प्रयागराज। माघ मेले की 6 जनवरी पौष पूर्णिमा के स्नान के साथ शुरुआत हो चुकी है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु संगम स्नान और कल्पवास के लिए पहुंचे हैं।
शुक्रवार को 7 डिग्री सेल्सियस की कड़ाके की ठंड के बीच पौष पूर्णिमा स्नान के साथ माघ मेले का आगाज हो गया। लाखों की तादाद में श्रद्धालु पहुंच चुके हैं। वहीं, कल्पवासी ने भी डेरा जमा लिया है। 8 किमी. के दायरे में तंबुओं का शहर बस चुका है। एक तरफ जप-तप और ध्यान के कल्पवास की शुरुआत, दूसरी तरफ सिर पर आस्था की गठरी लिए श्रद्धालु संगम की तरफ बढ़ते आ रहे हैं। गंगा किनारे 40 दिनों के कल्पवास के लिए जो श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। वह ज्यादातर बर्तन और अपने रोजमर्रा का सामान लेकर पहुंचे हैं।
माघ महीने में कल्पवास, कृष्ण उपासना को बहुत खास माना जाता है। कल्पवास 40 दिन का होता है। सिर्फ भारत से नहीं, विदेशों से भी श्रद्धालु कल्पवास के लिए यहां आते हैं। भक्त 40 दिन संन्यासियों की जिंदगी जीते हैं। ऐसा माना जाता है कि नियम पूर्वक कल्पवास करने से व्यक्ति जीवन की हर कठिनाइयों का समाधान खोजने में सक्षम हो जाता है। इतना ही नहीं, मन और इंद्रियों पर नियंत्रण करने की शक्ति भी प्राप्त होती है। इससे व्यक्ति के सारे सांसारिक तनाव दूर हो जाते हैं। वह मृत्यु के बाद मोक्ष को पा लेता है।
6 जनवरी को पौष पूर्णिमा के प्रथम स्थान पर्व पर 14 पक्के घाट तैयार किए गए हैं। पौष पूर्णिमा के पहले स्नान पर्व के लिए 14 स्थाई घाट तैयार किए गए हैं। इन स्नान घाटों पर महिलाओं के लिए चेंजिंग रूम तैयार किया गया है। घाटों पर साफ-सफाई की विशेष व्यवस्था है। उन्हीं 14 घाटों पर श्रद्धालु स्नान कर रहे हैं। यहां 16 प्रवेश द्वार है। सभी पर कोविड हेल्प डेस्क है। 5 पांटून पुल बनाए गए हैं।
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