आगरा में जब-जब बारिश आएगी, न MP काम आएगा न MLA आएगी, फिर कौन काम आएगा
डॉ. भानु प्रताप सिंह
Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. आगरा में 11 सितंबर, 2024 से बारिश शुरू हुई। शास्त्रीपुरम, सिकंदरा आगरा में शाम से बारिश ने जोर पकड़ा। पानी सड़क पर दिखाई देने लगा। शास्त्रीपुरम ए ब्लॉक के निवासी संभावित जलभराव से चिंतित हो उठे। शास्त्रीपुरम निवासियों का दुख-दर्द भुक्तभोगी ही जान सकता है। सही बात तो यह है कि शास्त्रीपुरन निवासी खून के आंसू हो रहे हैं। करीब सभी के घर तबाह हो चुके हैं। सोफा पानी में डूब चुके हैं बिस्तर में पानी घुस गया है। बहुत से लोग अपनी जान बचाने के लिए पलायन कर चुके हैं। जनप्रतिनिधि मस्त हैं। अधिकारी अवश्य भागदौड़ कर रहे हैं।
मैं शास्त्रीपुरम जनसेवा समिति आगरा पंजीकृत का अध्यक्ष हूँ। इस नाते मेरे पास फोन आने लगा। मैंने शाम को जिलाधिकारी आगरा श्री भानु चंद्र गोस्वामी और नगर आयुक्त श्री अंकित खंडेलवाल को वॉट्सअप पर स्थिति से अवगत कराया। बातचीत भी हुई। नगर आयुक्त के सहायकों के फोन आने शुरू हो गए। करीब दो घंटा बाद भी अवंतीबाई चौराहा, शास्त्रीपुरम पर नगर निगम की मशीनें आ गईं। पहले की तरह पानी निकालने की प्रक्रिया शुरू हो गई। फिर मैंने भी लोगों को आश्वास्त कर दिया कि चैन से सोएं, पानी घरों में नहीं आएगा। देर रात्रि तक नगर निगम अधिकारियों के संपर्क में रहा।
12 सितंबर की सुबह
12 सितंबर, 2024 को सुबह चार बजे राजवीर सिंह का फोन आ गया। उन्होंने सूचना दी की घर में पानी घुस गया है। मेरी नींद गायब हो गई। मैं बिस्तर से उठकर टॉयलेट की ओर गया तो पानी दिखाई देने लगा। सब जाग गए। घीरे-धीरे पानी घरों में आने लगा। हमारे युवा साथी अजय सिकरवार और मनोज शर्मा गुस्से में आ गए। मैंने उन्हें समझाया कि अतिवृष्टि पर किसी का जोर नहीं है। अब तो बारिश बंद होने के बाद ही कुछ हो सकता है।

घर में पानी ही पानी
इस बीच घर में पानी बढ़ता जा रहा था। मेरे पैर में चोट है, सो पानी से बचा रहा था। पूरा घर सामान बचाने में लगा हुआ था। हमारे घरों में अधिकांश सामान बिस्तर में रखा होता है। पानी बढ़ता जा रहा था। हम सामान बचा रहे थे। देखते ही देखते स्टूल पानी में डूब गए। घर में कांतर आने लगीं। मेढक आ गए। शौचालय की गंदगी तैरने लगी। पानी लगातार बढ़ता जा रहा था।
घर छोडने का फैसला
अंततः हमने फैसला किया कि बत्ती बंद करो और चलो। हमसे पहले कई लोग घर छोड़कर जा चुके थे। बढ़ते पानी को देखकर हमने भी घर छोड़ने का फैसला किया। कपड़े लिए और कार में बैठ गए। जैसे ही कार का दरवाजा खोला, पानी भरने लगा। फिर भी हिम्मत करके प्रस्थान कर गए। सामने अंकुर जैन, मनोज शर्मा और सुनील शर्मा दिखाई दिए। उनके घुटनों से ऊपर पानी दिखाई दे रहा था।
मुख्य मार्ग भी पानी से लबालब
मुख्य मार्ग पर आए तो वह पानी से लबालब दिखाई दिया। हम अवंतीबाई चौराहा की ओर चल दिए। पानी में दुपहिया वाहन फँसे हुए थे। दो कारें भी खड़ी हुई थीं। बी ब्लॉक में हमारी बहन राजेश्वरी रहती हैं। उनके घर के मोड़ पर सड़क पानी में डूबी हुई थी। फिर दहतोरा होते हुए श्मशान घाट की ओर गए। आगे भयावह पानी देखकर मन विचलित हो उठा। लौट आए। कभी इधर तो कभी उधर। जैसे-तैसे बहन के यहां शास्त्रीपुरम बी ब्लॉक में पहुंचे। हमारी बहन का घर थोड़ा ऊंचाई पर है। उनके घर के ऊपर भी निर्माण है।
बहन के यहां
बहन राजेश्वरी के यहां आकर जलपान किया। स्नान किया। भोजन किया। थोड़ी सी नींद भी मारी। तभी जिलाधिकारी की फोन आया कि मैं शास्त्रीपुरम की स्थिति देखने आ रहा हूँ। पैर में चोट के कारण जा नहीं पाया। बाद में मेरे पास निरीक्ष के फोटो आए।
प्रो. लवकुश मिश्र का धन्यवाद
इस बीच आगरा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर लवकुश मिश्र का फोन आया कि कोई समस्या है तो मेरे यहां आ जाओ, सब इंतजाम हो जाएगा। उन्हें मैंने बहुत धन्यवाद दिया।
भुक्तभोगी ही जान सकता है
शास्त्रीपुरम की नारकीय स्थिति का अंदाज लगाना किसी के लिए संभव नहीं है। यह तो भुक्तभोगी ही जान सकता है।

एक और कहानी
आगरा विकास प्राधिकरण ने 800 एकड़ में शास्त्रीपुरम आवासीय योजना शुरू की। पत्रकारों को रियायती दर पर आवास देने की घोषणा की गई। पत्रकारों में खुशी की लहर दौड़ गई। तब मैं दैनिक जागरण में प्रशिक्षु पत्रकार था। हम बड़े खुश। तब मुझे 600 रुपये का मानदेय मिलता था। किसी तरह से 5000 रुपये का इंतजार करके आवास के लिए पंजीकरण कराया। फिर आवास लेना था। बैंक से लोन के लिए प्रयास शुरू किए। पत्रकार सुनकर ही बैंक वाले बिदक जाते थे। तब तक मैं अमर उजाला में आ गया था। श्री केके कुलश्रेष्ठ ने अपने प्रयासों से एसबीआई से लोन कराया। 1998 में शास्त्रीपुरम में रहने आ गए। मैंने और श्री एसपी सिंह ने साथ-साथ गृह प्रवेश किया। बाद में कई अन्य पत्रकार आ गए।
शास्त्रीपुरम में 1998 में गिने-चुने लोग निवासरत थे। दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लि. ने ट्रांसफर उठा लिए थे। पत्रकारों ने अपने प्रयासों से वापस मंगवाए। आए दिन चोरी होती रहती थी। तब मैं अपने घर की छत पर खड़ा होकर बंदूक से हवाई फायरिंग करता था। इसके बाद एक सप्ताह शांति रहती थी। रात्रि में पुलिस गश्त शुरू कराई।
वर्ष 2000 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने राष्ट्र रक्षा शिविर लगा। इसके बाद शास्त्रीपुरम में लोग आने शुरू किए। सबकुछ ठीक होने लगा। शास्त्रीपुरम आवासीय योजना समिति बनाई। इसके अध्यक्ष सुभाष राय और सचिव मैं (डॉ. भानु प्रताप सिंह) बनाए गए। आगरा कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. मुख्तार सिंह संरक्षक बने। बड़े ही जोर-शोर से काम शुरू हुआ। एक पत्रकार महोदय समिति के 64 हजार रुपये लेकर चंपत हो गए। इस कारण काम ठप हो गया।
फिर आया वर्ष 2016। भारी बारिश हुई। शास्त्रीपुरम का ए ब्लॉक पानी से घिर गया। घरों में पानी भर गया। खूब भागदौड़ हुई। एक सप्ताह बाद स्थिति समान्य हो गई। इसके बाद बारिश होती रही लेकिन पानी नहीं भरा। आगरा विकास प्राधिकरण ने बड़ा नाला बना दिया। इसमें आसपास की कॉलोनियों का पानी भी जोड़ दिया गया। पानी ओवरफ्लो होता रहा। शास्त्रीपुरम के लोग अफसरों और जनप्रतिनिधियों को लिखकर देते रहे, मौखिक रूप से बताते रहे लेकिन समस्या वहीं की वहीं बनी रही।
पिछले पांच साल से हर बारिश में शास्त्रीपुरम ए ब्लॉक में पानी भर रहा है। सड़कें लबालब हो जाती हैं। दो दिन बाद स्थिति समान्य हो जाती है। इसके लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और नाला के अंतिम छोर पर पम्प लगाया जाता है। पम्प का पानी आसपास के खेतों में जाता है, जिसका गांव वाले विरोध करते हैं।
वर्ष 2024 में दो बार जलभराव की समस्या पैदा हो गई। दोनों बार घरों में पानी भरा है। 12 सितंबर का हाल ऊपर लिख चुका हूँ।

क्या है जलभराव का कारण
शास्त्रीपुरम का नाला औद्योगिक क्षेत्र में रेलवे लाइन से नीचे होकर हाईवे पार करते हुए यमुना तक जाना है। रेलवे लाइन के नीचे रेलवे ने काम कर दिया है। इससे आगे और पीछे का काम आगरा विकास प्राधिकरण, नगर निगम और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को करना है। जब तक नाले को अंतिम छोर से नहीं जोड़ा जाएगा, तब तक समस्या का समाधान नहीं होगा।
शास्त्रीपुरम जनसेवा समिति के प्रयास
शास्त्रीपुरम जनसेवा समिति आगरा पंजीकृत के डॉ. लाखन सिंह, देवेंद्र सिंह परमार, राजवीर सिंह, सुनील शर्मा, किशन सिंह चाहर, मुन्नालाल राजपूत, मनोज शर्मा, अजय सिकरवार, तरुण कुमार, भजनलाल प्रधान, पार्षद प्रवीणा राजावत आदि ने नाला बनवाने के लिए प्रयास किए हैं। अफसरों को चिट्ठी लिखी है। जनप्रतिनिधियों से व्यक्तिगत रूप से मिले हैं। वन विभाग से पेड़ कटवाने के एनओसी लेकर आए हैं। इस तरह के प्रयास पूर्व पार्षद मंजू वार्ष्णेय ने किए थे।

सांसद नवीन जैन के प्रयास
राज्यसभा सांसद नवीन जैन ने बताया कि उन्होंने महापौर रहते शास्त्रीपुरम नाला बनवाने के कई प्रयास किए हैं। उन्होंने बताया, “नगर निगम ने 24 करोड़ रुपये की लागत से नाला बनाने की फाइल तैयार कराई थी। यह काम आगरा विकास प्राधिकरण को करना था। इसके बाद भी नगर निगम 5 करोड़ रुपये देने को तैयार था। मैं व्यक्तिगत रूप से कमिनर राजीव गुप्ता से मिलकर आया था। उन्होंने एडीए से बात करके एक कमेटी बना दी थी। इसके बाद एडीए के चीफ इंजीनियर ने नगर निगम का एस्टीमेट बाईपास करके 70 करोड़ रुपये का बना दिया।”
“मैंने कमिश्नर राजीव गुप्ता से कहा कि दीर्घकालीन और तात्कालिक योजना पर काम होना चाहिए। तत्काल समाधान के लिए 24 करोड़ रुपये की योजना पर काम हो। फिर नाला बनाने में पेड़ का विवाद आ गया। मैंने इंजीनयर आरके सिंह से कहा कि कैसे भी हो, शास्त्रीपुरम नाला का काम कराओ, शॉर्टकट योजना बना लो। अभी छोटा नाला बना दें और जब पेड़ काटने की अनुमति मिल जाए तो बड़ा कर देना। सच तो यह है कि एडीए की दीर्घकालीन योजना के चक्कर में शास्त्रीपुरम नाला पूरा नहीं बन पाया है। अगर नगर निगम की पुरानी योजना लागू हो जाए तो 24 करोड़ रुपये में काम हो जाएगा।”
जब मैंने उन्हें बताया कि आगरा विकास प्राधिकरण ने 72 करोड़ रुपये का प्रस्ताव नगर विकास विभाग को भेजा है, इसे स्वीकृत कराइए। सांसद नवीन जैन ने कहा कि मैं एडीए से प्रस्ताव की प्रति लेकर शासन से बात करता हूँ।
एक बयान
समाजवादी पार्टी के नेता आदित्य गौतम का कहना है कि पहले भाजपाई कहते थे कि हमारी केंद्र में सरकार नहीं है, फिर कहते कि हमारी यूपी में सरकार नहीं है, अब कोई बहाना नहीं है। आगरा से लेकर यूपी तो हुए दिल्ली तक भाजपा की सरकार है। इसके बाद भी भाजपा को आम जनता की समस्या से कोई लेना-देना नहीं है। भाजपा सिर्फ बातें करती है, काम नहीं।
और अंत में
आगरा में जब-जब बारिश आएगी
न MP काम आएगा न MLA आएगी
फिर कौन काम आएगा..
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