सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को योग गुरु बाबा रामदेव के स्वामित्व वाली पतंजलि आयुर्वेद और उसके प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण को अपने उत्पादों के भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ उसके आदेश का उल्लंघन करने के लिए अवमानना नोटिस जारी किया। अदालत ने पंतजलि को अगले आदेश तक अपने औषधीय उत्पादों का विज्ञापन करने से भी रोक दिया है। शीर्ष अदालत ने ‘एलोपैथी के खिलाफ गलत सूचना’ के संबंध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की याचिका पर सुनवाई करते हुए पतंजलि समूह की खिंचाई की।
भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट सख्त
मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि भ्रामक विज्ञापनों को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता पीएस पटवालिया ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पतंजलि ने योग की मदद से मधुमेह और अस्थमा को ‘पूरी तरह से ठीक’ करने का दावा किया था। जस्टिस अमानुल्ला ने कहा कि भविष्य में ऐसा करने पर प्रति उत्पाद विज्ञापन पर एक करोड़ रुपए जुर्माना लगाया जाएगा
चिकित्सा प्रणाली के खिलाफ बयान ना दें
शीर्ष कोर्ट ने पूछा है कि क्यों ना उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। विज्ञापनों में छपे फोटो के आधार पर नोटिस जारी किया गया है। इसके साथ ही चेतावनी देते हुए कोर्ट कहा कि प्रिंट या अन्य मीडिया में किसी भी रूप में किसी भी चिकित्सा प्रणाली के खिलाफ बयान ना दें।
15 मार्च होगी अगली सुनवाई
आईएमए की शिकायत के अनुसार रामदेव कथित तौर पर मेडिकल बिरादरी द्वारा इस्तेमाल की जा रही दवाओं के खिलाफ सोशल मीडिया पर गलत जानकारी फैला रहे थे। कोर्ट ने अगली सुनवाई 15 मार्च को तय की है।
-एजेंसी
- यूपी में शिवसेना शिंदे वार्ड स्तर तक करेगी संगठन का विस्तार, जल्द शुरू होगा सदस्यता अभियान - March 10, 2025
- Agra News: स्वास्थ्य विभाग के मेगा कैम्प में की गई टीबी व एचआइवी की जाँच - March 10, 2025
- गाजियाबाद में तैनात जीएसटी विभाग के डिप्टी कमिश्नर ने 14वीं मंजिल से कूदकर दी जान, कैंसर से थे पीड़ित - March 10, 2025