बरेली। समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव के 13 नवंबर को प्रस्तावित बरेली दौरे से पहले आल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने बड़ा राजनीतिक बयान देकर सियासी हलचल बढ़ा दी है।
मौलाना ने कहा है कि अगर अखिलेश यादव सच में मुस्लिम समुदाय के वोट और समर्थन का सम्मान करना चाहते हैं, तो 2027 के विधानसभा चुनाव में किसी मुसलमान नेता को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करें।
“कब तक मुसलमानों के कंधों पर सवार होकर यादव परिवार सत्ता में आएगा?”
मौलाना शहाबुद्दीन ने तीखे शब्दों में कहा “उत्तर प्रदेश में 20 प्रतिशत मुसलमान, 7 प्रतिशत यादव और 5 प्रतिशत अन्य समाजों ने मिलकर मुलायम सिंह यादव को कई बार मुख्यमंत्री बनाया और अखिलेश यादव को भी सत्ता में पहुंचाया। लेकिन अब सवाल है कि मुसलमानों के कंधों पर सवार होकर यादव परिवार कब तक मुख्यमंत्री बनेगा?”
उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव अगर वास्तव में ‘समाजवादी विचारधारा’ की बात करते हैं, तो उन्हें इस बार मुख्यमंत्री पद की दौड़ में किसी मुस्लिम चेहरे को आगे लाना चाहिए।
“मुस्लिम नेताओं को हाशिए पर डालने से हुई सपा की हार”
मौलाना ने आगे कहा कि जब से अखिलेश यादव ने पार्टी की कमान संभाली है, तब से शिवपाल यादव और आज़म खां जैसे वरिष्ठ नेताओं को किनारे कर दिया गया।
उनका दावा है कि यही वजह रही कि सपा को हाल के चुनावों में लगातार हार का सामना करना पड़ा। “सपा का ढांचा पूरी तरह मुसलमानों के सहयोग से खड़ा है, लेकिन सत्ता आने के बाद न टिकट में हिस्सेदारी दी गई और न ही नेतृत्व में उचित स्थान।”
“2027 से पहले मुसलमान मुख्यमंत्री के प्रस्ताव पर हो बैठक”
मौलाना रज़वी ने अखिलेश यादव से मांग की कि समाजवादी पार्टी की कार्यकारिणी की बैठक बुलाकर मुसलमान मुख्यमंत्री बनाए जाने का प्रस्ताव पारित करें। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर 2027 के चुनाव में आबादी के अनुपात में टिकट नहीं दिए गए, तो पार्टी के भीतर “बगावत तय” है।
“मुस्लिम घरों में खाना खाने से नहीं मिलेगा समर्थन”
अखिलेश यादव द्वारा मुस्लिम घरों में जाकर खाना खाने पर तंज कसते हुए मौलाना ने कहा — “किसी एक घर में खाना खाने से पूरी कौम का भला नहीं होता। आज का मुसलमान जागरूक, पढ़ा-लिखा और समझदार है। वह अब सिर्फ दिखावे से नहीं, अपने हक़ से संतुष्ट होगा।”
“20% आबादी का सम्मान हो”
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने साफ कहा कि “उत्तर प्रदेश की 20 प्रतिशत मुस्लिम आबादी अब अपने हक की राजनीति चाहती है, न कि केवल वादों की। अगर अखिलेश यादव ने इसे नहीं समझा, तो सपा में खुद उनके खिलाफ असंतोष की लहर उठेगी।”
बरेली में अखिलेश यादव के दौरे से पहले यह बयान सपा के लिए एक बड़ी चुनौती माना जा रहा है, खासकर उस समय जब 2027 के चुनाव की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं और मुस्लिम वोट बैंक पर विपक्ष की निगाहें टिकी हैं।
साभार सहित
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