प्रतिबंधित संगठन PFI को लेकर ED ने बड़ा खुलासा किया है। गल्फ देशों से हवाला के जरिए करोड़ों रुपए का कैश आया है। ब्लैक मनी को व्हाइट करने के लिए समर्थकों के अकाउंट में ये कैश जमा करवाया गया है जिसे बाद में PFI के एकाउंट में ट्रांसफर करवाया गया। बता दें कि गल्फ देशों में PFI के हजारों समर्थक मौजूद हैं। चंदे के नाम पर विदेश में करोड़ों रुपए जमा किया जाता था।
5 लोग गिरफ्तार
केंद्रीय जांच एजेंसी ED ने PFI से जुड़े 5 लोगों को गिरफ्तार किया है। ये सभी आरोपी प्रतिबंधित संगठन PFI में अलग-अलग ओहदों पर थे, जो विदेश के हवाला के जरिये आए करोड़ों रुपए का इस्तेमाल देशविरोधी गतिविधियों में कर रहे थे। इन सभी की पहचान ई एम अब्दुल रहमान, अनीस अहमद, अफसर पाशा, ए एस इस्माइल और मोहम्मद शक़िफ़ के रूप में हुई है।
दरअसल, साल 2018 में 2 मई को दर्ज की गयी ECIR में सभी पांचों आरोपियों से ED ने दिल्ली की तिहाड़ जेल में हाल ही में 19 दिसंबर को पूछताछ की। ये पूछताछ 3 दिसंबर 2020 को PFI के ठिकानों पर रेड के दौरान बरामद संगठन के अलग-अलग बैंक एकाउंट डिटेल के आधार पर की गई।
सभी आरोपी संगठन के अलग-अलग शहरों में मौजूद बैंक अकाउंट के साइनिंग अथॉरिटी थे। इन सभी से बैंक अकाउंटों में आये करोड़ों रुपये की मनी ट्रेल के बारे में पूछताछ की गई, लेकिन संतोषजनक जवाब न देने और तथ्य छिपाने के आरोप में इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
प्रतिबंधित संगठन PFI में आरोपियों का रोल
ई एम अब्दुल रहमान: शुरुआत से PFI से जुड़ा था, PFI में पिछले कई सालों में अलग-अलग पद पर रहा और PFI के हर बड़े एक्शन और फैसले में अहम रोल रहा है। अब्दुल रहमान आतंकी संगठन simi यानी स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया से 1979 से 1984 तक जुड़ा रहा, उसके बाद जब इस संगठन पर प्रतिबंध लगा तो PFI के नाम से बनाये गए नए संगठन में 2007 से 2008 तक जनरल सेक्रेटरी और 2009 से 2012 तक PFI का चेयरमैन रहा।
साथ ही, संगठन पर प्रतिबंध लगने तक PFI नेशनल एग्जीक्यूटिव कॉउंसिल जोकि संगठन के हर बड़े फैसले लेती थी उसका वाईस चेयरमैन भी रहा। इस बीच अब्दुल रहमान ने तुर्की और कई अफ्रीकन देशों का अन्य PFI मेंबर के साथ कई बार दौरा किया। साल 2015 से लेकर 2020 तक PFI के दिल्ली के कालका जी और कोज़हीकोडे में स्थित सिंडिकेट बैंक में संगठन के बैंक एकाउंट का साइनिंग ऑथोरिटी भी था।
अनीस अहमद: PFI के फाइनेंशियल मेटर में अनीस का अहम रोल था। अनीस 2018 से लेकर 2020 तक संगठन का नेशनल सेक्रेटरी रहा और इसकी जिम्मेदारी संगठन के लिए फंड इक्कठा करने की थी। वह PFI का प्रवक्ता भी था। PFI स्टेट लेवल पर फंड जमा करती थी, राज्यों के हर जिले में डिस्ट्रिक्ट कमेटी होती थी, जो फंड जमा होने पर स्टेट लेवल कमेटी के अकॉउंट में जमा करती थी, जिसे बाद में नेशनल कमेटी के अकाउंट में जमा किया जाता था। दिल्ली और उत्तर प्रदेश से जमा फंड सीधे संगठन के अकाउंट में जमा किया जाता था।
अफसर पाशा: प्रतिबंधित संगठन PFI में नेशनल लेवल पर अलग-अलग अहम पदों पर रहा, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश का जोनल प्रेसिडेंट था। PFI का नेशनल सेक्रेटरी भी रहा। संगठन के हर फाइनेंशियल मेटर में इसकी राय अहम होती थी। साल 2009 से 2010 तक संगठन के कर्नाटक यूनिट का जनरल सेक्रेटरी रहा। साल 2009 में मैसूर में हुए साम्प्रदायिक दंगों में इसका अहम रोल था। वहां दंगो के शुरू हुए जेल भरो प्रदर्शन में ही हिस्सा लिया था। संगठन के बंगलुरु स्थित फ्रेजर टाउन में कॉर्पोरेशन बैंक में PFI एकाउंट में साइनिंग ऑथोरिटी था।
एएस इस्माइल: PFI के फाउंडर मेंबर में से एक है। संगठन के नार्थ जोन का साल 2018 से 2020 तक प्रेजिडेंट रहा है। PFI की नेशनल एग्जेक्युटिव कॉउन्सिल का मेंबर रहा है। संगठन के हर फाइनेंशियल मेटर में अहम रोल होता है। PFI के चेन्नई स्थित मयलपोरे आरएच रोड स्थित पंजाब नेशनल बैंक में अकाउंट का साइनिंग ऑथोरिटी था।
मोहम्मद शाकिफ़: कर्नाटक में PFI के स्टेट लेवल से लेकर नेशनल लेवल तक संगठन में अहम पदों पर रहा। साल 2016 से 20 तक कर्नाटक में स्टेट प्रेसीडेंट रहा। नेशनल एग्जेक्युटिव कॉउन्सिल का मेंबर रहा। बंगलुरु के फ्रेजर टाउन स्थित कॉर्पोरेशन बैंक में साइनिंग ऑथोरिटी था। इन सभी आरोपियों के साल 2020 में रेड के दौरान बरामद संगठन के अलग-अलग बैंक एकाउंट, डिजिटल एविडेंस और अन्य दस्तावेज दिखाकर पूछताछ की गई। दर्ज बयानों में विरोधाभास पाए जाने पर इनकी गिरफ्तारी की गई है।
-एजेंसी
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