधा से मिलन। गोपियों संग नृत्य। कंस का वध। चीरहरण के समय द्रोपदी की रक्षा। महाभारत युद्ध के समय अर्जुन को गीता का उपदेश। राधा-कृष्ण की श्रृंगार सामग्री। दुर्गा के नौ रूप, राम जी का दरबार, कैलाश पर विराजमान भगवान भोलेनाथ। सुंदर रंगोली। बांसुरी बजाती गोपियां। आप ये पूछिए क्या-क्या न था। जितना स्मृति में ताजा है, उतना ही लिख पाया हूँ। वहां था तो बहुत कुछ।

निर्धारित समय पर शुरू हुआ कार्यक्रम
कृष्ण स्वरूप में बच्चे इतने प्यारे लग रहे थे कि हर किसी को गोद में उठाने और किस्सी करने का मन कर रहा था। उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की सदस्य निर्मला दीक्षित स्वयं को रोक नहीं पाईं। उन्होंने सबसे छोटे बच्चे को गोद में उठा ही लिया। अतिथि के रूप में श्रीमती दीक्षित के साथ कैलाश मंदिर के मंहत गौरव गिरि, मैं यानी डॉ. भानु प्रताप सिंह, प्रसिद्ध हास्यकवि पवन आगरी, समाजसेवी डॉ. मदन मोहन शर्मा आमंत्रित थे। अच्छी बात यह है कि सभी निर्धारित समय पर आ गए और कार्यक्रम भी समय पर शुरू हुआ। आजकल कार्यक्रम निर्धारित समय क आधा घंटा बाद शुरू होना तो आम बात हो गई है।

बैजंती देवी इंटर कॉलेज मॉडल’ पूरे प्रदेश में लागू किया जाए
उत्तर प्रदेश सरकार को मेरा सुझाव है कि सभी विद्यालयों में जन्माष्टमी इसी तरह से मनाई जाए। जन्माष्टमी का ‘बैजंती देवी इंटर कॉलेज मॉडल’ पूरे प्रदेश में लागू किया जाए। स्कूलों में अभिभावकों को भी बुलाया जाए। स्कूल की ओर से व्रत की खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई जाए। जिस तरह से कोरोना रोकने में आगरा मॉडल लागू किया गया, उसी तरह से स्कूलों में जन्माष्टमी पर्व मनाने के लिए ‘बैजंती देवी इंटर कॉलेज मॉडल’ लागू किया जाना चाहिए।

क्या कहते हैं निदेशक
विद्यालय के निदेशक नितेश शर्मा का कहना है कि भारतीय संस्कृति से जोड़े रखने के लिए इस तरह की गतिविधियां हम करते रहते हैं। हमारे यहां बच्चे करके सीखते हैं। जन्माष्टमी बृज ही नहीं, पूरे देश का प्रमुख पर्व है। विभिन्न झांकियों के माध्यम से बच्चों ने श्रृंगार और सौंदर्यकला भी सीखी। यही भारतीय संस्कृति की विशेषता है।

नितेश शर्मा का सम्मान
जन्माष्टमी पर्व का शुभारंभ संस्थान के संरक्षक स्व. विद्याशंकर शर्मा के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन और माल्यार्पण के साथ किया। महंत गौरव गिरि ने विद्यालय के चेयरमैन नितेश शर्मा का सम्मान किया। निदेशक तपेश शर्मा ने माला पहनने से भी परहेज किया। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती ममता शर्मा ने किया। विद्यालय की संरक्षक सुशीला शर्मा, प्रबंधक योगेश कुमार शर्मा, अर्चना शर्मा, शैली सारस्वत, दिव्या चतुर्वेदी, प्रणव सिंह, अर्जुन उदैनिया, अंकुर उदैनिया, आकाश मुद्गल आदि उपस्थित रहे। सभी ने विद्यालय के छात्र-छात्राओं की मेहनत की सराहना की। विद्यालय की प्रधानाचार्य ने बताया कि इस प्रकार की गतिविधियों से बच्चों को हमारी संस्कृति और सभ्यता के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। बच्चे उसी राह पर चलते हैं।


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